[PDF]HindiE
Please sign in to contact this author
बैबिलॉन
का
सबसे
अमीर
आदमी
बैबिलॉन जॉर्ज एस. क्लासन
का अनुवाद : डॉ. सुधीर दीक्षित
सबसे
अमीर
आदमी हा
मंजुल पब्लिशिंग हाउस
आर्थिक सफलता के शाश्वत रहस्य
धन-दौलत पर लिखी सबसे प्रेरक पुस्तक
First published in India
a
Manjul Publishing House
Corporate and Editorial office
+ 2m Floor, Usha Preet Complex, 42 Malviya Nagar, Bhopal 462 003 - India
Sales and Marketing Office
+ 7/32, Ground Floor, Ansari Road, Daryaganj, New Delhi 110 002 - India
Website: www.manjulindia.com
Distribution Centres
Ahmedabad, Bengaluru, Bhopal, Kolkata, Chennai,
Hyderabad, Mumbai, New Delhi, Pune
This edition published by arrangement with Dutton,
a member of Penguin Group (USA) Inc.
This edition first published in 2005
‘Seventh impression 2016
Copyright George S. Clason, 1926, 1930, 1931, 1932, 1936, 1937, 1940, 1946, 1947, 1954, 1955
ISBN 978-81-8322-019-4
‘Translation by Dr. Sudhir Dixit, Rajni Dixit
Allrights reserved. No part Nopart of of this this publication maybe
reproduced, raproduced stored in or introduced into a retrieval system, or
or transmitted, in in any form, or by any means (electronic, mechanical,
photocopying, recording or otherwise) without the prior permission of
the publisher. Any person who does any unauthorized act in relation to
this publication may be liable to criminal prosecution and civil claims for
damages.
1920 के दशक में लिखी गई पुस्तक इक्कीसवीं सदी के आधुनिक निवेशकों को उनकी आर्थिक स्थिति के
बारे में क्या सिखा सकती है? बहुत कुछ, अगर यह पुस्तक जॉर्ज क्लासन की “बैबिलान का सबसे अमीर आदमी"
हो। इस पुस्तक में घन के मूलभूत सिद्धांत विस्तार से बताए गए हैं। यह हर कॉलेज के विद्यार्थी या आम आदमी
के लिए बेहतरीन तोहफा है, जो घन की दुनिया मे खुद को दुविधाग्रस्त पाता है। साथ ही, यह अनुभवी निवेशकों के
लिए भी अद्भुत रूप से पठनीय है।
#लॉस एंजेलिस टाइम्स
आपके सामने आपका भविष्य फैला हुआ है, दूर जाने वाली सड़क की तरह। इस सड़क पर महत्वाकांक्षाएँ हैं,
जिन्हें आप हासिल करना चाहते हैं... इच्छाएँ हैं, जिन्हें आप पूरी करना चाहते हैं।
अपनी महत्वाकांक्षाओं और इच्छाओं को पूरा करने के लिए आपके पास घन होना चाहिए। इस पुस्तक में
दिए गए आर्थिक सिद्धांतों का प्रयोग करें। उनसे सीखें कि अपने ख़ाली पर्स को कैसे भरा जाता है और इसके द्वारा
ज़्यादा सुखद जीवन का आनंद कैसे लिया जाता है।
गुरुत्वाकर्षण के नियम की तरह धन के ये नियम भी शाश्वत और अपरिवर्तनीय हैं। वे बहुत से लोगों को लाभ
पहुँचा चुके है... और आपको भी लाभ पहुँचाएँगे। इस पुस्तक को पढ़ने के बाद निश्चित रूप से आपका बैंक बैलेंस
बढ़ जाएगा और आपकी आर्थिक प्रगति तेज़ी से होने लगेगी।
बैबिलॉन का सबसे अमीर आदमी
घन से सांसारिक सफलता का आकलन किया जाता है।
घन से इस दुनिया की सारी अच्छी चीज़ों का आनंद लिया जा सकता है।
घन उन लोगों के आसानी से आता है; करने पास जों इसे हासिल के आसान नियमों को जानते हैं।
आज मी घन के नियम वही हैं, जो छह हज़ार साल पहले बैबिलाँन के अमीर लोगों के समय थे।
उन लोगों के लिए इस दुनिया में बेशुमार धन मौज़ूद है, जो
इसे हासिल करने के आसान नियमों को जानते हैं:
+ + करे
अपने पर्स को मोटा करे
अपने ख़र्च को नियंत्रित करें
अपने घन को कई गुना बढ़ाएँ
अपनी पूँजीन गँवाएँ
अपने घर को लाभकारी निवेश बनाएँ
भावी आमदनी सुनिश्चित करें
अपनी कमाने की क्षमता बढ़ाएँ
ee PF &
®
विषय-सूची
Ie
Is
प्रस्तावना
सी देश की समृद्धि इसके नागरिकों की पर निर्भर करती है।
यह पुस्तक सफलता के बारे में है। सफलता का अर्थ है हमारे प्रयासों और योग्यताओं के
परिणामस्वरूप मिलने वाली उपलब्धियाँ। हमारी सफलता की कुंजी है। उचित तैयारी। हमारे काम हमारे विचारों
जितने ही बुद्धिमत्तापूर्ण हो सकते हैं और हमारे विचार हमारे ज्ञान जितने ही बुद्धिमत्तापूर्ण हो सकते हैं।
उबाली पर्स का इलाज कसै वाली इस पुस्तक को आर्थिक ज्ञान की मार्गदर्शिका कहा गया है। दरअसल
यही इसका लक्ष्य है। यह महत्वाकांक्षी लोगों को आर्थिक सफलता का ऐसा ज्ञान देती है, जिसकी मदद से वे घन
हासिल कर सकते हैं, उसे अपने पास रख सकते हैं और उससे ज़्यादा धन कमा सकते हैं।
आगे के पृष्ठों में हम बैबिलॉन में चलेंगे, जहाँ धन के मूलभूत सिद्धांत विकसित किए गए थे, जिन्हें आज दुनिया
भर में जाना और माना जाता है।
लेखक यह आशा करता है कि इस पुस्तक में पाठकों को अपने बैंक अकाउंट में वृद्धि करने, अधिक वित्तीय
सफलता पाने और मुश्किल वित्तीय समस्याओं के समाधान की प्रेरणा मिलेगी। दुनिया भर के हज़ारों पाठकों ने
इसके बारे में यही राय व्यक्त की है।
लेखक उन सभी बिज़नेस एक्ज़ीक्यूटिव्ज़ को धन्यवाद देना चाहता है, जिन्होंने अपने मित्रों, रिश्तेदारों,
कर्मचारियों और सहयोगियों को यह पुस्तक बड़ी संख्या में बाँटी है। इस पुस्तक को सफल लोगों ने पसंद किया,
क्योंकि ये सफल लोग भी इन्हीं सिद्धांतों की बदौलत सफल बने थे।
बैबिलॉन प्राचीन विश्व का सबसे दौलतमंद शहर इसलिए था, क्याँकि इसके नागरिक बहुत अमीर थे। वे धन
का मूल्य समझते थे। वे धन को हासिल करे, उसे बनाए रखने और उससे अधिक धन कमाने के दमदार आर्थिक
सिद्धांतों पर अमल करते थे। इन सिद्धांतों की बदौलत वे दौलतमंद बन गए और हम भी यही तो चाहते हैं।
“थजाँज एस. क्लासन
ee |
अमीर बनने की इच्छा
बं जिर बैबिलांन में रथ बनाता था। इस समय वह अपने घर के अहाते की दीवार पर उदास बैठा था। वह अपने
ख़स्ताहाल घर और आँगन को उदासी से देख रहा था। आँगन में एक रथ अधूरा पड़ा था।
बंज़िर की पत्नी बार-बार घर के बाहरी दरवाज़े पर आकर झाँक रही थी। अपनी पत्नी के देखने के अंदाज़ से
वह समझ गया कि घर में खाने को कुछ नहीँ है और उसे जल्दी से रथ पूरा कर लेना चाहिए। वह जानता था कि
इस समय उसे हाथ पर हाथ धरकर बैठने के बजाय हथौड़ा चलाना चाहिए, कुल्हाडी से काट-छाँट करना चाहिए,
पॉलिश और पेंट करना चाहिए, पहियां के रिम पर चमड़ा चढ़ाना चाहिए और रथ को ग्राहक तक पहुँचाना चाहिए,
ताकि उसे अमीर प्राहक से पैसे मिल सकें।
बहरहाल, सुगठित और मांसल देह वाला बंज़िर दीवार पर अलसाए अंदाज़ में बैठा रहा। उसका दिमाग़ बहुत
मंद गति से काम कर रहा था। कुछ समय से उसके मन में एक ऐसी उलझन थी, जिसका उमे जवाब नहीं मिल रहा
था। यूफ़ेटस नदीं की इस घाटी में सूरज आम तौर पर शोले बरसाता था। आज भी यह निर्ममता से शोले बरसा रहा
था। इस वजह से बंज़िर की भौंह पर पसीने के मोती छलछला आए थे, जो वहकर उसके सीने के बालों में गुम हो
गए।
दूए उसे सप्राट के महल की बाहरौ ऊँची दीवार दिखाई दे रही थीं। पास में नीले आसमान को छूती बेल मंदिर
'की मीनार थी। इतनी भव्यता की छाया में उसका छोटा सा घर था। उसके आस-पास कई और लोगों के घर भी
थे, जिनकी हालत उसके घर से भी ज़्यादा ख़राब थी। बैबिलान का यही माहौल था। यहाँ भव्यता और मलिनता
साथ-साथ रहती थीं। यहाँ प्रचुर दौलत और बेहद गरीबी पास-पास रहती थीं। अमीर और गरीब दोनों तरह के लोग
शहर की सुरक्षा्रक दीवारों के भीतर बिना किसी योजना या व्यवस्था के साथ-साथ रहते थे।
बंज़िर के पीछे अमीरों के रथ शोर कर रहे थे, ताकि जूते पहने व्यापारी और नंगे पैर चल रहे भिखारी रास्ते से
हट जाएँ। बहरहाल, जब पानी लाने वाले गुलाम सड़क पर नज़र आते थे, तो उन्हें रसता देने के लिए अमीरों के स्थ
नालियों की तरफ़ हट जाते थे। वे ऐसा इसलिए करते थे, क्योंकि ये गुलाम “सम्राट का काम” कर रहे थे। इन
सबकी पीठ पर पानी की भारी मशकें लदी थीं, जो हैंगिंग गार्डस में डालने के लिए ले जाई जा रही थीं.
बंज़िर अपनी समस्या पर सोच-विचार करने में इतना खोया हुआ था कि उसने व्यस्त शहर के कोलाहल को
न तो सुना, न ही उसकी तरफ़ ध्यान दिया। उसकी तंद्रा तभी टूटी, जब उसे एक परिचित वादययंत्र की तानें सुनाई
दं। उसने पलटकर देखा कि उसका सबसे पक्का दोस्त कोबी पास में खड़ा था। कोबी संगौतकार था और इस समय
उसका संवेदनशील चेहरा मुस्करा रहा था।
कोबी ने झुककर सलाम करते हुए कहा, “ देवता आप पर मेहरबान हों, मेरे अच्छे मित्र। लेकिन ऐसा लगता है
कि देवता आप पर पहले से ही इतते मेहरबान हो चुके हैं कि अब आपको मेहनत करने की कोई ज़रूरत ही नहीं है।
आपकी खुशक्रिस्मती देखकर मुझे भी खुशी हो रही है। इतना ही नहीं, मैं तो यह भी चाहता हूँ कि आपकी
खुशक्रिस्मती से मेरी भी क्रिस्मत बदल जाए। आपका पर्स ज़रूर भारी होगा, क्योंकि अगर यह सिक्कों की वजह से
भारी नहीँ होता, तो आप रथ बनाने का काम कर रहे होते। मेहरबानी करके आप अपने प्स म से दो सिक्के निकालकर
मुझे उधार द दें। मैं आज रात को सामंत की दावत के बाद उधार चुका दूँगा। आपको पता भी नहीं चलेगा, इससे
पहले ही आपका उधार वापस लौट आएगा।”
बंजर ने उदासी से जवाब दिया, “अगर मेरे पास दो सिक्के होते, तो मैं उन्हें किसी को भी उधार नहीं देता -
तुम्हें मी नहीं, मेरे सबसे पक्के दोस्त। इसका कारण यह है कि वे दो सिक्के मेरी ज़िंदगी भर की दौलत होते, मेरी पूरी
दौलत। कोई भी अपनी पूरी दौलत किसी को उधार नहीँ देता, भले ही वह उसका सबसे पक्का दोस्त हौ क्यों न
हो।”
“क्या ?” कोबी ने हैरान होकर कहा। “तुम्हारे पर्स में एक भी सिक्का नहीं है, इसके बावजूद तुम दीवार पर
बुत बने बैठे हो! उस रथ को पूरा क्यों नहीं करते ? तुम्हारी तेज़ भूख को शांत करे के लिए भोजन कहाँ से आएगा ?
तुम ऐसे तो नहीँ थे ? तुम तो दिन-रात मेहनत करते थे? क्या कोई चीज़ तुमह दुखी कर रही है? क्या देवताओं ने तुम
पर कोई मुसीबत लाद दी है ?”
“यह मुसीबत ज़रूर देवताओं ने ही लादी होगी,” बंज़िर ने हामी भरते इए कहा। “सारा झमेला एक सपने
से शुरू हुआ था। यह बेसिरपैर का सपना था। इसमे मैने देखा कि मैं अमीर बन गया था। मेरे बेल्ट से खनखनाते
सिक्कों से भरा पर्स लटक रहा था और मैं भिखारियों की तरफ़ लापरवाही से सिक्के उछालता जा रहा था। मैं चाँदी
के सिक्कों से अपनी पत्री के लिए वस्त्र और अपने लिए मनचाही चीजें खरीद रहा था। मेरे पास सोने के सिक्के
भी थे, इसलिए मैं भविष्य को लेकर आश्वस्त था और मुझे चाँदी के सिक्के खर्च करने में कोई डर नहीं लग रहा
था। मैं बहुत ही संतुष्ट और सुखी महसूस कर रहा था! मुझे देखकर तुम यह नहीं कह सकते थे कि मैं तुम्हारा वही
मेहनती मित्र हैं। तुम मेरी पत्नी को भी नहीं पहचान सकते थे, क्योंकि उसके खुशी से दमकते चेहरे पर झुर्रियों का
नामोनिशान नहीं था। वह एक बार फिर से उतनी ही सुंदर और ख़ुशमिज़ाज. लग रही थी, जितनी हमारी शादी के
समय लगती थी।”
कोबी ने कहा, “सचमुच बहुत बढ़िया सपना था। परंतु इतने अच्छे सपने की वजह से तुम दुखी होकर दीवार
पर क्यों बैठे हो ?”
“क्याँकि जागने पर मैने देखा कि मेरा पर्स खाली था। मेरे अंदर विद्रोह की भावना सुलगने लगी। आओ, हम
इस बारे में विस्तार से बातें करें, क्योंकि जैसा समुद्री यात्री कहते हैं, हम एक ही नाव में सवार हैं। बचपन में हम
दोनों ने धर्मगुरुओं से एक साथ शिक्षा हासिल की। किशोरावस्था में हमने साथ-साथ मौज-मस्ती की। बड़े होने
पर साथ-साथ हम दोनों गहरे मित्र बन गए। हम संतुष्ट लोगों की तरह रहते हैं। दिन-रात मेहनत करने और अपनी
पूरी कमाई ख़र्च करने के बावज़ूद हम संतुष्ट रहे हैं। इतने सालों में हमने बहुत पैसा कमाया, परंतु हमें कभी दौलत
की खुशी का ज़रा भी एहसास नहीं हुआ। इसके लिए हमें सपनों का सहारा लेना पड़ता है। अब मेरे मन में यह
विचार आता है कि क्या हम पूँगी भेड़ों जितने मूर्ख हैं? हम दुनिया के सबसे अमीर शहर में रहते हैं। यात्री कहते हैं
'कि इतनी दौलत दुनिया में और कहीं नहीं है। हमारे आसपास बेशुमार दौलत बिखरी पड़ी है, परंतु हमारे पास कुछ
भी नहीं है। मेरे प्यारे दोस्त, आधी जिंदगी कड़ी मेहनत करने के बाद भी तुम्हारा पर्स ख़ाली है और तुम मुझसे कहते
हो, 'मेहरबानी करके आप अपने पर्स में से दो सिक्के निकालकर मुझे उधार दे दें। मैं आज रात को सामंत की दावत
के बाद उधार चुका दूंगा।' इसका मैं क्या जवाब देता हूँ। क्या मैं यह कहता हूं, 'यह रहा मेरा पर्स। इसमें से जितने
सिक्के चाहो, खुशी-खुशी निकाल लो।?' नहीं, इसके बजाय मैं यह कहता हूँ कि मेरा पर्स भौ तुम्हरे पर्स की तरह
हो खाली है। आख़िर इसकी क्या वजह है ? हमारे पास धन टिकता क्यों नहीं है ? हम संपत्ति क्यों नहीं जोड़ पाते
हैं ? हम इतना ही क्यों कमा पाते है, ताकि हम जिंदा रह सकें और हमारे भोजन तथा वस्त्रं की मूलभूत ज़रूरतें ही
पूरी हो सकें?”
बंजर ने कहा, “और इस बारे में भी सोचो कि हमारे बटे भी हमारे ही पदचिन्हों पर चल रहे है? क्या वे और
उनके पुत्र भी इस सोने की नगरी में हमारी ही तरह गरीब रहेंगे? क्या उन्हें भी बकरी के दूध और दलिए से पेट भरना
होगा?”
कोबी ने हैरान होकर कहा, “बंजिर, हमारी दोस्ती को इतने साल हो चुके हैं परंतु तुमने पहले कभी ऐसी बातें
नहाँ कीं।”
“अब तक मैने कभी इस तरह से सोचा ही नहीं था। सुबह होते ही मैं काम में जुट जाता था और अँधेरा होने
तक जुटा रहता था। मैंने अपनी मेहनत से दुनिया के सबसे शानदार रथ तैयार किए। मुझे आशा थी कि मेरे बेहतरीन
काम को देखकर देवता किसी दिन खुश होंगे और मुझे अमीर बनने का आशीर्वाद देगे। परंतु देवताओं ने ऐसा कभी
नहँ किया। अब मुझे यह एहसास हो चुका है कि वे ऐसा कभी करेंगे भी नहीं। इसीलिए मेरा दिल उदास है। मैं
अमीर बनना चाहता हूँ। मैं चाहता हँ कि मेरै पास ज़मीन हो, मवेशी हों, सुंदर कपड़े हों और सिक्कों से भरा पर्स हो ।
*इन चौज़ों को पाने के लिए मैं डटकर मेहनत करने को तैयार हूँ। इन चौज़ों को पाने के लिए मैं अपनी पूरी
योग्यता और क्षमता से मेहनत करने को तैयार हूँ। परंतु मैं यह भी चाहता हूँ कि मेरी मेहनत का मुझे उचित पुरस्कार
मिले। मैं एक बार फिर तुमसे पूछता हूँ, आखिर बात क्या है? दुनिया में इतनी सारी अच्छी चीजे हैं परंतु वे हमें कयो
नहीँ मिलती हैं ? हमारे पास इतना पैसा क्यं नहीं है कि हम अपनी मनचाही चीजें खरीद सकें?”
कोबी ने जवाब दिया, “काश मुझे इस सवाल का जवाब पता होता! मैं भी उतना ही असंतुष्ट हूँ, जितने कि
तुम। संगीत बजाकर मैं जितना भी कमाता हैं, तत्काल खर्च हो जाता है। मेरे परिवार को भूखों मरने की नौबत न
आए, मुझे अक्सर इसकी योजना बनाना पड़ती है। मेरे दिल में एक प्रबल इच्छा बहुत समय से है। मैं एक ऐसा
वाद्यंत्र खरीदना चाहता हूँ, जिसमे मैं अपने मन में तैर रही संगीत की धुनों को सचमुच बाहर निकाल सकूँ। ऐसा
वाद्ययंत्र ख़रीदने के बाद मैं इतना बेहतरीन संगीत वजा सकता हैँ, जो सम्राट ने भी कभी नहीं सुना होगा।”
“इस तरह का वाद्ययंतर तुम्हारे पास होना चाहिए। बैबिलाँन में तुमसे ज़्यादा मधुर संगीत कोई नहीं बजा
“सकता है। न सिर्फ सम्राट, बल्कि देवता भी खुश होंगे। परंतु तुम उसे खरीदोगे कैसे? हम दोनों तो सम्राट के गुलामों
जितने गरीब हैं ? घंटी की आवाज़ सुन रहे हो! वह देखो, सम्राट के गुलाम आ गए। ” उसने पसीना-पसीना हो रहे.
अधनंगे मिश्तियों को देखा, जो नदी से पानी ला रहे थे और सँकरी सड़क पर बोझ लादकर चल रहे थे। पाँच गुलाम
"एक साथ चल रहे थे और हर एक की पीठ पर पानी की भारी मशक का बोझ लदा था।
“जो आदमी सबसे आगे चल रहा है, उसका शरीर कितना सुगठित है। ” कोबी ने सबसे आगे घंटी लेकर
चलने वाले व्यक्ति की तरफ़ इशारा किया, जिसकी पीठ पर मशक नहीं थी। “साफ़ नज़र आता है कि वह अपने
देश में प्रतिष्ठित आदमी रहा होगा। "
बंज़िर ने सहमत होते हुए जवाब दिया, “इन गुलामों में ज़्यादातर लोग हमारी तरह हैं। लंबे और गोरे गुलाम
उत्तरी देशों के हैं, हँसमुख अश्चेत दक्षिण के हैँ और नाटे भूरे गुलाम आस-पास के देशों के हैं। सभी गुलाम एक साथ
नदी से बगीचे तक और बगीचे से नदी तक आते-जाते हैं। ये लोग दिन भर, साल भर यही काम करते हैं। उनके
जीवन में सुख नहीँ है, न ही सुख मिलने की ज़रा भी आशा है। वे भूसे के बिस्तर पर सोते हैं। घटिया अनाज का
'दलिया खाते हैं बेचारे गुलामों पर तरस खाओ, कोबी!”
“मुझे भी उन पर तरस आता है। परंतु तुम्हारी बातों से मैं समझ गया हूँ कि हमारी हालत भी उन्हीं जैसी है,
हालाँकि पहले मै खुद को स्वतन्त्र मानता था”
“यह सच है कोबौ, हालाँकि यह विचार सुखद नहीँ है। हम यह नहीं चाहेंगे कि हम भी हर दिन, हर साल
गुलामों जैसी ज़िंदगी जिएँ। काम करना, काम करना, काम करना! और इसके बाद भी कोई प्रगति, कोई तरक्की
नहीं होना।”
कोबी ने पूछा, “क्या हम यह पता नहीं लगा सकते कि अमीर लोग अमीर कैसे बनते हैं? इसके बाद शायद
हम भी उसी तरीक़े पर चलकर अमीर बन सकते हैं?”
“अगर कोई व्यक्ति दौलत का रहस्य जानता हो और वह हमें बता दे तो शायद हम भी उस रहस्य को सीख
सकते हैं,” बंज़िर ने सोचते हुए जवाब दिया।
कोबी ने सुझाव दिया, “आज ही मुझे अपना पुराना मित्र अरक्राद दिखा था। चह अपने सुनहरे रथ पर सवार
था। उसने मुझे देखकर अनदेखा नहीं किया, जिस तरह बाक़ी अमीर लोग करते हैं। इसके बजाय उसने अपना हाथ
मेरी तरफ़ हिलाया, ताकि सब लोग यह देख ले कि वह संगीतकार कोबी का मुस्कराकर अभिवादन कर रहा है।”
बंज़िर ने कहा, “लोग कहते हैं कि अरक़ाद बैबिलॉन का सबसे अमीर आदमी है। "
कोबी ने जवाब दिया, “इतना अमीर कि सम्राट भी खजाने के लिए समय-समय पर उसकी मदद लेता रहता
a”
बंज़िर बीच में बोल पड़ा, “इतना अमीर! अगर वह मुझे कहीं रात के अँधेरे में मिल जाए, तो मुझे डर है कि मेरा
हाथ उसके मोटे पर्स पर चला जाएगा।”
कोबी ने झिइकते हुए कहा, “बकवास। इंसान की दौलत उसके पर्स में नहीं होती है। आगर प्स में लगातार
घन न आए, तो मोटे से मोटा पर्स भी जल्दी हौं खाली हो जाएगा। अरक्राद की आमदनी इतनी ज्यादा है कि वह
कितना ही दिल खोलकर खर्च करे, उसका पर्स हमेशा भरा रहता है।”
“आमदतौ ही तो सबसे बड़ी बात है,” बंजिर बोला। “मै चाहता हूँ कि मेर पर्स में भौ आमदनी आती रहे, भले
ही मैं दीवार पर बैठा रहै या दूर देशों की यात्रा करने चला जाऊँ। अरक्ाद को मालूम होगा कि आमदनी कैसे बढ़ाई
जा सकती है। क्या तुम्हें लगता है कि वह मेरे जैसे मंदबुद्धि व्यक्ति को यह बात स्पष्टता से समझा सकता है?”
कोबी ने कहा, “मैंने सुना है कि उसने अपने पुत्र नोमाज़िर को यह ज्ञान दिया था। इसके बाद नोमाज़िर निनेवा
गया और अपने पिता की सहायता के बिना ही बहुत अमीर बन गया!”
“कोबी, तुमने एक बहुत बेहतरीन विचार दिया है। ” बंजिर की आँखों में एक नई रोशनी चमकने लगौ।
“अच्छे मित्र की समझदारी भरी सलाह मुफ़्त में मिलती है। और अरक्ाद हमेशा हमारा अच्छा मित्र रहा है। इस बात
से कोई फर्क नहीँ पडता है कि हमारे पर्स खाली हैं। हमारी गरीबी अब हमें नहीं रोक सकती है। हम सोने की नगरी में
गरीबों की तरह रहते-रहते तंग आ चुके हैं। हम अमीर बनना चाहते हैं। आओ, अरक्ाद के पास चलकर उससे यह
सीखें कि हम अपनी आमदनी और दौलत कैसे बढ़ा सकते हैं।”
“तुमने मेंरे दिल की बात कह दी। तुम्हारी बातों से मेंरे मन में एक नया विचार आया है। अब मैं यह समझ
गया हुँ कि हम कभी अमीर क्यों नहीं बन पाए। सच तो यह है कि आज से पहले हमने कभी अमीर बनना ही नहीं
चाहा। तुम्हारा लक्ष्य यह था कि तुम बैबिलॉन के सबसे मज़बूत रथ बनाओगे और तुम लगन से उस दिशा में मेहनत
करते रहे। तुमने अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास उस लक्ष्य को समर्पित कर दिए। इसलिए तुम उस काम में सफल हुए। मेरा
लक्ष्य बेहतरीन संगीतकार बनना था और मैने उस दिशा में मेहनत की। अंतत: मैं अपने लक्ष्य तक पहुँचने में सफल
हुआ।
“जिन लक्ष्यों की दिशा में हमने मेहनत की, उन तक पहुँचने में हमें सफलता मिली। देवताओं को इस स्थिति
के यूँ ही चलने से कोई दिक्कत नहीं है। बहरहाल, अब हमें उते सूरज की किरण दिख गई है। यह हमें आमंत्रित
कर रही है कि हम अमीर बनने का तरीक़ा सीखें। अगर हम अमीर बनने का तरीक़ा सीख लेंगे, तो हमारी सारी
इच्छाएँ चुटकी बजाते ही पूरी हो जाएँगी।
बंज़िर ने आग्रह किया, “हम आज ही अर्क्वाद के पास चलते हैं। इसके अलावा हम अपने बचपन के उन
दोस्तों को भी ले चलेंगे, जिनका हाल भी हमारी ही तरह है। मैं चाहता हूँ कि वे भी अरकाद के ज्ञान का लाभ
उठाएँ।”
*बंज़िर, तुम हमेशा अपने मित्रों का बहुत ख़्याल रखते हो। इसीलिए तुम्हारे इतने सारे मित्र हैं। तुम जैसा
कहते हो, हम वैसा ही करेंगे। हम आज ही चलेंगे और अपने बचपन के मित्रों को भी साथ ले चलेंगे।"
+++
बैबिलॉन का सबसे अमीर आदमी
चीन बैबिलॉन में कभी अरक्राद नाम का बहुत अमीर आदमी रहता था। उसकी अपार दौलत के चें दूर
प्रा दूर तक फैले थे। इसके अलावा उसकी उदारता भी मशहूर थी। वह दिल खोलकर दान देता था और
परोपकार के काम करता था। वह अपने परिवार के प्रति भी उदार था और खुले हाथ से खर्च करता था। फिर भी हर
साल वह जितना ख़र्च करता था, उसकी दौलत उससे ज़्यादा तेज़ी से बढ़ जाती थी।
उसके बचपन के कुछ मित्रों ने एक दिन उसके पास आकर कहा “अरक्वाद, तुम हमसे ज़्यादा ख़ुशक्रिस्मत हो।
तुम बैबिलॉन के सबसे अमीर आदमी बन गए हो, जबकि हम मुश्किल से गुज़ारा कर पा रहे हैं। तुम बेहतरीन कपड़े
'पहन सकते हो और बेहतरीन भोजन का आनंद ले सकते हो, जबकि हमारा हाल यह है कि अगर हमारे परिवार को
भरपेट भोजन और तन ढैंकने को कपड़े मिल जाएँ, तो हमारी खुशी का ठिकाना नहीं रहता है।
“परंतु कभी हम एक जैसे थे। हमें एक ही अध्यापक ने पढ़ाया है हम एक साथ खेले हैं। पढ़ाई या खेल में
तुम हमसे आगे नहीं थे। और इसके बाद भी कई साल तक तुम्हारी हालत हमसे बेहतर नहीं थी। ”
“जहाँ तक हम जानते हं, तुमने हमसे ज़्यादा कड़ी मेहनत भी नहीं की है। फिर ऐसा क्यों है कि क्रिस्मत तुम पर
मेहरबान हो गई और उसने तुम्हें ज़िंदगी की सारी खुशियाँ दे दीं, जबकि उसने हमें नज़रअंदाज़ कर दिया, हालाँकि
हम भी तुम्हरे ही जितने के हक्रदार थे?”
(इस पर अरक्ाद ने कहा, “अगर तुम लोगों को पैसे की दिक्कत आ रही है, तो इसका कारण यह है कि या
ततो तुम दौलत इकट्टी करने के नियमों को नहीं जान पाए हो, या फिर तुम उनका पालन नहीं करते हो।
“क्रिस्मत एक ऐसी. ge देवी है, जो किसी का भी स्थायी रूप से भला नहीं करती है। जिस पर भी यह बिना
मेहनत के धन की बरसात कर देती है, वह लगभग हमेशा बर्बाद हो जाता है। उसकी मेहरबानी के बाद इंसान बेतहाशा
खर्च करने लगता है और कुछ ही समय में अपनी सारी दौलत गंवा बैठता है। दौलत तो चली जाती है, परंतु उसके
अंदर बहुत सी इच्छाओं की भूख बाकी रह जाती है, जिन्हें संतुष्ट करे का अब उसके पास साधन नहीं है। जिन लोगों
पर क्रिस्मत मेहरबान होती है, उनमें से कई कंजूस बन जाते हैं और अपनी दौलत को सेंतकर रखते हैं वे खर्च करने से
डरते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि अगर उनकी दौलत चली गई, तो इसके बाद उनमें दौलत कमाने की योग्यता नहीं
है। इसके अलावा उन्हें चोरों और डाकुओं का डर भी सताता है। इस तरह उनकी ज़िंदगी खोखली और कष्टकारी हो
जाती है।”
“शायद ऐसे लोग भी होंगे, जो मेहनत के बिना कमाई दौलत को लेकर उसे बढ़ा लें और सुखी नागरिक के
रूप में जीवन जिएँ। परंतु ऐसे लोग बहुत कम होंगे। मैंने आज तक ऐसे किसी व्यक्ति को नहीं देखा है, हालाँकि मैंने
इस बारे में कई अफ़वाहें ज़रूर सुनी हैं। अगर तुम लोगों को यक्रीन नहीं हो रहा हौ, तो अपनी जान-पहचान कै उन
लोगों के बारे में सोचो, जिन्हें विरासत में अचानक दौलत मिली थी। क्या ऐसा ही नहीं होता है?"
अरक्राद के मित्रों ने स्वीकार किया कि जिन लोगों को विरासत में दौलत मिली थी, उनके बारे में यह सच
था। परंतु मित्रं ने अरक्राद से कहा कि वह अपने दौलतमंद बनने की कहानी विस्तार से बताए। इसके जवाब में
अख्काद बोला,
“अपनी जवानी में मैने अपने चारों तरफ़ सुख और संतुष्टि देने वाली बहुत सी अच्छी चीज़ देखीं। इसके बाद
मैने यह भी देखा कि दौलत इन सबकी शक्ति को बढ़ा देती है।”
“दौलत में शक्ति होती है। दौलत हो, तो बहुत सौ चीजें संभव हँ।”
“आप अपने घर को सबसे महँगे सामान से सजा सकते है।”
“आप दूर देशों की यात्रा कर सकते हैं।”
“आप दूरके देशों के जायकेदार व्यंजनों का स्वाद चख सकते हैं।”
“आप सुनार और जौहरी से आभूषण ख़रीद सकते हैं। ”
“आप ईश्वर के भव्य मंदिर भी बनवा सकते हैं।"
“आप ये सारे काम कर सकते हैं और इसके अलावा अनेक ऐसे काम कर सकते हैं, जिनमे इंद्रं को आनंद
तथा आत्मा को सुख मिले।”
“और जब मुझे इन सब बातों का एहसास हुआ, तो मैंने यह संकल्प किया कि मैं ज़िंदगी की तमाम अच्छी
चीजें हासिल करके रहूँगा। मैं उन लोगों जैसा नहीं बनूंगा, जो दूर खड़े रहते हैं और सुखी लोगों से ईर्ष्या करते हैं। मैं
सस्ते कपड़ों में संतुष्ट नहीं रहूंगा, जिनमें लोग सम्मानजनक दिखने की कोशिश करते हैं। मैं गरीब आदमी की ज़िंदगी
से संतुष्ट नहीं रहैँगा । इसके विपरीत, मैं बेहतरीन चीज़ों के इस जश्न में खुद को एक सम्मानित अतिथि बनाऊँगा। "
“जैसा तुम लोग जानते हो, मेरे पिता एक छोटे व्यापारी थे और हमारा परिवार बड़ा था, इसलिए मुझे विरासत
में कुछ मिलने की ज़रा भी उम्मीद नहीं थी। जैसा तुम लोगों ने कहा है, मुझमें तीव्र बुद्धि या विशेष योग्यता भी नहीं
थी। इसलिए मैने फैसला किया कि अगर मैं अपनी इच्छा पूरी करना चाहता हू, तो इसके लिए मुझे समय और
ज्ञान की ज़रूरत हैं।"
“जहाँ तक समय का सवाल है, यह सबके पास प्रचुरता में होता है। तुम सबके पास दौलतमंद बनने के लिए
काफ़ी समय था, जिसे तुमने बर्बाद कर दिया है। तुम लोगों के अनुसार तुम्हारे पास संपतति के नाम पर सिर्फ तुम्हरे
परिवार हैं, जो सचमुच गर्व करे लायक हैं। ”
“जहाँ तक ज्ञान का सवाल है, तुम्हें याद होगा, हमारे बुद्धिमान अध्यापक ने हम सबको यह सिखाया था कि
ज्ञान दो तरह का होता है : एक तरह का ज्ञान वह होता है, जो हम सीखते और जानते हैं। और दूसरी तरह का ज्ञान
यह प्रशिक्षण है कि हम उस चीज़ का पता कैसे लगाएँ, जिसे हम नहीं जानते हैं?”
“इसलिए मैंने यह पता लगाने का फैसला किया कि दौलत का संग्रह कैसे किया जा सकता है। मैंने यह
संकल्प किया कि इसका तरीक्रा मालूम होते ही मैं दौलत का संग्रह के में जुट जाऊँगा और इस काम को अच्छी
तरह करुंगा। समझदारी इसी में है कि जब तक हम इस दुनिया में हैं, तब तक जिंदगी का आनंद लें, क्यॉँकि इस
दुनिया से जाने के बाद हमें पर्याप्त दुख मिलेंगे। ”
“मुझे रिकॉर्ड रूम में नक़्लनवीस का काम मिल गया। मैं हर दिन कई घंटों तक मृदापत्र (मिट्टी की टेबलेटस)
'पर मेहनत से लिखता रहा। महीनों मेहनत करने के बावजूद मैं दौलत के नाम पर कुछ भी इकड्रा नहीं कर पाया।
भोजन, कपड़े, देवताओं के प्रायश्चित और न जाने कितनी चीज़ों पर मेरी सारी कमाई खर्च हो जाती थी। लेकिन
(इसके बावज़ूद मेरा संकल्प कम नहीं हुआ। ”
'फिर एक दिन साहकार अलोमिश सिटी मास्टर के घर पर आए। उहोने नवें नियम की नक़ल माँगी और मुझसे
कहा, 'मुझे यह दो दिन में चाहिए, और अगर यह काम उस समय तक पूरा हो गया, तो मैं तुम्हें ताँबे के दो सिक्के
em’
मैंने कड़ी मेहनत की, परंतु वह नियम लंबा था और जब अलोमिश आए, तो काम अधूरा पड़ा था। वे नाराज़
होकर बोले कि अगर मैं उनका गुलाम होता, तो वे मेरी खाल उधेड़ लेते। बहरहाल, मैं जानता था कि सिटी मास्टर
उन्हें मुझ पर हाथ नहीँ उठाने देंगे, इसलिए मुझे इस बात का डर नहीं था। मैंने उससे कहा, ' अलोमिश, आप बहुत
अमीर है। मुझे बताएँ कि मैं भी अमीर कैसे बन सकता हूँ। अगर आप ऐसा करने का वायदा करें, तो मैं सारी रात
मृदापत्र पर लिखुँगा और सूरज उगने तक आपका काम पूरा हो जाएगा। '
वे मेरी तरफ़ देखकर मुस्कराए और बोले, “तुम बहुत ही दुस्साहस हो, परंतु मुझे यह सौदा मंजूर है।'
“मैं पूरी रात लिखता रहा, हालाँकि मेरी कमर में दर्द हो रहा था, तेल की बदबू से मेरा सिर घूम रहा था और
मेरी आँखों के सामने अँधेरा छा रहा था। लेकिन जब वे सुबह आए, तो नियम की पूरी नक़ल तैयार हो चुकी थी। "
'फिर मैने उनसे कहा, 'अब आप अपना वायदा पूरा करे!”
“वे दयालुता से बोले, 'तुमने सौदे का अपनी तरफ़ वाला हिस्सा पूरा कर लिया हैं, बेटे! और मैं अपना हिस्सा
पूरा करने के लिए तैयार हैं मैं तुम्हें वे सब बातें बताऊँगा, जो तुम जानना चाहते हो, क्योकि मैं बूढ़ा हो रहा हैँ और
बूढ़े लोगों को मुँह चलाना अच्छा लगता है। जब युवक बूढ़े लोगों के पास सलाह लेने आते हैं, तो उन्हें अनुभव से
हासिल ज्ञान मिलता है। परंतु अक्सर युवक यह मान लेते हैं कि बूढ़े लोगों के पास जो ज़ान है, वह गुज़रे जमाने का
ज्ञान है और वर्तमान में उससे कोई लाभ नहीं होगा। यही वजह है कि वे उस ज्ञान का लाभ नहीं उठाते हैं। मगर एक
बात हमेशा याद रखना, आज जो सूरज चमक रहा है, यह वही सूरज है जो तुम्हारे पिता के जमाने में चमकता था.
और यह सूरज तब भी चमकता रहेगा, जब तुम्हारे नाती-पोते इस दुनिया से चले जाएँगे।"
“ऊहोंने आगे कहा, 'युवाओं के विचार उन धूमकेतुओं की तरह होते हैं, जो अवसर आसमान को चमकदार
बना देते हैं, जबकि बुढ़ापे का ज्ञान सितारों की तरह होता है, जिनकी चमक में कोई फर्क नहीं आता है। इसीलिए
समुद्री यात्रा करने वाले लोग सितारों के आधार पर अपनी दिशा निर्धारित करते हैं, धूमकेतुओं के आधार पर नहीं
करते।”
“मेरे शब्दों को अच्छी तरह से गाँठ बाँध लो, क्योंकि आगर तुम मेरी बातों में छिपी सच्चाई को नहीँ समझ
'पाओगे, तो तुम्हें लगेगा कि तुम्हारी रात भर की मेहनत बेकार चली गई।”
“फिर उन्होंने अपनी मोटी भाँह के नीचे से मुझ पर तीखी निगाह डाली। इसके बाद वे धीमे परंतु सशक्त लहज़े
में बोले, 'मै दौलत की राह पर तब पहुँचा, जब मैंने यह फ़ैसला किया कि मैं अपनी कमाई का एक हिस्सा खुद
रखुँगा। अगर तुम भी ऐसा ही करो, तो तुम भी दौलत की राह पर पहुँच जाओगे।'
फिर वे मेरी तरफ़ पैनी निगाह से देखते रहे, पर बोले कुछ नहीं।
मैंने पूछा, 'बस इतना ही ?"
उन्होने जवाब दिया, 'भेड़ चराने वाले किशोर को साहकार में बदलने के लिए बस इतना ही काफ़ी था।'
मैने पूछा, 'परंत मैं जितना कमाता हूँ, वह सब मैं ही तो रखता हूँ। क्या यह सच नहीं है?”
उन्होने कहा, 'बिलकुल नहीँ है। क्या तुम दीं को पैसे नहीँ देते हो ? क्या तुम मोची को पैसे नहीं देते हो?
क्या तुम भोजन पर खर्च नहीँ करते हो? क्या तुम बैबिलांन में बिना खर्च किए ज़िंदा रह सकते हो? तुम्हारी पिछले
महीने की कमाई कहाँ है? पिछले साल की कमाई ? मुखं! तुम बाक्री सबको पैसे देत हो, परंतु खुद को नहीँ देते
हो। बेवकूफ़, तुम अपने लिए नहीं, दूसरों के लिए मेहनत करते हो। इससे अच्छा तो यह है कि तुम गुलाम बन जाओ
और मालिक तुम्हारी मेहनत के बदले में तुम्हें खाने तथा पहनने को दे। अगर तुम अपनी कमाई का दसवाँ हिस्सा
अपने पास रखोगे, तो तुम्हारे पास दस साल में कितनी दौलत जमा हो जाएगी?"
मेश गणित ठीक-ठाक था, इसलिए मैंने तत्काल जवाब दिया, 'मेरी एक साल की आमदनी के बराबर।'
वे बोले, 'तुम्हारी बात आधी सच है। देखो, तुम जो भी स्वर्ण मुद्रा बचाते हो, वह तुम्हारी गुलाम बनकर तुम्हारे
"लिए काम करती है। यह सवर्ण मुद्रा जितने भी तांबे के सिक्के कमाती है, वे सब इसकी संताने हैं और वे भी तुम्हारे
"लिए धन कमा सकते हैं। अगर तुम दौलतमंद बनना चाहते हो, तो तुम्हें अपनी बचत का निवेश करना चाहिए, ताकि
तुम्हारी बचत और इसकी संतानें धन कमाएँ तथा तुम्हें तुम्हारी मनचाही दौलत प्रदान करें।'
उन्होंने आगे कहा, "तुम्हें शायद यह लग रहा होगा कि मै तुम्हारी रात भर की मेहनत के बदले में तुम्हें गलत
सलाह दे रहा हूँ। परंतु यक्रीन करो, मैं तुम्हें हज़ार गुना ज़्यादा भुगतान कर रहा हैँ, बशर्तें तुममें मेरी बातों के पीछे
छिपी सच्चाई को समझने की बुद्धि हो।'
अपनी कमाई का एक हिस्सा खुद रखो। चाहे तुम्हारी कमाई कितनी ही कम क्यों न हो, तुम्हें इसके दसवें
हिस्से यानी दस प्रतिशत से कम नहीं बचाना चाहिए। तुम इससे जितना ज़्यादा बचा सकते हो, बचा लो। सबसे
'पहले ख़ुद को भुगतान करो। बची हुई कमाई मेँ अपना खर्च चलाओ। दजौं और मोची से इतना सामान मत ख़रीदो
'कि तुम अपनी बची हुईं आमदनी में से उनका भुगतान न कर पाओ। इसके अलावा, तुम्हें बची हुईं कमाई में से ही
भोजन, परोपकार और ईश्वर के प्रायश्चित के लिए भी ख़र्च करना होगा।
“पेड़ की तरह ही दौलत भी एक छोटे से बीज से उगती है। तुम्हार दवारा बचाया गया ताँबे का पहला सिक्का
वह वीज है, जिससे तुम्हारी दौलत का पेड़ उोगा। जितनी जल्दी तुम यह बीज बो दोगे, पेड़ उतनी ही जल्दी उगेगा।
तुम जितनी निष्ठा और निरंतरता से उस पेड़ में अपनी बचत का पानी सींचोगे, उतनी ही जल्दी तुम उसकी छाया के
नीचे आराम कर सकते हो।”
यह कहकर उन्होंने अपने मृदापत्र उठाए और चले गए।
मैने उनकी सलाह पर काफ़ी समय तक विचार किया और वह मुझे तर्कपूर्ण लगौ। इसलिए मैने उस पर
अमल कले का फैसला किया। जब भौ मैं कुछ कमाता था, तो ताँबे के दस सिक्कों में से एक निकालकर अलग
रख देता था। और अजीब बात यह थी कि मुझे खर्च चलाने में पहले से ज़्यादा दिक्कत नहीं हुईं। मुझे कोई फ़रक
महसूस नहीं हुआ और मैं अपनी आमदनी के दसवें हिस्से के बिना ही गुज़ारा करे लगा। धीरे-धीरे मेरी बचत का
आकार बढ़ने लगा। अपनी बढ़ती बचत को देखकर मेरा मन ललचाता था कि मै इसे खर्च करके व्यापारियों से वे
अच्छी-अच्छी चीजें खरीद लूँ, जो ऊँटों और जहाजं से फ़ीनिशियन्स के देश से आती हैं। परंतु मैंने समझदारी से
काम लिया और ऐसा नहीं किया।
एक साल बाद अलोमिश दुबारा आए और उन्होंने मुझसे पूछा, “बेटे, तुमने पिछले साल जितना कमाया है,
क्या तुमने उसका कम से कम दसवाँ हिस्सा अपने लिए बचाया है?”
मैंने गर्व से जवाब दिया, 'हाँ, मैंने ऐसा किया है।'
उन्होंने मुस्कराकर कहा, “यह तो बहुत अच्छी बात है। और तुमने उस पैसे का क्या किया?”
“मैंने इसे ईट बनाने वाले अज़मर को दे दिया, जिसने मुझसे कहा था कि वह दूर देशों की यात्रा करने जा रहा
है और वह टायर से मेरे लिए फ़ीनिशियन्म के दुर्लभ रन्न ख़रीद लाएगा। उसके लौटने के बाद हम उन रनों को ज़्यादा
क्रीमत पर बेचकर मुनाफ़ा कमाएँगे और मुनाफ़े को आपस में बाँट लेंगे। "
चे गुराँकर बोले, 'हर मूर्ख अपनी ही गलती से सीखता है। परंतु तुमने रत्नों के बारे में ईंट बनाने वाले पर भरोसा
क्यों किया? क्या तुम ब्रेड बनाने वाले से ज्योतिष की भविष्यवाणी पूछते हो ? नहीं, अगर तुममें ज़रा भी बुद्धि है, तो
तुम इसके लिए ज्योतिषी के पास जाते हो। तुम्हारी पूरी बचत अब चली गई है। बेटे, तुमने अपनी दौलत के पेड़ को
जड़ से उखाड़ दिया है। परंतु तुम इसे दुबारा बो सकते हो। दुबारा कोशिश करो। और अगली बार अगर तुम्हें रत्रों के
बारे में सलाह की ज़रूरत हो, तो जौहरी के पास जाना। अगर तुम्हें भेड़ों के बारे में सच्चाई जानना हो, तो गड़रिए के
पास जाना। सलाह एक ऐसी चीज़ है, जिसे लोग मुफ़्त में बाँटते है परंतु इस बारे में सतर्क रहने की ज़रूरत है। वही
“सलाह मानो, जो मानने योग्य हो। जो व्यक्ति अपनी बचत के बारे में अनुभवहीन व्यक्तियों से सलाह लेता है, वह
गलत सलाह के कारण अपनी बचत गँवा देत है।' इतना कहकर वे चले गए।
और जैसा उन्होंने कहा था, वैसा ही हुआ। क्योंकि बदमाश फ़ीनिशियन्स ने अज़मर को रल्नों की तरह दिखने
वाले काँच के सस्ते टुकड़े पकड़ा दिए। परंतु जैसा अलहोमिश ने मुझसे कहा था, मन दुबारा अपनी कमाई का दसवाँ
'हिस्सा बचाया। अब मेरी बचत करले की आदत पड़ चुकी थी, इसलिए यह काम मुश्किल नहीँ था।
'एक साल बाद अलोमिश फिर से नक्रलनवीसों के कमरे में आए और मुझसे पूछने लगे, 'हमारी पिछली
मुलाक़ात के बाद तुमने कितनी तरक्की कर ली है?"
मैंने जवाब दिया, 'मैने खुद को भुगतान किया है और अपनी आमदनी का दसवाँ हिस्सा बचाया है। मैंने अपनी
बचत ढाल बनाने वाले अगर को काँसा ख़रीदने के लिए दे दी है। वह मुझे हर चौथे महीने ब्याज देता है।'
“यह तुमने अच्छा किया। परंतु यह तो बताओ, तुम उस ब्याज का क्या करते हो ?”
“मैं उससे बेहतरीन जश्न मनाता हूँ। मैं शहद, बेहतरीन शराब और केक का लुत्फ़ उठाता हूँ। मैंने एक लाल
जैकेट भी खरीद ली है। और जल्दी हौ मैँ सवारी करने के लिए एक खच्चर भी खरीदने वाला है।”
इस पर अलोमिश हैंसे, 'तुम अपनी बचत की संतानों को खा रहे हो। फिर तुम यह उम्मीद कैसे कर सकते हो.
कि वे तुम्हारे लिए काम करेंगी। और फिर उनकी संतानें कैसे होंगी, जो तुम्हारे लिए काम कर सकें? ? सबसे पहले
सिक्कों के गुलामों की सेना बनाओ। इसके बाद तुम बिना पछताए बेहतरीन जश्न मना सकते हो।' इतना कहकर
वे चले गए।
इसके बाद मैंने उन्हें दो साल बाद देखा। बुढ़ापे के कारण उनके चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ चुकी थीं और उनके कंधे
झुक गए थे। उन्होंने मुझसे पूछा, 'अरक्वाद, क्या तुम्हें वह दौलत मिल चुकी है, जिसका तुमने सपना देखा था?'
मैंने जवाब दिया, 'उतनी तो नहीं मिली, जितनी मैं चाहता था, परंतु मेंरे पास कुछ संपत्ति जमा हो गई है। यह
संपत्ति ब्याज कमाती है तथा इसका ब्याज और ब्याज कमाता है।'
“और क्या तुम अब भी ईंट बनाने वालों से सलाह लेते हो?”
मैने जवाब में कहा, “इटं के बार में वे अच्छी सलाह देते हैं।”
यह सुनकर वे बोले, 'अरक्राद, तुमने मेरै सबक़् अच्छी तरह से सीख लिए हैं। पहले तो तुमने यह सीखा कि
अपनी आमदनी से कम में अपना खच॑ कैसे चलाया जाए। फिर तुमने उन लोगों से सलाह लेना सौखा, जो उप क्षेत्र
का अनुभव और ज्ञान रखते हों। और अंत मं तुमने यह सीखा कि धन से अपने लिए काम कैसे करवाया जाता है।
“तुमने यह सख लिया है कि धन को कैसे हासिल किया जाता है, इसे अपने पास कैसे रखा जाता है और
इसका प्रयोग कैसे किया जाता है। इसलिए तुम ज़िम्मेदारी का पद संभालने के योग्य बन चुके हो। मैं अब बूढ़ा
हो रहा हैँ। मेर पुत्र हमेशा खर्च करने की योजनाएँ बनाते रहते हैं और कमाने के बारे मं ज़रा भी नहीं सोचते हैं। मेरी
जायदाद बहुत फैली हुई है और मैं उसे नहीं संभाल सकता हैं, कयाँकि अब मैं बूढ़ा हो चुका हूँ। अगर तुम निष्पर
जाकर मेरी जांयदाद संभाल लो, तो मैं तुम्हें अपना पार्टनर बना लूंगा।"
+इस तरह मैंने निप्पर जाकर उनकी जायदाद सँभाल ली, जो काफ़ी बड़ी थी। चूँकि मुझमें प्रबल
महत्वाकांक्षा थी और मैंने दौलत सँभालने के तीन नियमों में निपणता हासिल कर ली थी, इसलिए मैंने उनकी
जायदाद के लाभ को बहुत बढ़ा लिया। परिणाम यह हुआ कि मेरे पास काफी पैसा आ गया और जब अलोमिश
इस दुनिया से चले गए, तो मुझे उनकी वसीयत के मुताबिक़ उनकी जायदाद का कुछ हिस्सा भी मिल है गया।”
अरक्राद ने जब अपनी कहानी ख़त्म की, तो एक मित्र ने कहा, “तुम सचमुच ख़ुशक्रिस्मत थे कि अलोमिश ने
तुम्हें अपना वारिस बनाया। "
“मैं सिर्फ़ इस मामले में खुशक्रिस्मत था कि उनसे मिलने से पहले मेरे मन में दौलतमंद बनने की इच्छा थी।
कया मैने चार साल तक अपनी आमदनी का दसवाँ हिस्सा बचाकर यह साबित नहीं किया था कि मुझमें अपने लक्ष्य
'तक पहुँचने की लगन थी? क्या आप उस सफल मछुआरे को खुशक्रिस्मत कहेंगे, जिसने बरसों तक मछलियों की
आदतों का अध्ययन किया है, ताकि वह हर बदलती हवा के साथ उन पर अपना जाल फेंक सके ? अवसर एक
मंडी देवता है, जो उन लोगों पर समय बर्बाद नहीं करता, जो तैयार न हों।”
एक और मित्र बोला, “आपमें इतनी दूढ़ इच्छाशक्ति थी कि आप पहले साल की बचत डूबने के बाद भी यह
काम करते रहे। इस मामले में आप असाधारण हैं।”
अरक्राद ने कहा, “इच्छाशक्ति बकवास! क्या तुम्हें लगता है कि इच्छाशक्ति मनुष्य को वह बोझ उठाने की
शक्ति दे सकती है, जो ऊँट नहीं उठा सकता ? क्या इच्छाशक्ति मनुष्य को वह भारी बैलगाड़ी खींचने की शक्ति
दे सकती है, जिसे बैल नहीं हिला सकता ? इच्छाशक्ति और कुछ नहीं, बल्कि वह काम करने का दृढ संकल्प है,
जिसे पूरा करने का आपने फैसला किया है। आगर मैंने कोई काम कसे का फैसला किया है, तो चाहे वह कितना ही
छोटा क्या न हो, म उसे पूरा करता हूँ। वरना मुझमें महत्वपूर्ण काम करने के लिए आत्मविश्वास कैसे आएगा ? आगर
मैं खुद से यह कहें, 'शहर जाने वाले पुल को पार करते समय मैं सौ दिन तक हर दिन सड़क से एक कंकड़ उठाकर
नदी में डालूँगा,' तो मै ऐसा हर दिन कहेँगा। अगर सातवें दिन पुल पार करते समय मैं कंकड़ डालना भूल जाऊँ, तो
मैं लौटकर यह नहीं कहुँगा, 'कल मैं दो कंकड़ डाल दूँगा । इसे कोई फर्क नहीं पडेगा।' नहीं, मैं दुबारा पुल तक
जाऊँगा और कंकड़ डालूँगा। न ही बीसवें दिन मैं खुद से यह कहुँगा, 'अरकाद, यह बेकार का काम है। हर दिन एक
'कंकड़ डालने से क्या फ़ायदा होगा ? इससे अच्छा तो यह है कि मुट्टी भर कंकड़ उठाकर नदी में एक साथ डाल दो
और इस झंझट को ख़त्म करो। ' नही, मं ऐसा नहीँ कहग, मै ऐसा नहीं कँगा | जब मैं किसी काम को कसे का
फैसला करता हूँ, तो मैं उसे पूरा करके ही दम लेता हूं। इसलिए मैं इस बात का ध्यान रखता हूँ कि मैं कठिन और
अव्यावहारिक काम शुरू न करु, क्याकि मुझे फुरसत में रहना और आराम करना पसंद है।”
फिर एक और मित्र बोला, “आपकी बातें तर्कपूर्ण हैं। और अगर ये सच हैं, तो यह काम बहुत आसान है।
अगर सब लोग ऐसा ही कसे लगें, तो फिर दौलत इस हाथ से उस हाथ तक कैसे पहुँच पाएगी ?”
अरक्राद ने जवाब दिया, “जहाँ भी मनुष्य श्रम करते हैं, वहाँ दौलत बढ़ती है। आगर कोई अमीर आदमी एक
नया महल बनाता है, तो क्या उसका खर्च किया हुआ पैसा गायब हो जाता है ? नहीं, इंट वाले को इसका एक
हिस्सा मिलता हैं, मज़दूरों को इसका एक हिस्सा मिलता है, कारीगर को इसका एक हिस्सा मिलता है। जो भी उस
महल को बनाने में मेहनत करता है, उसे उस थन में से हिस्सा मिलता है। और जब महल बनकर तैयार हो जाता
है, तो क्या यह इसकी लागत जितना मूल्यवान नहीं होता है? क्या महल बनने के कारण उस भूमिं का मूल्य नहीँ
बढ़ जाता है, जिस पर यह बना है? और क्या महल बनने के कारण इसके पास वाली भूमि की क्रीमत भी नहीं बढ़
जाती है ? दौलत जादुई तरौके से बढ़ती है। कोई भौ व्यक्ति इसकी सीमा की भविष्यवाणी नहीँ कर सकता।
फ़ीनिशियन्स के समुद्री जहाज़ दूसरे देशं के व्यापार से जो धन कमाकर लाते हैं, कया उसत धन से उन्होंने वीरान
समुद्र तटों पर बड़े शहर नहीँ बना लिए हैं?”
एक और मित्र ने पूछा, “तो फिर आप हमें अमीर बनते के लिए क्या करने की सलाह देते हैं? हमारे बहुत साल
बर्बाद हो चुके हैं। हमारी जवानी चली गई है। और हमारे पास बचत के नाम पर कुछ भी नहीं है।”
मैं सलाह देता हूँ कि आप अलोमिश की समझदारी से सौख लें और खुद से कहें, 'मै जितना कमाऊँगा, उसका
'एक हिस्सा खुद रखूँगा।' इस वाक्य को सुबह उठते समय दोहराएँ। इसे दोपहर में दोहराएँ। इसे रात में दोहराएँ। इसे
हर दिन, हर घंटे दोहराएँ। आप ख़ुद से तब तक यह कहते रहें, जब तक कि ये शब्द आसमान में आग के अक्षरों की
तरह साफ़ नज़र न आने लगें
अपने मन पर इस विचार की मोहर लगा लें। अपने मस्तिष्क में इस विचार को भर लें। फिर आमदनी का.
जितना हिस्सा तर्कसंगत लगता हो, उतना बचाएँ। आपकी यह बचत आपकी आमदनी के दसवें हिस्से यानी दस
प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए। फिर इस हिस्से को अलग रख दें। अगर आवश्यक हो, तो अपने बाक्री खर्च
कम कर दें। परंतु सबसे पहले दसवें हिस्से को अलग रख दें। जल्दी ही आप खुद को एक ऐसे खज़ाने का स्वामी
पाएँगे, जिस पर सिर्फ़ आपका हक़् होगा। इससे आपको बहुत सुख मिलेगा। जब आपका खज़ाना बढ़ेगा, तो इससे
आपको प्रेरणा मिलेगी। जिंदगी का एक नया आनंद आपको रोमांचित करेगा। फिर आप ज्यादा कमाने के लिए
ज़्यादा कोशिश करेंगे, क्योंकि आपकी आमदनी जितनी बढ़ेगी, आपकी बचत भी उतनी ही बढ़ेगी।
'इस़के बाद अपने ख़ज़ाने से अपने लिए काम करवाना सीखें। इसे अपना गुलाम बनाएँ। इसकी संतानों और
इसकी संतानों की संतानों से अपने लिए काम करवाएँ।
भविष्य की आमदनी सुनिश्चित कर लें। बूढ़े लोगों को देखें और यह याद रखें कि किसी दिन आपकी गिनती
भी इन्हीं लोगों में होगी। इसलिए अपने ख़ज़ाने का निवेश बहुत सावधानी से करें, ताकि आप इसे गँवा न दें। बदले
में बहुत ज़्यादा मुनाफ़ा वह धोखेबाज़ जलपरी है, जो अपने मधुर गीत से असावधान व्यक्ति को मोहित करके
चट्टानों की ओर आकर्षित करती है, जहाँ वह नुक़सान और पश्चाताप की चट्टानों से टकराकर ध्वस्त हो जाता है।
इस बात की व्यवस्था भी कर लें कि अगर देवता आपको अपने पास बुला लें, तो आपके परिवार पर आर्थिक
संकट न आए। समय-समय पर बीमे का थोड़ा भुगतान करने से ऐसी सुरक्षित व्यवस्था करना संभव है। इसलिए
समझदार व्यक्ति ऐसे समझदारीपूर्ण उद्देश्य के लिए धन ख़र्च करे मैँ देर नहीं करता है
बुद्धिमान लोगों से सलाह लें। धन संबंधी काम करने वाले लोगों से सलाह लें। वे आपको उस तरह की
गलती से बचा लेंगे, जो मैंने अपने घन को ईंट बनाने वाले अज़मर के हवाले करते समय की थी। कम परंतु सुरक्षित
लाभ जोखिम लेने से बेहतर है।
“जब तक आप इस दुनिया में हैं, इसका आनंद लें। अपनी क्षमता से ज़्यादा मेहनत न करें। बहुत ज़्यादा धन
बचाने की कोशिश भी न करें। अगर आप अपनी आमदनी के दसवें हिस्से को आराम से बचा सकते हैं, तो इतना
बचाकर ही संतुष्ट रहें। इसके अलावा, अपनी आमदनी के हिसाब से ज़िंदगी गुज़ारें। बहुत ज़्यादा कंजूस न बनें,
न ही खर्च करे से डें। ज़िंदगी बहुत अच्छी है और ज़िंदगी में ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जिकका आनंद लिया जाना
चाहिए।”
अरक्राद के मित्रोँ ने उसे धन्यवाद देकर उससे विदा ली। लौटते समय कुछ मित्र तो ख़ामोश थे, क्योंकि उनमें
कल्पनाशक्ति नहीं थी और वे अरक्राद की बातों का पूरा मतलब नहँ समझ पाए थे। कुछ आलोचना कर रहे थे,
क्योंकि वे सोच रहे थे कि इतने अमीर आदमी को अपनी दौलत का कुछ हिस्सा अपने गरीब दोस्तो में बाँट देना
चाहिए। परंतु कुछ की आँखों में एक नई चमक थी। वे जानते थे कि अल्होमिश हर बार नक़्लनवौसों के कमरे में
लौटा था, क्योकि वह अर्काद को अंधकार से निकलकर प्रकाश की ओर जाते देख रहा था। जब अरक्वाद को ज्ञान
का प्रकाश मिल गया, तो एक अवसर, एक पद उसका इंतज़ार कर रहा था। कोई भी उस जगह को नहीँ भर सकता
था, जब तक कि वह अपने ज्ञान को बढ़ा न ले और अवसर के लिए तैयार न हो।
ाद वाले लोग कई सालों तक अरक्राद से बार-बार मिलने गए, जिसने खुशी से उनका स्वागत किया। उसने
उन्हें काफ़ी समझदारी भरी सलाह दी, जैसा अनुभवी लोग हमेशा खुशी-खुशी करते हैं। और उसने उनकी बचत के
निवेश में मदद भी की, ताकि उं सुरक्षित ब्याज मिल सके और उनका मूलधन सुरक्षित रहे या वे ऐसे निवेशों में न
उलझ जाए, जिनमें उन्हें कोई लाभ न हो।
इन लोगों की ज़िंदगी में बदलाव का क्षण उस दिन आया, जब उन्हें उस सत्य का एहसास हुआ, जो अलोमिश
से अरक्राद ने और अरक्राद से उन्हेनि सौखा था।
अपनी आमदनी का दसवाँ हिस्सा खुद के लिए बचाकर अलग रखेँ।
ख़ाली पर्स के सात इलाज
ae 'बहुत ही समृद्ध शहर था। इतने युणों बाद भी यह दुनिया के सबसे समृद्ध शहर के रूप में मशहूर है,
जिसका खज़ाना हमेशा भर रहता था।
परंतु हमेशा से ऐसा नहीं था। बैबिलॉन की अमीरी का कारण यह था कि इसके नागरिक बुद्धिमान थे। उन्होंने
अमीर बनने का फ़ॉर्मूला सीख लिया था।
जब सप्राट सार्गन अपने शत्रुओं को पराजित करने के बाद बैबिलॉन लौटे, तो उन्हें एक गंभीर स्थिति का सामना
करना पड़ा। उनके वज़ीर ने उन्हें बताया,
“महामहिम ने सिंचाई के लिए बड़ी नहँ और पूजा-अर्चना के लिए ऊँचे मंदिर बनवाए, जिस वजह से प्रजाजन
कई साल तक समृद्ध रहे। परंतु अब ये काम पूरे हो गए हैं, इसलिए ज़्यादातर नागरिक अपनी गुज़र-बसर नहीं कर
पा रहे हैं।”
“मज़दूर बेगोज़गार हैं। व्यापारियों की ग्राहकी बहुत कम हो गई है। किसानों की फ़सल नहीँ बिक रही है।
लोगों के पास सामान ख़रीदने के लिए पर्याप्त धन नहीँ है।”
राजा ने पूछा, “हमने नहर और मंदिर बनवाने में इतना सारा धन खर्च किया था। आखिर वह धन गया कहाँ?”
वज़ीर ने कहा, “महाराज, वह धन हमारे शहर के मुठी भर अमीर लोगों के पास चला गया है। वह धन हमारे
अधिकांश नागरिकों की ऊँगलियो में से उसी तरह फिसल गया, जिस तरह बकरी का दूध छलनी में से फिसल जाता
है। चूँकि अब धन की नदियाँ बहना बंद हो गई हैं, इसलिए ज़्यादातर लोगों की आमदनी भी खत्म हो गई है।”
सप्नाट कुछ समय तक सोचते रहे। फिर उन्होंने पूछा, “इतना सारा घन मुट्ठी भर लोगों के पास कैसे चला
गया?”
‘aire ने जवाब दिया, “क्योंकि वे इसका तरीक़ा जानते थे। हम सफल लोगों की इस कारण निंदा नहीं कर
सकते, क्योंकि वे सफल होने का तरीक़ा जानते हैं। इसके अलावा यह भौ उचित नहीं होगा कि वैध रूप से कमाए
धन को ज़बर्दस्ती छीनकर कम योगय व्यक्तियों मं बाँट दिया जाए।”
सम्राट ने पूछा, “सब लोग यह क्यों नहीँ सीखते कि धन इकट्ठा कैसे किया जाता है, ताकि मेरे शहर का हर
आदमी अमीर बन जाए? ? क्या यह संभव नहीं है?”
“बिल्कुल संभव है, महाराज। परंतु उन्हें सिखाएगा कौन ? पुरोहित और पुजारी तो निश्चित रूप से ऐसा नहीँ
कर सकते, क्योंकि उन्हें धन कमाने के बारे में रत्ती भर भी ज्ञान नहीं है। ”
सप्राट ने पूछा, “वज़ीर, दौलतमंद बनने का तरीक़ा हमारे शहर में सबसे अच्छी तरह कौन जानता है?”
“आपके सवाल में ही जवाब छिपा है, महाराज। बैबिलांन में सबसे ज़्यादा दौलत किसके पास है ?”
“मेरे क्राबिल वज़ीर, तुमने बहुत अच्छी बात कही है। अरक्राद के सिवा और कौन हो सकता है। वह बैबिलॉन
का सबसे अमीर आदमी है। उसे कल मेरे सामने पेश करो। ”
आगले दिन सम्राट के आदेश के अनुसार अरक्राद उनके सामने उपस्थित हुआ। हालाँकि उसकी उप्र सत्तर वर्ष
हो चुकी थी, परंतु वह अब भी चुस्त और फुताला था।
सम्राट ने कहा, “अरक्राद, क्या यह सच है कि तुम वैबिलांन के सबसे अमीर आदमी हो ?”
"लोग ऐसा कहते हैँ, महामहिम, और कोई भी इसका विरोध नहीं करता है।”
“तुम इतने दौलतमंद कैसे बने ?”
“उन अवसरों का लाभ लेकर, जो हमार शष्ठ शहर के सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध हैं।”
“तुम्हारे पास शुर में तो कुछ नहीँ धा ?”
“सिर्फ दौलत कमाने की प्रबल इच्छा थी। इसके अलावा और कुछ भी नहीं था।”
सम्राट ने आगे कहा, “अस्क्राद, हमारे शहर की स्थिति बहुत गंभीर है। सिर्फ़ मुट्ठी भर लोग ही दौलत कमाने
का तरीक़ा जानते हैं, इसलिए घन पर उनका एकाधिकार हो गया है, जबकि हमारे अधिकांश नागरिक यह नहीं
जानते हैं कि वे अपनी आमदनी में से बचत करके दौलतमंद कैसे बन सकते हैं।"
“मैं चाहता हूँ कि बैबिलॉन दुनिया का सबसे अमीर शहर बन जाए। इसलिए इसमें बहुत से दौलतमंद लोग
होना चाहिए। इसके लिए हमें सब लोगों को यह सिखाना होगा कि अमीर कैसे बना जाता है। मुझे बताओ अरक्राद,
क्या दौलतमंद बनने का कोई रहस्य या फ़ॉर्मूला है ? क्या इसे सिखाया जा सकता है?”
“महामहिम, जो एक व्यक्ति जानता है, उसे दूसरों को भी सिखाया जा सकता है।”
सप्राट की आँखों में चमक आ गई, “अरक्राद, तुमने वहीं शब्द बोल दिए, जो मैं सुनना चाहता था। क्या तुम
इस महान काम मेँ अपना सहयोग दोगे ? क्या तुम कुछ लोगों को सिखा सकते हो, जो आगे चलकर दूसरों को
'सिखाएँ, जब तक कि हम अपने शहर के हर नागरिक को अमीर बनने का फ़ॉर्मूला न सिखा दें ?"
अस्क्वाद ने सिर झुकाकर कहा, “मैं आपका विनप्न सेवक हूँ और आपके आदेश का पालन BET मेरे पास
जितना भी ज्ञान है, मैं उसे अपने साथी नागरिकों की बेहतरी और सप्राट की संतुष्टि के लिए ख़ुशी-ख़ुशी दूँगा। अगर
वज़ीर साहब मेरी कक्षा के लिए सौ लोगों का प्रबंध कर दें, तो मैं उन्हें ख़ाली पर्स के सात इलाज बताऊँगा। कभी
मेरा पर्स बैबिलॉन का सबसे ख़ाली पर्स था, परंतु मैंने इन सात इलाजों से उसे मोटा कर लिया।”
पंद्रह दिन बाद सप्राट के हुक्र्म से सौ लोग शिक्षण मंदिर के बड़े हॉल में एकत्रित हुए। वे अर्धवृत्त के आकार
मं बैठे थे। अरक्राद एक छोटे चबूतरे के पास बैठा था, जहाँ पवित्र दीपक जल रहा था, जिसमें से एक अजीब और
अच्छी खुशबू आ रही थी।
जब अरक्राद उठा, तो एक विद्यार्थी ने अपने पड़ोसी को कोहनी मारते हुए कहा, "बैबिलान के सबसे अमीर
आदमी को देखो। परंतु बह भी हम लोगों की तरह ही इंसान है।”
अर्क्रादने बोलना शुरू किया, “हमारे महान सप्राट के आज्ञाकारी सेवक के रूप में मैं आपके सामने खड़ा हूँ।
चूँकि मैं भी कभी धन की प्रबल इच्छा रखने वाला गरीब युवक था और चूँकि मैने अपने ज्ञान की बदौलत प्रचुर
"दौलत हासिल की है, इसलिए सत्राट चाहते है कि मैं आपको वह जान प्रदान के, ताकि आप भी दौलतमंद बन
सकें।”
“मेरी जीवनयात्रा बहुत गरीबी में शुरू हुई थी। मेरे पास ऐसा कोई लाभ नहीं था, जो आपके या बैबिलॉन के
बाक्री नागरिकों के पास न हो। ”
“उस समय मेरे पास एक बहुत पुराना पर्स था। वह हमेशा ख़ाली रहता था और मुझे इस बात से बहुत चिढ़
होती थी। मैं चाहता था कि मेरा प्स मोटा रहे और इसमें सोने के सिक्के खनखनाते रहें। इसलिए मैं खालौ पर्स के
(इलाज खोजने में जुट गया। मुझे कुल सात इलाज मिले।”
“आज मैं आप लोगों को ख़ालौ पर्स के सात इलाज बताऊँगा। जो लोग बहुत दौलतमंद बनना चाहते है, मं
उन्हें सलाह देता हूँ कि वे इन इलाजों पर अमल करें। सात दिनों तक हर दिन मैं आपको ख़ालौ पर्स के सात इलाजों
मं से एक-एक इलाज बताऊँगा।”
“मेरी बातों को ध्यान से सुनें। मेरे साथ बहस करें। आपस में चर्चा करें। ये सबक़् अच्छी तरह से सीख लें,
ताकि आप भी अपने पर्स में दौलत का बीज बो सकें। सबसे पहले तो आपको इस ज्ञान से लाभ उठाकर दौलतमंद
बनना होगा। इसके बाद ही आप इस क्राबिल बनेंगे कि आप ये सबक़् दूसरों को सिखा सकें।”
“मैं आपको पर्स मोटा करने के आसान तरीके सिखाऊँगा। यह दौलत के मंदिर की पहली सीढ़ी है। कोई भी
आदमी बाक्री सौढ़ियाँ तब तक नहीँ चढ़ सकता, जब तक वह इस पहली सीढ़ी पर दृढ़ता से अपने क़्दम न रख ले.
“अब हम पहले इलाज पर विचार करते हैं।"
पहला इलाज
अपने पर्स को मोटा करना शुरू करें
अर्काद ने दूसरी पंक्ति मं बैठे एक विचारमग्न व्यक्ति से पूछा, “मेरे प्रिय मित्र, आप कया करते हैं?”
उस आदमी ने जवाब दिया, “मैं एक नक्रलनवीस हूँ और मृदापत्रों पर रिकॉर्ड लिखता हैँ। ”
“मैने भी यहीँ से शुरुआत की थी। इसलिए आपके पास भी दौलतमंद बनने का उतना ही अवसर है, जितना
मेरे पास था।”
फिर अरकाद ने पीछे की तरफ़ बैठे एक लाल चेहरे वाले आदमी से पूछा, “आप अपनी आजीविका कैसे
कमाते हैं ?"
उस आदमी ने जवाब दिया, “मैं माँस बेचता हूँ। मैं किसानों से बकरियाँ खरीदकर उन्हें जिबह करता हूँ और
फिर उनका माँस गृहिणियों को तथा उनकी खाल जूते बनाने वालों को बेचता हूँ।"
“चूँकि आप भी मेहनत करके कमाते हैं, इसलिए आपके पास भी सफल होने का उतना ही अवसर है, जितना
मेरे पास था।”
इस तरह अरक्राद ने यह पता लगाया कि हर आदमी कौन सा काम करके अपनी आजीविका कमाता है। सब
लोगों से सवाल पूछने के बाद उसने कहा,
“अब मेरे विद्यार्थियों, आप देख सकते हैं कि ऐसे बहुत से काम और श्रम होते हैं, जिनसे इंसान धन कमा
सकता है। कमाई का हर तरीक्रा धन की नदी की तरह है। काम करे वाला अपनी मेहनत से उस नदी का रूख अपने
पर्स की तरफ़ मोड़ लेता है। इसलिए आपके पर्स में आपकी योग्यता के अनुसार धन की छोटी या बड़ी धारा बहती
है। क्या यह सच नहीं है?”
सब लोगों ने कहा कि यह सच है।
अरक्राद ने कहा, “अगर आप दौलतमंद बनना चाहते हैं, तो क्या यह समझदारीपूर्ण नहीं है कि आप दौलत के
उस स्रोत का उपयोग करना शुरू करें, जिसे आपने पहले से स्थापित कर रखा है ?”
इस पर भी वे सहमत हो गए।
फिर अरक्ाद अंडों के एक ग़रीब व्यापारी की ओर मुड़ा। अरक्राद ने उससे पूछा, “अगर आप किसी डलिया में
हर सुबह दस अंडे रखें और हर शाम को उसमें से नौ अंडे निकालें, तो कुछ समय बाद क्या होगा ?”
“कुछ समय बाद वह डलिया पूरी भर जाएगी।”
“mit 2”
“क्योंकि मैं हर दिन उसमें जितने अंडे डालता हूँ, उससे एक अंडा कम निकालता हूँ।”
अरक्वाद मुस्कराते हुए कक्षा की ओर मुड़ा, “क्या आपमें से किसी का पर्स ख़ाली है ?”
वे लोग पहले तो खिसियाकर हँसे, फिर उन्होंने मज़ाक़ में अपने खाली पर्स लहराकर अरक्राद को दिखाए।
अरक्राद आगे बोला, “ठीक है। अब मैं आपको खाली पर्स का पहला इलाज बताता हुँ। आप वही करें,
जिसका सुझाव मैने अडे के व्यापारी को दिया था। अपने पर्स में डाले गए दस सिक्कों मंसे सिर्फ नौ सिक्के बाहर
निकालें। जब आप अपनी सिर्फ नब्बे प्रतिशत आमदनी ही खर्च करेगे, तो जल्दी हीं आपका पर्स मोटा होने लगेगा।
यर्स भारी होने से आपको अच्छा लगेगा और आपके कलेजे को ठंडक पहुँचेगी। "
यह सबक्र बहुत साधारण लगता है, परंतु साधारण होने के कारण मेरी कही बात को हल्केपन से न लें। सत्य
हमेशा साधारण होता है। मैं आपको बताऊँगा कि मैने दौलत कैसे इकड्टी की। मैने भी इसी तरह शुरुआत की थी।
पहले मेरा पर्स भी हमेशा खाली रहता था और मैं इसे कोसा करता था, क्योंकि इसमें मेरी इच्छाओं को संतुष्ट कले
के लिए धन नहीं रहता था। लेकिन जब मैंने अपने पर्स में दस सिक्के डालकर सिर्फ़ नौ सिक्के बाहर निकालना शुरू
किया, तो यह भारी होने लगा। इस उपाय पर चलने से आपका पर्स भी भारी हो जाएगा।
अब मैं आपको एक विचित्र सत्य बताता हूँ, जिसका कारण मैं नहीं जानता हूँ। जब मैने खर्च के लिए सिर्फ़
नब्बे प्रतिशत आमदनी रखौ, तब भी मेरा खर्च उतनी ही अच्छी तरह से चलता रहा। मै पहले जितनी कड़की में रहता
था, लगभग उतनी ही कड़की में रहा। इसके अलावा कुछ समय बाद धन मेरे पास पहले से ज़्यादा आसानी से आने
लगा। निश्चित रूप से यह देवताओं का नियम है कि जो व्यक्ति अपनी आमदनी का एक निश्चित हिस्सा बचाकर
रखता है और उसे खर्च नहीं करता है, उसके पास धन ज्यादा आसानी से आता है। इसौ तरह यह भी सही है कि धन
ख़ाली पर्स वाले पर मेहरबान नहीं होता है।
आप किस चीज़ को पाने के ज़्यादा इच्छुक हैं ? क्या आपके लिए रोज़मर्र की तात्कालिक इच्छाओं की
संतुष्टि ज़्यादा महत्वपूर्ण है आभूषण, वस्त्र, सजावट की चीज़ें, बेहतरीन व्यंजन ? ये चीजें जल्दी ही चली जाती हैं
और भुला दी जाती हैं। या फिर आपके लिए दूरगामी इच्छाएँ ज़्यादा महत्तवपूर्ण हैं - विशाल जायदाद, स्वर्ण, भूमि,
मवेशी, व्यापार, आमदनी देने वाले निवेश ? आप अपने परस मं से जो सिक्के निकालते हैं, उससे आपकी तात्कालिक
इच्छाएं पूरी होती हैं। आप अपने प्स मे जो सिक्के बचाते हैं, उनसे आपकी दूरगामी इच्छाएँ पूरी होती हैं।
“मेरे विद्यार्थियों, यह ख़ाली पर्स का पहला इलाज था, जिसे मैंने खोजा था। मैं पर्स में दस सिक्के डालता था.
और उनमेँ से सिर्फ नौ सिक्के खर्च करता था ।” आप लोग इस पर आपम में चचां करें और अगर किसी को इसमें
कोई गड़बड़ नज़र आए, तो वह कल मुझे बता दे। ”
दूसरा इलाज
ख़र्च को नियंत्रित करें
अरक्ाद ने दूसरे दिन अपने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, आपमें से कुछ लोगों ने मुझसे यह पूछा
है: 'जब कोई अपनी पूरी आमदनी में अपना ख़र्च नहीं चला पाता है, तो वह अपने पर्स में डाले गए दस सिक्कों में से
एक सिक्का कैसे बचा सकता है ?'
“कल आपमे से कितनों के पर्स ख़ाली थे ?”
सबने जवाब दिया, “हम सबके।”
परंतु आपकी आमदनी समान नहीं है। कुछ लोग दूसरों से ज़्यादा कमाते हैं। कुछ का परिवार ज़्यादा बड़ा
है, इसलिए उनका पालन-पोषण करे में व ज़्यादा खर्च करते हैं। परंतु आमदनी और खर्च अलग-अलग होने
के बावज़ूद आप सबके पर्स एक जैसे यानी खाली थे। अब मैं आपको इंसानों के बरे में एक असामान्य सच्चाई
बताऊँगा। चह सच्चाई यह है : हमारे ' “आवश्यक ख़र्च' हमेशा हमारी आमदनी के अनुपात में बढ़ते रहेंगे, जब तक
कि हम इन्हें रोकने की कोशिश न करें।
आवश्यक ख़र्च और अपनी इच्छाओं के बीच के फ़र्क़ को नज़रअंदाज़ न करें। आपकी आमदनी से आपकी
जितनी इच्छाएँ संतुष्ट हो सकती हैं, आपकी और आपके परिवार की इच्छाएँ उससे कहीं ज़्यादा होती हैं। उन
इच्छाओं की संतुष्टि के लिए आमदनी कम पड़ जाती है और बहुत सी इच्छाएँ ऐसी रह जाती हैं, जो संतुष्ट नहीं हो
पातीं।
सभी लोगों के पास उससे ज़्यादा इच्छाएँ होती हैं, जितनी वे संतुष्ट कर सकते हैं। आप सोचते होंगे कि मैं
अपनी दौलत के कारण अपनी हर इच्छा पूरी कर सकता हूँ? यह सही नहीं है। मेंरे समय की सीमा है। मेरी शक्ति
की सीमा है। मैं जितनी यात्रा कर सकता हूँ, उसकी दूरी की सीमा है। मैं जो खा सकता हूँ, उसकी भी सीमा है। मैं
जितने उत्साह से आनंद ले सकता हूँ, उसकी भी सीमा है।
किसान खेत में जहाँ भी ख़ाली जगह छोड़ता है, वहाँ पर खरपतवार उग आती है, उसी तरह जहाँ भी इच्छाओं
के संतुष्ट होने की संभावना होती है, वहाँ इंसानों के मन में इच्छाएँ पैदा हो जाती हैं। इच्छाएँ असीमित होती हैं, परंतु
जिन इच्छाओं को आप पूरा कर सकते हैं वे सीमित होती हैं।
अपनी जीवनशैली और खर्च की आदतों के बारे में अच्छी तरह सोचें। ऐसा करे पर आपको कुछ ऐसे खर्च
ज़रूर मिलेंगे, जिन्हें कम या ख़त्म किया जा सकता है। यह लक्ष्य बना लें कि आप जो भी सिक्का खर्च करेँ, उसके
बदले में आपको शत-प्रतिशत संतुष्टि मिले।
इसलिए आप जिन चीज़ों के लिए ख़र्च करना चाहते हों, उन्हें लिख लें। सिर्फ़ आवश्यक चीज़ों को चुनें।
इसके अलावा सिर्फ़ उन्हीं चौज़ों को चुनें, जो आपकी नब्बे प्रतिशत आमदनी में संभव हों। बाक़ी सब चीज़ों को हटा
दें और उन्हें अपनी असीमित इच्छाओं का हिस्सा मान लें, जो संतुष्ट नहीं होंगी। उनका अफ़सोस न करें।
फिर अपने आवश्यक ख़र्च का बजट बना लें। उस दसवें हिस्से को छुएँ भी नहीं, जो आपके पर्स को मोटा कर
रहा है। इसे अपनी प्रबल इच्छा बना लें, जो संतुष्ट हो रही है। अपने बजट पर मेहनत करते रहें और इसमें फेरबदल
करते रहें। अपने पर्स को मोटा बनाए रखने की दिशा में बजट को अपना पहला सलाहकार बनाएँ।
इस पर लाल और सुनहरे वस्त्र वाले एक आदमी ने खड़े होकर कहा, "मै एक सत्र व्यक्ति हैँ। मैं मानता हूँ.
कि मुझे ज़िंदगी की अच्छी चौज़ों का आनंद लेने का हक़ है। इसलिए मैं बजट की गुलामी का विरोध करता हैं, जो
यह तय करता है कि मैं कितना ख़र्च कर सकता हूँ और किन चीज़ों के लिए कर सकता हूँ। मैं महसूस करता हूँ कि
इससे मेरी ज़िंदगी का आनंद कम हो जाएगा और मैं बोझ उठाने वाले खच्चर की तरह बन जाऊँगा। "
इस पर अरक्राद ने जवाब दिया, “मेरै मित्र, आपका बजट कौन बनाएगा ?”
उस आदमी ने कहा, “मैं ख़ुद। ”
मान लें कि कोई खच्चर अपने बोझ का बजट बनाए, तो वह इसमें क्या शामिल करेगा ? क्या वह इसमें रत्र,
कालीन और सोने की भारी सिल्लियाँ शामिल करेगा ? बिल्कुल नहीं। वह इन क्रीमती चीज़ों को अपने बोझ में
शामिल नहीँ करेगा। इसके बजाय वह उस बोझ में घास, अनाज और रेगिस्तान के लिए पानी की मशक रखेगा।
'बजट का उद्देश्य यह है कि आपका पर्स मोटा बमे। बजट आपकी आवश्यकताओं को संतुष्ट करने में आपकी
मदद करता है। आवश्यकताओं के अलावा यह आपकी कुछ इच्छाओं को पूरा करने में भी आपकी मदद करता
है। बजर द्वारा आप साधारण इच्छाओं से अपनी सबसे प्रबल इच्छाओं की रक्षा करते हैं, ताकि वे पूरी हो सकें।
(आपका बजट अँधेरी गुफा में चमकती मशाल की तरह आपको दिखाता है कि आपके पसं में कहाँ छेद हो रहे हैं।
यह उन छेदों को सिलने में आपकी मदद करता है। बजट आपके खर्च को इस तरह से नियंत्रित करता है, ताकि
आप सिर्फ़ निश्चित और संतुष्टिदायक उद्देश्यों के लिए ही ख़र्च करें।
“खाली पर्स का यह दूसरा इलाज है। अपने ख़र्च॑ का बजट बना लें, ताकि आपके पास अपनी
आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पैसा रहे और आप नब्बे प्रतिशत आमदनी में ही अपनी बाक़ी महत्त्वपूर्ण
इच्छाओं का आनंद ले सकें तथा उन्हें संतुष्ट कर सकें।
तीसरा इलाज
अपने धन को कई गुना बढ़ाएँ
अरक्राद ने तीसरे दिन अपनी कक्षा को संबोधित करते हुए कहा, “अब आप देखेंगे कि आपका ख़ाली पर्स
मोटा होता जा रहा है। और ऐसा ज़रूर होगा, क्यॉकि आप खुद को अनुशासित कर चुके हैं। अब आप अपनी
आमदनी का दसवाँ हिस्सा बचाने लगे हैं। आपने अपने खर्च को नियंत्रित कर लिया है, ताकि आपके बढ़ते हुए
ख़ज़ाने की रक्षा हो सके। इसके बाद हम इस बात पर विचार कर कि आप अपनी बचत से कैसे मेहनत करवा
“सकते हैं और इसे कैसे बढ़ा सकते हैं। पर्स में रखा धन है और कंजूस आदमी को संतोष देता है, परंतु यह आमदनी
अच्छा लगता को बढ़ाता नहीं है। अपनी आमदनी में से धन बचाना तो सिर्फ़ शुरुआत है। उस बचत से जो आमदनी
होगी, उसी से हम दौलतमंद AT”
हम अपने धन या बचत से मेहनत कैसे करवा सकते हैं ? निवेश करके ! मेरा पहला निवेश दुर्भाग्यपूर्ण था और
उसमें मेरी सारी बचत डूब गईं थी। वह कहानी मैं आपको बाद में बताऊँगा। मैंने अपना पहला लाभकारी निवेश तब
किया, जब मैंने ढाल बनाने वाले अणार को कर्ज़ दिया। वह ढाल बनाने के लिए हर साल समुद्र पार से बहुत सारा
काँसा खरीदता था। चूँकि इतना काँसा खरीदने के लिए उसके पास पर्याप्त पूँजी नहीं रहती थी, इसलिए वह उन
लोगों से उधार ले लेता था, जिनके पास अतिरिक्त धन होता था। अणार एक सम्मानित और भरोसेमंद व्यक्ति था।
जब उसकी ढालें बिक जाती थीं, तो वह अपना कर्ज़ तो चुकाता ही था, उस पर उदारता से व्याज भी देता था।
उमे दुबारा कर्ज़ देते समय मैं उसके चुकाए गए ब्याज को भी कर्ज में जोड देता था। इस तरह से न सिर्फ़ मेरी
पूँजी बढ़ती थी, बल्कि मेरी आमदनी भी बढ़ जाती थी। जब मेरी पूँजी सूद समेत मेरे प्स में लौटतौ थी, तो मुझे बहुत
संतुष्टि मिलती थी।
“मेरे विद्यार्थियों, मैं आपको बता दूँ. दौलत पर्स में खनखना रहे सिक्कों से नहीं बनती है। दौलत तो निवेश से
प्राप्त आमदनी से बनती है। दौलत का अर्थ धन की वह घारा है, जो लगातार पर्स में बहकर आती है और उसे हमेशा
मोटा करती रहती है। हर इंसान यही तो चाहता है। आपमें से हर एक की भी यही इच्छा तो है कि आपके पर्स में
आमदनी लगातार आती रहे, मले ही आप मेहनत करें या कहीं सैर-सपाटे पर चले जाएँ। ”
“मेरी आमदनी बहुत ज़्यादा है। इतनी ज़्यादा कि मुझे बहुत अमीर आदमी कहा जाता है। अगार को मैंने जो
कर्ज़ दिया था, वह लाभकारी निवेश के क्षेत्र में मेरा पहला प्रशिक्षण था। इस अनुभव से मुझे जो ज्ञान हासिल हुआ,
वह मेरे बहुत काम आया। मेरी जमापूँजी बढ़ने पर मैंने दूसरों को भी कर्ज़ दिया और लगातार निवेश करता रहा।
पहले तो कुछ जगहों से और बाद में बहुत सी जगहों से मेरे पर्स में धन की सुनहरी घाराएँ बहकर आने लगीं, जिनका
मैं अपनी सूझबूझ से मनचाहा प्रयोग कर सकता था।"
“देखिए, अपनी छोटी सी आमदनी से मैने सुनहरे सेवकों की सेना तैयार कर ली, जिनमें से हर सिक्का या
सैनिक मेरे लिए काम करता था और धन कमाता था। उं की तरह उनकी संतानें भी मेरै लिए काम करती थीं और
'फिर उनकी संतानें... जब तक कि उनके संयुक्त प्रयासों से मुझे काफ़ी आमदनी नहीं होने लगी। ”
जब आमदनी अच्छी हो, तो धन तेज़ी से बढ़ता है, जैसा आप इस उदाहरण में देखेंगे। एक किसान ने अपने
'पहले पुत्र के जन्म के समय एक साहकार के पास चाँदी के दस सिक्के ब्याज पर जमा करा दिए। उसने साहकार से
कहा कि जब उसका पुत्र बीस साल का हो जाए, तो वह मूलधन को सूद सहित लौटा दे। साहकार हर चार साल में
पच्चीस प्रतिशत ब्याज देने के लिए तैयार हो गया। किसान अपे पुत्र के लिए यह धन अलग रख रहा था, इसलिए
उसने साहकार से कहा कि वह ब्याज को भी मूलधन में जोड़ता रहे।
जब वह लड़का बीस साल का हुआ, तो किसान एक बार फिर साहुकार के पास गया और अपनी जमा
की गई राशि के बार में पूछताछ की। साहकार ने बताया कि चूँकि उसकी रक्रम चक्रवृद्धि ब्याज से बढ़ रही थी,
इसलिए उसे चाँदी के जो दस सिक्के जमा किए थे, वे अब बढ़कर साढ़े तीस सिक्के हो गए है।
यह सुनकर किसान बहुत खुश हुआ। चूँकि उके पुत्र को अभी धन की ज़रूरत नहीं थी, इसलिए उसने वह
धन साहूकार के पास ही जमा रहने दिया। जब पुत्र पचास साल का हुआ (इस दौरान उसका पिता इस दुनिया से जा
चुका था), तो साहृकार ने हिसाब चुकता करते हुए पुत्र को चाँदी के एक सौ पचहत्तर सिक्के दिए।
इस तरह पचास साल में यह निवेश चक्रवृद्धि ब्याज के कारण लगभग स्ह गुना बढ़ गया।
यह ख़ाली पर्स का तीसरा इलाज है : “हर सिक्के से मेहनत करवाते रहें; जब तक कि यह और सिक्के पैदा न
करे, ठीक उसी तरह जिस तरह मवेशी काते हैं। यह सुनिश्चित करें कि हर सिक्के का निवेश आपको आमदनी देता
रहे और धन की धारा लगातार आपके पर्स में बहकर आती रहे। ”
चौथा इलाज
अपनी पूँजी की रक्षा करें
अस्क्राद ने चौथे दिन अपनी कक्षा से कहा, “दुर्भाग्य को चमकता निशाना अच्छा लगता है। इंसान को अपने
पर्स में रखे घन की टृढ़ता से रक्षा करना चाहिए। अगर वह ऐसा नहीं करेगा, तो धन उसके पास से चला जाएगा।
इसलिए समझदारी इसी में है कि पहले हम छोटी सक्म को सुरक्षित रखना सीखें, तभी देवताओं को यह विश्वास
होगा कि हम बड़ी रक्रम को सुरक्षित रख पाएँगे।
जिसके भी पास धन होता है, उसके सामने बहुत से प्रलोभन आते हैं। उसे कई ऐसे अवसर ललचाते हैं, जब
उसे लगता है कि वह बहुत अच्छी योजनाओं में निवेश करके बहुत लाभ कमा सकता है। अक्सर उसके मित्र और
रिश्तेदार ऐसे निवेशों मं उत्साह से प्रवेश करते हैं और उसे भौ ऐसा ही करने के लिए प्रेरित करते हैं।
निवेश का पहला दमदार सिद्धांत है आपके मूलधन की सुरक्षा। अगर मूलधन के चले जाने का ख़तरा हो, तो
क्या ज़्यादा कमाई के लालच में पडना समझदारी है ? मुझे इसमें ज़रा भी समझदारी नज़र नहीं आती है। अगर आप
इतना बड़ा जोखिम उठाते हैं, तो इसकी सज़ा यह होगी कि शायद आप अपना मूलधन भी गंवा दे। अपनी जमापूँजी
का निवेश करे से पहले सावधानी से जाँच-पड़ताल करें। पहले पूरी तरह आश्वस्त हो जाएँ कि आपकी पूँजी
सुरक्षित लौट आएगी। फटाफट अमौर बनने की हवाई इच्छाओं से गलत दिशा में न चले जाएँ।
किसी व्यक्ति को कर्ज देने से पहले आपको यह यक्रीन कर लेना चाहिए कि उसमें कर्ज चुकाने की सामर्थ्य
है। यह भी देख लें कि कर्ज़ चुकाने के बारे में उसकी प्रतिष्ठा कैसी है, ताकि कहीं अनजाने में आप उसे अपनी मेहनत
की कमाई तोहफे में न दे रहे हों।
किसी भी क्षेत्र में निवेश करने से पहले अपने मूलधन पर मँडराने वाले ख़तरों के बारे में जान लें।
मेरा पहला निवेश दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद था । एक साल तक मैंने मेहनत से जो पैसा बचाया था, उसे मैंने
अज़मर नामक इंट बनाने वाले को दे दिया था, जो दूर देशों की यात्रा पर जा रहा था। वह इस बात के लिए तैयार
हो गया कि वह टायर से मेरे लिए फ़ीनिशियन्स के दुर्लभ ta खरीद लाएगा। हमारी योजना यह थी कि हम उन रत्नों
को ज़्यादा दामों में बेचकर मुनाफ़े को आपस में बाँट लेंगे। फ़ीनिशियन्स बदमाश थे और उन्होंने अज़मर को रत्नों के
बजाय काँच के टुकड़े पकड़ा दिए। मेरी पूरी जमापूँजी चली गईं थो। आज मेरे पास इतना ज्ञान आ चुका है कि मै
तत्काल समझ लूँगा कि र्र खरीदने के लिए ईट बनाने वाले पर भरोसा कसा मूर्खता है।”
“मैं अपने अनुभवों की समझदारी से आपको यह सलाह देना चाहता हूँ: अति आत्मविश्वास में आकर अपनी
पूँजी का ऐसी जगह पर निवेश न कें, जहाँ उसके डूबने का खतरा हो। बेहतर यह है कि आप धन के प्रबंधन में
अनुभवी लोगों की समझदारी भरी सलाह लें। इस तरह की सलाह मांगने पर मुफ्त मिल जाती है। हो सकता है यह
सलाह उतनी ही मूल्यवान साबित हो, जितनी रक्रम का आप निवेश करे जा रहे हैं। सच तो यह है कि अगर यह
सलाह आपकी पूँजी को डूबने से बचाती है, तो यह आपकी पूँजी जितनी ही मूल्यवान होती है।”
यह ख़ाली पर्स का चौथा इलाज है। यह इलाज बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि पर्स के भर जाने के बाद यह उसे
खाली होने से बचाता है। “अपनी जमापूँजी को नुक्रसान से बचाएँ। सिर्फ़ वहीँ निवेश करें, जहाँ आपका मूलधन
सुरक्षित रहे, जहाँ आप जब चाहें इसे दुबारा वापस पा सकें और जहाँ आपको उचित ब्याज लगातार मिलता रहे।
बुद्धिमान लोगों से सलाह ले। धन के लाभकारी प्रबंधन में अनुभवी लोगों से सलाह लें। असुरक्षित निवेशों से अपने
घन की बुद्धिमत्तापूर्वक रक्षा करेँ।”
+s
पाचवा इलाज
अपने घर को लाभकारी निवेश बनाएँ
अरक्राद ने अपनी कक्षा को पाँचवाँ सबक़् सिखाते हुए कहा, “इंसान अपनी कमाई का दसवाँ हिस्सा इसलिए
अलग रखता है, ताकि वह भविष्य में जीवन का आनंद ले सके। बहरहाल, अगर वह अपनी आमदनी के बचे हुए नौ
हिस्सों में से भी कुछ बचा सके और उसका लाभकारी निवेश कर सके, तो उसका खज़ाना ज्यादा तेज़ी से बढ़ेगा। ”
बैबिलॉन के बहुत से लोग अपने परिवारों के साथ किराए के मकानों में रहते है, हालाँकि उनके आस-पास का
माहौल अच्छा नहीं रहता है। वे हर महीने किराए के रूप में मकान मालिक को बहुत सा घन देते हैं। अक्सर उनके
मकानों में बाग़-बगीचे के लिए जगह नहीं होती है। उनकी पत्नियाँ पेड़-पौधे नहीं लगा पाती हैं, जिनसे हर औरत को
खुशी मिलती है। उन मकानों में बच्चों के खेलने के लिए कोई जगह नहीं होती है, इसलिए वे गंदी गलियों में खेलते
रहते हैं।
किसी भी व्यक्ति का परिवार तब तक ज़िंदगी का पूरा आनंद नहीं ले सकता, जब तक कि उसके मकान में
इतनी जगह न हो कि उसके बच्चे साफ़-सुथरी धरती पर खेल सकें और उसकी पत्नी न सिर्फ़ सुंदर फूल उगा सके,
बल्कि परिवार को खिलाने के लिए अच्छी सबिज़्याँ भी उगा सके।
अपने पेड़ों के अंजीर और अंगूर खाकर हर इंसान खुश होता है। अपने घर का स्वामी बने में उसे गर्व का
एहसास होता है। इससे उसका आत्मविश्वास बढ़ता है और वह अपने सभी प्रयासों में ज़्यादा मेहनत करता है।
(इसलिए मैं यह सलाह देता हूँ कि हर आदमी के पास अपना खुद का मकान होना चाहिए, जिसमें वह और उसका
परिवार रह सके।
अपने घर का मालिक बनना कोई खास मुश्किल काम नहीँ है। जिस व्यक्ति में भी इच्छाशक्ति हो, वह ऐसा
कर सकता है। हमारे महान सम्राट ने बैबिलॉन की दीवारों को इतनी दूर तक फैला लिया है कि इसके भीतर बहुत
सी ख़ाली ज़मीन पड़ी है, जिसे बहुत उचित क्रीमत पर ख़रीदा जा सकता है।
*मेंरे विद्यार्थियों, मैं आप लोगों से यह भी कहता हूँ कि साहूकार ख़ुशी-ख़ुशी उन लोगों को उधार दे देते हैं,
जो अपने परिवार के लिए ज़मीन और मकान ख़रीदना चाहते हैं। इस नेक काम के लिए आपको रकम आसानी से
उधार मिल जाएगी। आप ईट बनाने वाले और मकान बनाने वाले को पैसे देने के लिए उधार ले सकते हैं, बशर्ते
आप अपनी तरफ़ से भी थोड़ी सी जमापूँजी लगाएँ और यह विश्वास दिला सकें कि आप कर्ज़ चुका सकते हैं।
"तब आपको सच्ची खुशी का एहसास होगा, क्योंकि आप एक बहुमूल्य जायदाद के स्वामी बन जाएँगे और
उस पर आपका इकलौता खर्च यह होगा कि आपको सम्राट को दैक्स देता होगा।”
“इसके अलावा, आपकी पत्री आपके कपड़े धोने के लिए ज़्यादा बार नदी तक जाएगी, ताकि हर बार लौटते
समय वह पौधों में डालने के लिए एक मशक पानी ला सके।”
(इस तरह गृहस्वामी बनने वाले व्यक्ति को बहुत से लाभ होते हैं। इससे उसका खर्च भी बहुत कम हो जाता है,
जिससे उसकी आमदनी का अधिक हिस्सा उसकी इच्छाओं की संतुष्टि तथा आनंद के लिए उपलब्ध होता है। यह
खाली पर्स का पाँचवाँ इलाज है : अपने घर के मालिक बनें।
छठवाँ इलाज
भावी आमदनी सुनिश्चित करे
अस्क्राद ने अपनी कक्षा को छठवें दिन संबोधित करते हुए कहा, “हर व्यक्ति की ज़िंदगी बचपन से बुढ़ापे
की तरफ़ चलती है। यह ज़िंदगी का मार्ग है और इस पर हर एक को चलना पड़ा है, जब तक कि देवता उसे
असमय ही अपने पास न बुला लें। इसलिए मैं आपसे कहता हूँ कि इंसान को अपने भविष्य या बुढ़ापे के लिए
उचित आमदनी की व्यवस्था कर लेना चाहिए। इसके अलावा उसे इस बात की भी व्यवस्था कर लेना चाहिए कि
आगर वह इस दुनिया में न रहे, तो भी उसके परिवार को सहारा तथा आराम मिलता रहे। आज का सबक़् आपको
सिखाएगा कि बुढ़ापे में भी आपका पर्स कैसे भरा रह सकता है। ”
धन के नियमों के ज्ञान से जो व्यक्ति धन इकट्ठा कर लेता है, उसे अपने भविष्य के बारे में विचार कला
चाहिए। उसे कुछ ऐसे निवेशों की योजना बनाना चाहिए, जो कई साल तक सुरक्षित रुप से बढ़ते रहें और ज़रूरत
के समय काम आएं, जिसकी उसने समझदारी से पहले ही कल्पना कर ली थी।
इंसान कई तरीक़ों से अपने भविष्य के लिए धन को सुरक्षित रख सकता है। वह अपने ख़ज़ाने को किसी गुप्त
जगह पर ज़मीन में गाड़ सकता है। परंतु चाहे ख़ज़ाने को कितनी भी चतुराई से छुपाया गया हो, अंत में चोर उसे
लूटकर ले जाएँगे। इस वजह से मैं इस योजना की सलाह नहीं दता हँ।
भविष्य के लिए घन सुरक्षित रखने के उद्देश्य से इंसान घर या ज़मीन ख़रीद सकता है। अगर समझदारी से घर
या ज़मीन को चुना जाए, ताकि भविष्य में भी उस्की उपयोगिता तथा मूल्य में वृद्धि हो, तो ऐसा करना लाभकारी
है। भविष्य में इस जायदाद को बेचकर अपने लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
इसके अलावा, इंसान नियमित रूप से साइकार के पास छोटी-छोटी राशियाँ जमा करके अपने धन को बढ़ा
'सकता है। साइकार द्वारा दिया जाने वाला ब्याज जब मूलधन में जुड़ जाएगा, तो धनराशि बहुत बढ़ जाएगी।
मैं अंसान नाम के मोची को जानता हूँ। कुछ समय पहले उसने मुझे बताया था कि आठ साल से हर सप्ताह वह
साहूकार के पास चाँदी के दो सिक्के जमा कर रहा है। साहूकार ने उसे हाल ही में उसका हिसाब बताया, जिसे
सुनकर वह बहुत खुश हुआ। उसने जो छोटी-छोटी राशियाँ जमा की थीं, वे हर चार साल में पच्चीस प्रतिशत ब्याज
की आम दर से बढ़कर अब चाँदी के एक हज़ार चालीस सिक्कों में बदल गई हैं।
मैंने खुश होकर उसे आगे भी बचत करे के लिए प्रोत्साहित किया। अपने अंकों के ज्ञान से मैने उसे बताया
कि आगर वह बारह साल तक हर हफ्ते चाँदी के दो सिक्के जमा करता रहेगा, तो साहुकार उसे चाँदी के चार हज़ार
सिक्के देगा और इतनी क्रम उसकी पूरी ज़िंदगी के खर्च के लिए पर्याप्त होगी
जब नियमित रूप से जमा करने पर छोटी राशि इतने लाभकारी परिणाम देत है, तो किसी व्यक्ति का
व्यवसाय या निवेश कितना ही समृद्ध हो, उसे यह व्यवस्था कर लेना चाहिए कि उसके बुढ़ापे और परिवार की रक्षा
के लिए पर्याप्त दौलत हो।
मेरी इच्छा होती है कि मैं इसके बारे में और भी कुछ कहूँ । मेरा यह विश्वास है कि किसी दिन समझदारी से
सोचने वाले लोग मौत के खिलाफ़ परिवार को सुरक्षित रखने की योजना बनाएँगे। इस योजना में बहुत से लोग
नियमित रूप से छोटी सी राशि जमा करेंगे और उस जमा राशि से एक अच्छी रक्रम मृत सदस्य कै परिवार को दी
जाएगौ। मैं चाहता हूँ कि ऐसा हो और मै ऐसा करने की प्रबल सलाह देता हूँ। परंतु आज यह संभव नहीं है, क्योंकि
यह काम किसी इंसान या पार्टनरशिप की ज़िंदगी तक सीमित नहीं है। इस तरह की योजना को सप्राट के सिंहासन
की तरह स्थिर होना चाहिए। मुझे लगता है कि किसी दिन इस तरह की योजना बनेगी और यह बहुत से लोगों के
लिए वरदान साबित होगी, क्योंकि सिर्फ पहले छोटे भुगतान के बाद ही व्यक्ति के मर जाने पर उसके परिवार के
लिए दौलत की व्यवस्था हो जाएगी।
परंतु चूँकि हमारे समय में इस तरह की योजना नहीँ है और हमारे जीवनकाल में ऐसी योजना होगी भी नहीं,
इसलिए हमें अपने संसाधनों का लाभ उठाकर अपने लक्ष्य को हासिल करून के दूसरे तरीक्रे खोजना चाहिए। इसी
वजह से मैं सब लोगों को सुझाव देता हूँ कि वे अच्छी तरह सोचकर समझदारीपूर्ण तरीक्रं से अपने बुढ़ापे के लिए
घन की व्यवस्था कर लें। क्योंकि जब कोई आदमी कमा नहीं सके या जब परिवार का मुखिया चला जाए, तो
ख़ाली पर्स बहुत दुख का कारण बन जाता है।
तो ख़ाली पर्स का छठवाँ इलाज यह है : अपने बुढ़ापे और अपने परिवार की रक्षा के लिए पहले से ही
व्यवस्था कर लेँ।
सातवाँ इलाज
अपनी आमदनी की क्षमता बढाएँ
अरक्राद ने सातवें दिन अपनी कक्षा को संबोधित करते हुए कहा, “मेंरे विद्यार्थियों, आज मैं आपको ख़ाली
'पसतं का एक सटीक उपचार बताने जा रहा हूं। परंतु आज मैं धन के बारे मं नहीं, बल्कि आपके बारे में बातें करूँगा,
जो अलग-अलग रंगों के कपड़ में मेरे सामने बैठे हैं। मैं इंसान के दिमाग और ज़िंदगी की उन चीज़ों के बारे में बातें
'कहँगा, जो उसकी सफलता के समर्थन या विरोध में काम करती हैं। ”
कुछ समय पहले एक युवक मेरे पास उधार माँगने आया। जब मैने उसमे पूछा कि उसे इसकी ज़रुरत क्यों
पड़ी, तो उसने जवाब दिया कि उसके खर्च उसकी आमदनी से ज़्यादा हैं। इस पर मैंने उससे कहा कि ऐसी स्थिति में
कोई भी साहूकार उसे कर्ज़ नहीं देगा, जब तक कि उसके पास अतिरिक्त धन कमाने की क्षमता न हो, जिससे वह
अपना कर्ज़ चुका सके।
मैंने उससे कहा, "तुम्हें अपनी आमदनी बढ़ाना चाहिए। कमाने की अपनी क्षमता को बढ़ने के लिए तुमने क्या
किया है?'
युवक ने कहा, “मैंने वह सब किया है, जो मैं कर सकता हूँ। दो महीनों में छह बार मैंने अपने मालिक के पास
जाकर अपनी तनख़्वाह बढ़ाने का आग्रह किया, परंतु मुझे सफलता नहीं मिली। कोई भी व्यक्ति इससे ज़्यादा बार
यह अनुरोध नहीँ कर सकता।'
'हम उसके भोलेपन पर हँस सकते हँ, परंतु उस युवक में आमदनी को बढ़ाने के लिए आवश्यक एक महत्वपूर्ण
गुण था। उसमें ज़्यादा कमाने की प्रबल इच्छा थी, जो बहुत उचित और सराहनीय है।
“उपलब्धि से पहले उसकी इच्छा होना चाहिए। आपकी इच्छाएँ प्रबल और निश्चित होना चाहिए। ” सामान्य
इच्छाएँ सिर्फ़ कमज़ोर चाहत होती हैं। अगर किसी इंसान में सिर्फ़ अमीर बनने की चाहत है, तो उससे कोई फ़ायदा
नहीं होगा। परंतु जिस व्यक्ति में पाँच स्व्र्णमु-द्राएँ कमाने की इच्छा है, उसकी इच्छा निश्चित है और वह इसे पूरा
कर सकता है। जब वह इसे हासिल करने के लिए लक्ष्य की शक्ति का प्रयोग करेगा और सफल हों जाएगा,
तो अगली बार वह दस स्वर्ण-मुद्राएँ कमाने के लिए उन्हीं तरीक़ों का प्रयोग कर सकता है। फिर बीस मुद्राओं के
लिए और बाद में एक हज़ार मुद्राओं के लिए। और देखते ही देखते वह अमीर बन जाएगा। अपनी एक निश्चित
छोटी इच्छा को पूरी करना सीखकर उसने बड़ी इच्छा पूरी करने का प्रशिक्षण पा लिया है। इसी प्रक्रिया से दौलत
हासिल की जाती है : पहले छोटी राशि, फिर उससे बड़ी राशिं, जब तक कि इंसान सीखकर ज़्यादा सक्षम नहीँ बन
'जाता।
इच्छाएँ आसान और निश्चित होना चाहिए। अगर वे बहुत ज़्यादा या बहुत जटिल होँ या ऐसी हों, जिन्हे
हासिल के का प्रशिक्षण उस व्यक्ति के पास न हो, तो सफलता नहीँ मिलती है।
जब मनुष्य अपने काम में ज़्यादा कुशल बनता है, तो वह अपनी कमाने की क्षमता को भी बढ़ा लेता है।
जब मैं गरीब नक्रलनवीस था और हर दिन कुछ सिक्कों के बदले में मृदापत्र पर लिखता था, तो मैने देखा कि कुछ
नक्रलनवौस मुझसे ज्यादा काम करते थे और इस कारण उन्हें मुझसे ज़्यादा आमदनी होती थी। इसलिए मैने यह
संकल्प किया कि मैं भी उनके जितना काम कहँगा । उनके ज़्यादा सफल होने का कारण जानने में मुझे ज़्यादा
समय नहीं लगा। मैने अपने काम में ज्यादा रुचि लौ, एकाग्रता से काम किया, अपने प्रयास में ज्यादा लगन का
प्रयोग किया। और देखते-ही देखते मैं जितने मृदापत्रों पर लिखता था, बहुत कम लोग उससे ज़्यादा लिख सकते
थे। जल्दी ही मुझे अपनी बढ़ी हुई क्षमता की वजह से पुरस्कार मिला। अपनी तनख़्वाह बढ़वाने के लिए मुझे अपने
मालिक के पास छह बार जाने की ज़रूरत भी नहीं पड़ी।
हमारे पास जितना ज्ञान होता है, हम उतना ही ज़्यादा कमा सकते हैं। जो व्यक्ति अपनी कला में ज़्यादा
निपुणता हासिल करने की कोशिश करता है, उसे उसके अच्छे पुरस्कार मिलते हैं। अगर वह कारीगर है, तो वह.
अपने व्यवसाय के सर्वाधिक योग्य व्यक्ति से सीख सकता है। अगर वह कानून या उपचार के क्षत्र में मेहनत करता
है, तो वह अपने व्यवसाय के बाक़ी लोगों से विचार-विमर्श कर सकता है या उतकी सलाह ले सकता है। अगर वह
व्यापारी है, तो वह लगातार अच्छी चीज़ों की तलाश कर सकता है, जिन्हें कम क्रीमतो पर खारीदा जा सके।
मनुष्यों की स्थितियाँ हमेशा बदलती और सुधरती रहती हैं, क्योंकि बुद्धिमान लोग नई योग्यताएँ सीखते रहे हैं,
ताकि वे बेहतर ढंग से उनकी सेवा कर सकें, जिनके संरक्षण पर उनकी प्रगति निर्भर है। इसलिए मैं सभी व्यक्तियों
से यह आप्रह करता हूँ कि वे प्रगति की पहली क़तार में खड़े रहें और स्थिर न रहें, क्योंकि स्थिर खड़े रहने पर वे पीछे
रह जाएँगे।
बहुत सी चीज़ें इंसान की ज़िंदगी को लाभकारी अनुभवों से समृद्ध बनाती हैं। अगर किसी व्यक्ति में
आलसम्मान है, तो उसे नीचे दिए गए काम करना चाहिए :
“उसे अपना क़ यथासंभव शीघ्रता से चुकाना चाहिए और ऐसी चीज़ें नहीँ खारीदना चाहिए, जिनका वह
भुगतान न कर पाए। ”
“उसे अपने परिवार की अच्छी देखभाल करना चाहिए; ताकि वे उसके बारे मं अच्छे विचार रख और अच्छी
बातें कहें। "
“उसे अपनी वसीयत कर देना चाहिए, चाहिए ताकि जब देवता उसे अपने पास बुला लें, तों उसकी जायदाद.
का उचित और गरिमापूर्ण बँटवारा हो सके। ”
“उसे दुर्भाग्य के शिकार लोगों पर दया करना चाहिए और तार्किक सीमाओं के भीतर उनकी मदद करना
चाहिए। उसे अपने प्रियजनों के प्रति विचारपूर्वक काम करना चाहिए।”
इस तरह खालौ पर्स का सातवाँ और अंतिम इलाज है : “अपनी शक्तियों का विकास करना, अधिक
बुद्धिमान तथा योग्य बनने के लिए अध्ययन करना, आत्मसम्मान से काम करना। " ऐसा करे पर आपमें यह
आलविश्वास आ जाएगा कि आप सावधानीपूर्वक सोची गई इच्छाओं को पूरा सकते हैं।
तो ख़ालौ पर्स के सात इलाज ये है,जो मैने लंबे और सफल जीवन के अनुभव से सीखे हैं। मैं दौलत चाहने
वाले सभी लोगों से इन पर अमल करने का आप्रह करता हुँ।
“मेरे मित्रं, बैबिलांन में इतना सोना भरा पड़ है, जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। यहाँ पर सबके
लिए प्रचुर दौलत है।”
“आगे बढ़े और इन सच्चाइयों पर अमल करें, ताकि आप समृद्ध और दौलतमंद बन सकें, जो आपका
अधिकार है।”
"आगे बढे और इन सच्चाइयों को दूसरे लोगों को भी सिखाएँ, ताकि हमारे सम्राट का हर सम्मानित नागरिक
हमारे प्रिय शहर की अपार दौलत में सहभागी बन सके।”
क
सौभाग्य की देवी से मिलें
अगर कोई इंसान भाग्यशाली है, तो उसके सौभाग्य की सीमा के बारे में कोई
भविष्यवाणी नहीं की जा सकतीं। अगर उसे नदी में मी फेंक दिया जाए, तो न सिर्फ़ वह
तैरकर बाहर निकल आएगा, बल्कि उसके हाथ में एक मोती भी होगा।
बिलानि की कहावत
र व्यक्ति सौभाग्यशाली बनना चाहता है। आज से चार हज़ार साल पहले प्राचीन बैबिलाँन में भी मनुष्यों के
ह मन में सौभाग्यशाली बनने की इच्छा उतनी ही प्रबल थी, जितनी कि आज के मनुष्यं के मन में है। हम सब
चाहते हैं कि सौभाग्य की चंचल देवी हम पर मेहरबान हो जाए। क्या कोई ऐसा तरीका है, जिससे हम उस देवी को
अपनी ओर आकर्षित कर सकें और उसके कृपापात्र बन सकें ? क्या कोई ऐसा तरीक़ा है, जिससे न सिर्फ़ हम उस
देवी का ध्यान खींच सकें, बल्कि उसके उदार वरदान भी पा सकें?
क्या सौभागयशाली बनने का कोई तरीक्रा है ?
प्राचीन बैबिलॉन के व्यक्तियों के मन में भी यही सवाल उठा। उन्होने यह पता लगाने का फैसला किया। वे
चतुर और विचारशील थे। इसी वजह से उनका शहर अपने समय का सबसे समृद्ध और शक्तिशाली शहर बना।
उस पुराने समय में स्कूल या कॉलेज नहीं थे। बहरहाल बैबिलॉन में ज़ान का एक केंद्र था और वह सैद्धांतिक
नहीं, बल्कि बहुत व्यावहारिक था। बैबिलॉन की ऊँची इमारतों में एक इमारत सप्राट के महल, हैंगिंग गार्डस और
देवी-देवताओं के मंदिरों जितनी महत्वपूर्ण थी। आपको इतिहास की पुस्तकों में इसका बहुत कम ज़िक्र मिलेगा।
इस बात की बहुत संभावना है कि आपको इसका ज़िक्र मिलेगा ही नहीं, बहरहाल इस इमारत का उस युग के चिंतन
पर बहुत प्रबल असर हुआ।
यह इमारत ज्ञान का मंदिर थी, जहाँ स्वयंसेवी शिक्षक ज्ञान प्रदान करते थे। यहाँ सार्वजनिक रुचि के विषयों
पर खुले मंच पर विचार-विमर्श होता था। इसकी दीवारों के भीतर समी व्यक्ति बराबर होते थे। सबसे गरीब सेवक
भी अपने तकों से शाही घराने के राजकुमार के विचारों को गलत साबित कर सकता था।
ज्ञान के मंदिर में कई लोग नियमित रूप से जाते थे। इनमें से एक अरक्राद नामक बुद्धिमान आदमी था, जिसे
बैबिलॉन का सबसे अमीर आदमी कहा जाता था। उसका अपना विशेष हॉल था, जहाँ लगभग हर शाम को बहुत
से लोग रोचक विषयों पर चर्चा और बहस करने के लिए इकट्टे होते थे। इन लोगों में कुछ वृद्ध और कुछ युवा भी
थे, परंतु अधिकांश अधेड़ थे। बेहतर होगा कि हम उनकी बातें सुनें, ताकि हम यह जान सकें कि क्या वे सौभाग्य या
ख़ुशक़रिस्मती को आकर्षित करने का तरौक़ा जानते थे।
जब अरक्राद अपने मंच पर आया, तो सूरज रेगिस्तानी धूल की धुंध के बीच आग की बड़ी लाल गेंद की तरह
चमकते हुए अभी-अभी डूबा था। अस्सी लोग उसके आने का इंतज़ार कर रहे थे और फ़र्श पर बिछे कालीनों पर बैठे
हुए थे। बाक़ी लोग आते जा रहे थे।
अर्क्ाद ने पूछा, “आज शाम को हम किस विषय पर चर्चा करेंगे ?”
थोड़े संकोच के बाद कपड़े बुनने वाले एक लंबे व्यक्ति ने खड़े होकर कहा,“मै चाहता हूँ कि एक ख़ास विषय
पर चर्चा हो। परंत मैं इसे बताने में डरता हूँ अर्द कि कहीँ यह आपको और मेर मित्रं को मूर्खतापूर्ण न लगे। ”
जब अर्काद और बाकी लोगों ने उससे वह विषय बताने का आप्रह किया, तो उसने कहा, “आज के दिन मैं
खुशकिस्मत था, क्योकि मुझे सवर्णमुद्रा से भरा एक पर्स मिल गया। मेरी प्रबल इच्छा है कि मैं हमेशा खुशक्रिस्मत
El मुझे लगता है कि हर व्यक्ति की यही इच्छा होगी, इसलिए मैं सुझाव देता हूँ कि हम इस विषय पर बहस करें
कि सौभाग्य या खुशक्रिस्मती को कैसे आकर्षित किया जाता है, ताकि हम खुशक्रिस्मत बनने के तरीके खोज सकें।"
अस्काद ने कहा, “यह बहुत ही रोचक विषय है। इस पर हमें चर्चा करना ही चाहिए। कुछ लोगों के लिए
अच्छी क्रिस्मत का मतलब संयोग या कोई अकस्मात घटना है, जो बिना किसी उद्देश्य या कारण के हो सकती है।
बाक्री लोगों को यह विश्वास होता है कि हमारी खुशक्रिस्मती हमारी सबसे उदार देवौ अष्टर की कृपा पर निर्भर है, जो
उन लोगों को उदारतापूर्वक पुरस्कार देती है, जो उसे खुश करते हैं। मित्रों, आप लोगों की क्या राय है ? क्या हम
यह पता लगाएँ कि हम किन तरीकों से खुशक्रिस्मती को आकर्षित कर सकते हैं, ताकि हम सब खुशक्रिस्मत बन
सकेँ?”
“हाँ! हाँ! बहुत बढ़िया रहेगा!” उत्सुक श्रोताओं के बढ़ते समूह ने जवाब दिया।
इस पर अरक्वाद ने आगे कहा, “चर्चा शुरू करने से पहले आप लोग मुझे बताएँ कि आप में से किन लोगों
को हमारे मित्र कपड़ों के बुनकर की तरह के अनुभव हुए हैं, जब उन्हें बिना कोशिश के बहुमूल्य ख़ज़ाने या रत्न मिले
हों।”
एक चुप्पी छा गई। सबने एक-दूसरे की तरफ़ देखा, परंतु कोई भी कुछ नहीँ बोला।
अस्क्रादे पूछा, “क्या ऐसा और किसी के साथ नहीँ हुआ? फिर तो इस तरह की खुशक्रिस्मती बहुत ही दुर्लभ
होगी। अब आप में से कोई यह सुझाव दे कि हम अपनी खोज कहाँ से शुरू करें ?”
अच्छे कपड़े पहने हुए एक युवक ने कहा,*पैं बताता हूँ। जब कोई व्यक्ति खुशक्रिस्मती के बारे में बातें करता
है, तो क्या यह स्वाभाविक नहीं है कि उसके विचार जुए की टेबल (गेमिंग टेबल) की ओर मुड़? कया वहाँ हमें ऐसे
लोग नहीं मिलते है, जो जीतने के लिए देवी की कृपा चाहते हैं?”
उसके बैठने के बाद एक आवाज़ सुनाई दी, “रुको मत! अपनी बात पूरी कैरो! हमें बताओ, क्या जुए की
टेबल पर देवी ने तुम पर कृपा की थी ? क्या क्यूब में लाल हिस्सा ऊपर आया था और तुमने जुएघर के मालिक से
ढेर सारा धन जीत लिया था ? या फिर क्यूब का नीला हिस्सा ऊपर आया था, जिससे जुएघर का मालिक तुम्हारा
मेहनत से कमाया गया धन बटोरकर ले गया था ?”
युवक ने हसकर जवाब दिया,“मुझे यह स्वीकार करे में कोई संकोच नहीँ है कि सौभाग्य की देवी को तो
शायद यह मालूम ही नहीं था कि मैं वहाँ पर था। परंतु आप में से बाक्री लोगों के साथ तो ऐसा हुआ होगा ? क्या
आपने पाया है कि देवी ऐसी जगहाँ पर आपका इंतज़ार कर रही थी और क्यूब को फ़ायदे के लिए पलट रही थी ?
हम यह सुनने और सीखने के लिए उत्सुक हैं। ”
अस्क्राद ने कहा, “बहुत ही समझदारीपूर्ण शुरुआत है। हम यहाँ पर हर प्रश्न के सभी पहलुओं पर विचार-
विमर्श करने के लिए इकडे हुए हैं। जुए की टेबल को नज़रअंदाज़ करना अधिकांश लोगों की उस प्रबल भावना को
नज्ञरअंदाज़ कसना है, जिसमें व्यक्ति कुछ चाँदी के सिक्के दाँव पर लगाने के बाद ढेर सारी स्वर्ण-मुदराएँ जीतने की
आशा करता है।”
एक अन्य श्रोता ने कहा, “इससे मुझे कल की घुड़दौड़ की याद आ गईं। अगर सौभाग्य की देवी जुएघर में
मिल सकती है, तो निश्चित रूप से वह घुड़दौड़ों को भी नज़रअंदाज़ नहीं करती होगी, जहाँ सजे हुए रथ और तेज़ गति
से दौड़ते घोड़े बहुत ज़्यादा रोमांच प्रदान करते हैं। हमें ईमानदारी से बताएँ अरक्राद कि क्या उसने आपके कान में
घौरै से यह फुसफुसा दिया था कि आप कल निनेवे के भूरे घोड़ों पर अपना दाँव लगाएँ। मैं आपके ठीक पीछे ही
'खड़ा था और जब मैने सुना कि आप उन भूरे घोड़ों प दाँव लगा रहे हैं, तो मुझे अपने कानों पर यक्रीन नहीँ हुआ। हम
सब जानते हैं, जिनमें आप भी शामिल हैं, कि निष्पक्ष दौड में पूरे एसीरिया में कोई भी घोडा हमारे प्रिय घोड़ों को नहीं
हरा सकता।”
“क्या देवौ ने आपके कान में चुपके से कह दिया था कि भूरे घोड़ों पर दाँच लगा दो ? क्योकि आखिरी चक्कर
में अंदर वाला काला घोड़ा लड़खड़ा गया था, जिससे हमारे घोड़ों की राह में बाधा आ गई और भूरे घोड़े रेस में जीत
गए, हालाँकि वे इस योग्य नहीँ थे। "
अरक्राद ने इस ठिठोली पर मुस्कराते हुए कहा, “हमारे पास यह महसूस करने का क्या कारण है कि सौभाग्य
की देवी घुड़दौड़ में किसी व्यक्ति के दाँव में इतनी रुचि लेंगी ? मेरे लिए वे प्रेम और गरिमा की देवी हं, जौ
ज़रूरतमंद लोगों की मदद करती हैं और योग्य लोगों को पुरस्कार देती हैं। मैं जुएघर या घुड़दौड़ों में उनकी तलाश
नहीं करता हूँ, जहाँ ज़्यादातर लोग घन कमाने के बजाय गँवाते हैं। इसके बजाय मैं दूसरी जगहों पर उनकी तलाश
कराता हैँ, जहाँ इंसानों के काम ज्यादा महत्वपूर्ण और पुरस्कार के योग्य होते हैं। "
“चाहे खेती हो या ईमानदारी से किया जाने वाला व्यवसाय, सभी कामों में इंसान के पास अपनी कोशिशों
और सौदों से लाभ कमाने का अवसर होता है। शायद हमेशा उमे पुरस्कार नहीँ मिलेगा, क्योंकि कई बार उसका
निर्णय गलत हो सकता है और कई बार हवाएँ तथा मौसम उसकी कोशिशों पर पानी फेर सकते हैं। बहरहाल, आर
उसमें लगन होगी, तो आम तौर पर उसे हमेशा लाभ होगा, क्योंकि लाभ का अवसर हमेशा उसके पक्ष में होता है। "
*परंतु जब कोई व्यक्ति जुए की टेबल पर जुआ खेलता है, तो स्थिति उल्टी होती है। यहाँ पर लाभ का
अवसर हमेशा जुएघर के मालिक के पक्ष में होता है। जुआ इस तरह से खिलाया जाता है, ताकि वह हमेशा मालिक
के पक्ष में रहे। यह उसका व्यवसाय है, जिसमें वह खिलाड़ियों के दाँव से लाभ कमाने की योजना बनाता है। जुआ
'खेलने वाले बहुत कम लोग यह बात जानते हैं कि जुएघर के मालिक का लाभ कितना सुनिश्चित होता है और उनके
जीतने की संभावना कितनी अनिश्चित होती है।”
“उदाहरण के लिए, हम क्यूब पर लगाए गए दाँवां के बार में विचार करें। जब भी इसे फेंका जाता है, तो हम
'इस बात पर दाँच लगाते हैं कि कौन सा हिस्सा सबसे ऊपर आएगा। लाल हिस्सा आने पर जुएघर का मालिक हमें
दाँच पर लगे धन का चार गुना देगा। परंतु अगर बाक्री पाँच हिस्सो में से कोई भी हिस्सा ऊपर आता है, तो हमने
दाँव पर जो पैसा लगाया था, वह डूब जाएगा। इस तरह हर दाँव में हमारे हारने की संभावना पाँच गुनी है, परंतु चूँकि
मालिक जीतने पर सिर्फ़ चार गुना पैसा देता है, इसलिए हमारे जीतने की संभावना चार गुनी है। एक रात के खेल में
जुएघर का मालिक दाँव पर लगाए गए पूरे धन का पाँचवाँ हिस्सा या बीस प्रतिशत लाभ में कमाने की उम्मीद कर
सकता है। जब स्थिति इस प्रकार की हो, जिसमें व्यक्ति अपने लगाए गए सभी दाँवों पर बीस प्रतिशत धन गँवा दे,
तो वह सिर्फ़ कभी-कभार ही जीतने की उम्मीद कर सकता है!”
एक श्रोता ने कहा, “बहरहाल, कई बार कुछ लोग बहुत बड़ी रक्रम जीत लेते हैं। "
अरक्राद ने कहा, “हाँ, ऐसा भी होता है। सवाल यह है कि क्या उन ख़ुशक्रिस्मत लोगों के लिए इस तरह से
हासिल किए गए घन का कोई स्थायी महत्व होता है ? मैं बैबिलॉन के कई सफल लोगों को जातता हैं, परंतु उनमें
से एक भी ऐसा नहीं है, जिसने अपनी सफलता की शुरुआत जुएघर की टेबल से की हो।”
“आप लोग भी कई धनवान लोगों को जानते होंगे। मैं यह जानना चाहुँगा कि हमारे सफल नागरिको में से
"कितने अपनी सफलता की शुरुआत का श्रेय जुएधर को दे सकते हैं। क्या आप ऐसे लोगों को जानते हैं ?”
लंबी ख़ामोशी के बाद एक मसखे ने पूछा, “क्या हम जुएधर के मालिकों को इस जाँच में शामिल कर
सकते हैं ?"
अरक्राद बोला, “अगर आप किसी और के बारे में नहीं सोच सकते, तो फिर अपने बारे में कहें ? क्या हमारे
बीच में ऐसे लोग हैं, जो जुए में लगातार जीतते हैं, परंतु अपनी आमदनी के लिए इस तरह के स्रोत की सलाह देने
में झिझक रहे हैं २”
इस चुनौती पर पीछे से आह भरने की आवाज़ें आई और फिर लोग हँसने लगे।
अरक्राद ने कहा,“ऐसा लगता है कि हमें खुशक्रिस्मती उन जगहों पर नहीँ मिलती है, जहाँ देवी अक्सर रहती
हैं। इसलिए अब हम दूसरे क्षेत्रों की तलाश करते हैं। हमने पाया है कि खुशक्रिस्मती का गुम हो गए पर्स उठाने से
कोई संबंध नहीं है, न ही इसका संबंध जुए से है। जहाँ तक घुड़दौड़ का सवाल है, मैं यह स्वीकार करना चाहता हूँ.
कि मैंने इसमें जितना धन जीता है, उससे बहुत ज़्यादा घन गँवाया है। ”
“अब हम अपने व्यवसायों पर विचार करते हैं। जब हम कोई लाभकारी सौदा करते हैं, तो क्या यह
स्वाभाविक नहीं है कि हम इसे खुशक्रिस्मती मानने के बजाय अपनी मेहनत का उचित पुरस्कार मानते हैं ? मैं सोचता
हँ कि ऐसा करके हम देवी के उपहारों को नज़र अंदाज़ कर दते हैं। शायद वे सचमुच हमारी मदद करती हैं, परंतु हम
उनकी उदारता के लिए उनके शुक्रगुज़ार नहीं होते हैं। कौन इस विषय पर चर्चा आगे बढ़ा सकता है ?”
इस पर एक वृद्ध व्यापारी उठा और अपने सफ़ेद वस्त्र की सलवरें ठीक करते हुए बोला, “अरक्राद, आपकी
और अपने मित्रों की अनुमति से मैं एक सुझाव देता चाहता हूँ। जैसा आपने कहा है, अगर हम अपने व्यापार की
सफलता के लिए अपनी मेहनत और योग्यता को श्रेय देते है, तो उन सफलताओं और बहुत लाभदायक चीज़ों
के बारे में क्यों न सोचें, जो हमें लगभग मिलने वालौ थीं, परंतु आखिरी मिनट पर नहीँ मिलीं। अगर वे सचमुच हो
जातां, तो वे खुशकिस्मती का दुर्लभ उदाहरण होताँ। चूँकि वे पूर्ण नहीं हो पाईं, इसलिए हम उन्हें अपना उचित
पुरस्कार नहीं मान सकते। निश्चित रूप से यहाँ बैठे कई लोग इस तरह के अनुभव बता सकते होंगे।”
अरक्राद ने सहमत होते हुए कहा, “यह समझदारी भरा सुझाव है। खुशक्रिस्मती आप में से कितनों की मुदरी में
थी, परंतु आखिरी मिनट पर फिसल गई ?”
कई हाथ उठे, जिनमें उस व्यापारी का हाथ भी था। अरकराद ने उसे बोलने का मौक्रा दिया, “चूँकि आपने ही
यह सुझाव दिया है, इसलिए हम सबसे पहले आपके मुँह से इसके बारे मं सुनना चाहेंगे।”
व्यापारी ने कहा, “मैं खुशी-खुशौ अपने जीवन की एक घटना बताऊँगा। इससे आप यह जान जाएँगे कि
खुशक्रिस्मती के क्ररीब आते पर भी इंसान अंधों की तरह उसे अपने हाथ से निकल जाने देता है, जिससे उसे नुक्रसान
होता है और वह बाद में पछताता है।”
“कई साल पहले मैं युवा था और मेरी कुछ समय पहले ही शादी हुई थी। उन दिनों मैं कमाना शुरू कर
रहा था। एक दिन मेरे पिताजी मेरे पास आए और उन्हे ज़ोर देकर मुझसे कहा कि मैं एक योजना में अपने धन
का निवेश कर दूँ। उनके एक अच्छे मित्र के पत्र ने भूमि का एक खाली टुकड़ा देखा था, जो हमारे शहर की बाहरी
दीवागो से ज़्यादा दूर नहीँ था। वह टुकड़ा नहर के काफ़ी ऊपर था और वहाँ पानी नहीँ पहुँच सकता था ।”
“मेरे पिता के मि्न के पुत्र ने एक योजना बनाई कि वह इस ज़मीन को ख़रीद लेगा, बैलों द्वारा चलने वाले
तीन बड़े रहट बनाएगा और इस तरह से जीवनदायी पानी को उपजाऊ भूमि तक पहुँचाएगा। उसकी योजना यह
थी कि ऐसा करने के बाद वह इस ज़मीन के प्लॉट का देगा और शहर के नागरिकों को सब्जी उगाने के लिए बेच
देगा।”
“मेरै पिता के मित्र के पुत्र के पास इस काम के लिए पर्याप्त धन नहीं था। मेरी ही तरह उसकी आमदनी भी
सामान्य थी। उसके पिता भी मेरे पिता की तरह ही बड़े परिवार और कम संसाधनों वाले थे। इसलिए उसने कुछ
लोगों को अपना पार्टनर बनाने का फ़ैसला किया। उसे बारह लोगों की ज़रूरत थी, जिनमें से हर एक कमाता हो
और वह अपनी कमाई का दसवाँ हिस्सा उ अभियान में तब तक देन के लिए सहमत हो, जब तक कि ज़मीन बिकने
के लिए तैयार न हो जाए। योजना यह थी कि ज़मीन बिकने के बाद सब लोग अपने निवेश के अनुपात में लाभ को
आपस में बाँट लेगे।”
मेरे पिता ने मुझसे कहा, 'बेटे, तुम अभी जवान हो। मेरी यह प्रबल इच्छा है कि तुम अपने लिए बहुमूल्य
जायदाद बना लो, ताकि लोग तुम्हारा सम्मान करें। अपने पिता की नासमझी और गलतियों के ज्ञान से लाभ
उठाओ।'
मैने जवाब दिया, 'मेरी भी यह प्रबल इच्छा है।”
“तो मैं तुम्हें यह सलाह देता हूँ। वह करो, जो मुझे तुम्हारी उम्र में करना चाहिए था। अपनी आमदनी के दसवें
हिस्से को लाभकारी निवेशों के लिए अलग रख दो। अपनी आमदनी के इस दसवें हिस्से और इससे मिलने वाले
ब्याज की मदद से मेरी पहुँचने से पहले तुम बहुमूल्य उत्र तक जायदाद बना सकते हो।”
“पिताजी, आपने बहुत समझदारी की बात कही है। मैं अमीर बनना चाहता हूं। परंतु मेरी आमदनी के साथ
बहुत से ख़चें भी जुडे हैं इसलिए मैं आपके सुझाव पर अमल करे से झिझक रहा हूँ। मैं अभी जवान हूँ। अमी मेरे
पास बहुत समय है।”
“तुम्हरी उत्र मं मैंने भी यही सोचा था, परंतु देखो, साल गुज़रते चले गए और मैं शुरुआत भी नहीँ कर पाया।”
“अब ज़माना बदल गया है, पिताजी। मैं आपकी गलतियों से बचूँगा। ”
“अवसर तुम्हारे सामने खड़ा है, बेटे। यह तुम्हें एक ऐसा मौक़ा दे रहा है, जो दौलत की ओर ले जा सकता है।
मेरा तुमसे यही कहना है, देर मत करो। कल सुबह ही मेरे मित्र के पुत्र के पास जाओ और उससे यह सौदा कर लो
कि इस निवेश में तुम अपनी दस प्रतिशत आमदनी लगाओगे। तत्काल कल सुबह चले जाना। अवसर किसी का
इंतज़ार नहीं करता। आज यह सामने होता है, परंतु कल दूर चला जाता है। इसलिए देर मत करो!”
*अपने पिता की सलाह के बावज़ूद मैं झिझकता रहा। पूर्वी देशों से व्यापारी नए सुंदर वस्त्र लाए थे, जो इतने
आकर्षक और बढ़िया लग रहे थे कि मैंने और मेरी पत्नी पत्नी ने ने महसूस किया कि हमें उन्हें ख़टीद लेना चाहिए।
अगर मैं उस अभियान में अपनी दस प्रतिशत आमदनी का निवेश करे के लिए तैयार हो जाता, तो हम उन वस्त्रों को
नहीँ ख़रीद पाते और कई अन्य आनंदों से भी वंचित रह जाते, जिन्हें हम बहुत चाहते थे। मैने निर्णय लेने में तब तक
देर लगाई, जब तक कि बहुत देर नहीं हो गई। बाद में मै इस पर बहुत पछताया। वह अभियान उम्मीद से ज्यादा
फ़ायदेमंद साबित हुआ। मेरी कहानी यह बताती है कि मैने किस तरह खुशक्रिस्मती को अपने पास से निकल जाने
दिया।”
रेगिस्तान से आए एक साँवले आदमी ने कहा, “इस कहानी में हम देखते हैं कि खुशक्रिस्मती उस व्यक्ति के
पास आती है, जो अवसर को स्वीकार करता है। ” जायदाद बनाने के लिए हमेशा एक शुरुआत करना पडती है।
शुरु में यह सोते या चाँदी के कुछ सिक्कों तक सीमित होती है, जिन्हें इंसान अपनी आमदनी में से बचाकर अपना
पहला निवेश करता है। मैं खुद कई मवेशियों का मालिक हूँ। मवेशी पालने की शुरुआत मैने बचपन में ही कर दी
थी, जब मैने चाँदी के एक सिक्के से एक बछिया खरीदी थी। चूँकि यह मेरी दौलत की शुरुआत थी, इसलिए मेरे
लिए यह बहुत महत्वपूर्ण थी।
“पहली शुरुआत के बाद जायदाद बनाना खुशकिस्मती से हर इंसान के बूते की बात है। पहला क्रदम बहुत
महत्वपूर्ण है। इस क्रदम को उठाने के बाद इंसान मेहनत से घन कमाने वाले व्यक्ति के बजाय अपने निवेश से लाभ
कमाने वाले व्यक्ति में बदल जाता है। सौभाग्य से कुछ लोग कम उम्र में ही यह क़दम उठा लेते हैं। इसी वजह से
चै आर्थिक क्षत्र में ज लोगों से ज़्यादा सफल हो जाते हैं, जो यह कदम बाद में उठाते हैं। वे उन दुर्भाप्पशाली लोगों
से तो बहुत ज़्यादा सफल होते हैं, जो यह क़्दम कभी नहीँ उठाते है, जैसा इस व्यापारी के पिता के साथ हुआ था।”
“आगर मेर व्यापारी मित्र ने अवसर सामने आने पर अपनी जवानी में यह क्रदम उठा लिया होता, तो आज उसे
दुनिया की बहुत सी अच्छी चीज़ों का वरदान मिला होता। अगर हमारे बुनकर मित्र ने उस समय यह क्रदम उठा
लिया होता, तो आज उसके पास काफ़ी दौलत होती। "
दूसरे देश से आए एक अजनबी ने खड़े होकर कहा, ,”धन्यवाद! मैं भी कुछ बोलना चाहता हूं। मै सीरिया
का हूँ। मैं आपकी भाषा अच्छी तरह नहीं बोल पाता हूं। मैं इस व्यापारी मित्र को एक नाम से पुकारना चाहता हूँ।
शायद आप सोचेंगे कि यह शालीन नाम नहीं है। परंतु मैं फिर भी उसे उस नाम से पुकारला चाहता हूँ। परतु मुझे
आपकी भाषा का वह शब्द नहीं मालूम। आगर मैं इसे सीरिया की भाषा में बोलूँ, तो आप उसे समझ नहीं पाएँगे।
इसलिए मेर मित्र, मुझे बताएँ कि आप उस आदमी को क्या कहते हैं, जो अपने लिए फ़ायदेमंद साबित होने वाले
कामों को भी टालता रहता है है।”
'एक आवाज़ आई, “टालमटोल करने वाला।”
“चहि,” सीरिया के निवासी ने अपने हाथों को रोमांच से लहते हुए कहा, “जब अवसर आता है, तो वह
उमे स्वीकार नहीं करता है। वह इंतज़ार करता है। वह कहता है मेरे सामने अभी बहुत काम पड़ा है। मैं धीरे-धीरे
यह काम करुँगा। अवसर इस तरह के ढीले आदमी का इंतज़ार नहीं करेगा। अवसर सोचता है कि अगर इंसान
खुशक्रिस्मत बनना चाहता है, तो उसे तत्काल क़्दम उठाना चाहिए। अवसर सामने आने पर जो व्यक्ति तत्काल
क्रदम नहीं उठाता है, वह हमारे व्यापारी मित्र की तरह टालमटोल करे वाला होता है।”
्यापारी उठकर खड़ा हुआ और सिर झुकाकर लोगों की हँसी पर प्रतिक्रिया करते हुए बोला, “अजनबी, आप
हमारे मेहमान है! मैं आपकी प्रशंसा करता हूँ, जो आपने सच्ची बात बोलने में ज़रा भी हिचक नहीं दिखाई। ”
अस्काद ने कहा, “खोए हुए अवसर की एक और कहानी हमें कौन सुनाएगा ?”
लाल वस्त्र पहने एक अधेड़ व्यक्ति ने कहा, “मै सुनाऊँगा। मैं मवेशियों का खरीदार हूँ, खास तौर पर ऊँटों
और घोड़ों का। कई बार मैं भेइ-बकरियाँ भी खरीद लेता हूं। एक रात को अवसर मेरे सामने अचानक आया, जब मैं
(इसकी बिलकुल भी उम्मीद नहीँ कर रहा था। शायद इसी वजह से मैने इसे अपने हाथ से फिसल जाने दिया। बेहतर
होगा कि फैसला आप ही करें।”
मैं ऊँट खरीदने के लिए शहर से बाहर गया था। दस दिनों की निराशाजनक यात्रा के बाद जब मैं लौटा, तो
मुझे यह देखकर गुस्सा आया कि रात होने की वजह से शहर का द्वार बंद हो चुका था और उस पर ताले भी लग
चुके थे। मेरे नौकरों ने रात काटने के लिए तंबू लगाए। बहरहाल हम सोच रहे थे कि हमारे पास बहुत कम भोजन
है और पानी तो बिल्कुल भी नहीं है, इसलिए यह रात मुश्किल से कटेगी। उसी समय एक बूढ़ा किसान मेरे पास
आया, जो शहर के द्वार का ताला बंद हो जाने के कारण हमारी ही तरह बाहर रह गया था।
उसने मुझसे कहा, 'आदरणीय श्रीमान्, आपके हुलिए से मुझे लगता है कि आप मवेशियों के ख़रीदार हैं।
अगर ऐसा है, तो मैं आपको अपनी बहुत अच्छी भेड़ें बेचना चाहँगा, जिन्हें मै अभी-अभी लाया हूं। मेरी पत्री बहुत
बीमार है और उसे बुखार है। मुझे तत्काल लौटना होगा। आप मेरी भेड़ खरीद ले, ताकि मैं और मेर नौकर ऊँटों पर
सवार होकर बिना देर किए तत्काल घर लौट जाएँ।'
इतना अँधेरा था कि मैं उसकी भेड़ों को नहीं देख सकता था, हालाँकि उनकी आवाजों से मैं समझ गया कि
रेवड़ बहुत बड़ा होगा। मैने ऊँटों की तलाश में अपने दस दिन बबांद कर दिए थे, परंतु मुझे अच्छे ऊँट नहीँ मिल पाए
थे, इसलिए मैं उसके साथ खुशी-खुशौ सौदेबाज़ी करे लगा। वह मुश्किल में था, इसलिए उसने बहुत ही वाजिब
दाम माँगा। मैने वह सौदा मंजूर कर लिया, क्योकि मैं अच्छी तरह जानता था कि मेरे नौकर सुबह भेडं को हाँककर
शहर में ले जाएँगे और उन्हें बेचने से हमें काफ़ी लाभ होगा।
सौदा होने के बाद मैंने अपने नौकरों से मशालें लेकर आने को कहा, ताकि हम किसान की 900 भेड़ों को गिन
सकें। मित्रो, मैं आपको यह वर्णन सुनाकर बोर नहीं कहुँगा कि इतनी सारी प्यासी, भूखी और बेचैन भेड़ों को गिनने
में हमें कितनी मुश्किलें आईं। यह एक असंभव काम साबित हो रहा था। इसलिए मैंने उस किसान से साफ़-साफ़
कह दिया कि सुबह होने के बाद मैं भेड़ गिनूँगा और तभी उसे पैसे दूँगा।
उसने आग्रह किया, 'मेहरबानी करके आप आज रात को मुझे दो तिहाई क्रीमत ही दे दं, ताकि मैं अपने घर
लौट सकूँ। मैं अपने सबसे समझदार और शिक्षित सेवक को आपके पास छोड़ जाऊँगा, जो सुबह भेड़ गिनने में
आपकी मदद करेगा। वह विश्वसनीय है और आप बाक़ी का एक-तिहाई पैसा उसे दे सकते हैं।'
“परंतु मैंने जिद पकड़ ली और रात को पैसे देने से इंकार कर दिया। अगली सुबह मेरे उठने से पहले ही शहर
का द्वारा खुला और चार खरीदार भेड़ों की तलाश में बाहर भागते हुए आए। वे बहुत उत्सुक थे और ऊँची क्रीमें देने
को तैयार थै, क्यॉँकि शहर पर युद्ध की घेराबंदी का खतरा मंडरा रहा था और भोजन पर्याप्त नहीँ था। किसान मुझे
जितनी क्रीमत पर भेड़ देने के लिए तैयार हुआ था, उसे उससे लगभग तीन गुना ज्यादा क्रीत मिली। यह बहुत ही
'बहिया अवसर था, जो मैने अपने ही हाथों से गँवा दिया।”
अरक्राद ने टिप्पणी की, “यह बहुत ही असामान्य कहानी है। इससे हमें क्या शिक्षा मिलती है ?"
घोड़े की जीन बनाने वाले ने कहा, "इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि जब हमें विश्वास हो कि हमारा सौदा
समझदारीपूर्ण है, तो हमें तत्काल पैसे दे देना चाहिए। अगर सौदा अच्छा है, तो आपको दूसरों के अलावा ख़ुद की
कमज़ोरियों से भी अपनी रक्षा करने की ज़रूरत होती है। इंसानों के विचार बदलते रहते हैं। मै तो यह कहुँगा कि
हम अपना मन तेज़ी से बदल लेते हैं और ऐसा तब अधिक होता है, जब हम गलत नहीं, बल्कि सही होते हैं। गलत
निर्णयों के बारे में हम जिद्दी होते हैं परंतु सही निर्णय लेने के बाद हम हिचकिचाते हैं और अवसर को अपने हाथ से
फिसल जाने देते हैं। मेरा पहला निर्णय मेरा सर्वश्रेष्ठ निर्णय होता है। परंतु मैने हमेशा यह पाया है कि अच्छा सौदा
कल के बाद मै हिचकिचाता हुँ और टालमटोल करता हूँ। इसलिए अपनी कमज़ोरी से बचने के लिए मैं तत्काल
उस सौदे का बयाना दे देता हूँ। इससे मैं ख़ुशक्रिस्मती के अवसरों को गँवाने के पश्चाताप से बच जाता हूँ। ”
सीरिया के निवासी ने एक बार फिर खड़े होकर कहा, “धन्यवाद! मैं एक बार फिर बोलना चाहता हूँ। ये
कहानियाँ लगभग एक सी हैं। हर बार अवसर एक ही कारण से दूर भाग जाता है। हर बार वह टालमटोल करे वाले
के पास आता है और एक अच्छी योजना पेश करता है। हर बार टालमटोल कसे वाला हिचकिचाता है। वह यह
नहीँ कहता कि अभी सबसे अच्छा समय है, मैं यह काम तत्काल कर देता हूँ। इसके बजाय वह रालमटोल करता
है। आदमी इस तरह सफल कैसे हो सकता है ?”
खरीदार ने कहा, “आपके शब्दों में समझदारी है। खुशक्रिस्मती इन दोनों ही कहानियों में टालमटोल करे के
कारण दूर माग गई थी। बहरहाल, यह असामान्य नहीँ है। टालमटोल करे की प्रवृत्ति सबमें होती है। हम दौलत
चाहते हैं, परंतु जब अवसर हमारे सामने आता हैं, तो टालमटोल की प्रवृति के कारण हम उसे तत्काल स्वीकार नहीं
करते हैं और इस तरह हम अपने सबसे बड़े दुश्मन बन जाते हैं।”
“अपनी जवानी में मैं टालमटोल शब्द को नहीँ जानता था, जो हमारे सौरिया के मित्र को इतना पसंद आया
है। मैं पहले तो यह सोचता था कि मेरे गलत निर्णयों के कारण मेरे हाथ से कई लाभदायक सौदे निकल गए।
बाद में मैने अपने जिह स्वभाव को इसके लिए दोष दिया। बहरहाल, अंत में मुझे सच्चाई का पता चल गया। मैने
जान लिया कि जब मुझे काम करना चाहिए था, जब मुझे तत्काल और निर्णायक काम करना चाहिए था, तब मैं
अनावश्यक रूप से देर कर रहा था। जब मुझे सच्चाई पता चली, तो मुझे बहुत चिढ़ हुई। जंगली खच्चर को किसी
रथ में जोतने पर वह बहुत कटु हो जाता है। उतनी ही कटुता से मैने अपनी सफलता के इस दुश्मन से अपना पीछा
छुड़ाया।"
“धन्यवाद! मैं अब अपने व्यापारी मित्र से एक सवाल पूछना चाहता हूँ। आप अच्छे कपड़े पहनते हैं। आपके
कपड़े गरीबो जैसे नहीं है। आप सफल व्यक्ति की तरह बोलवे हैं। हमें बताएँ, जब टालमटोल आपके कानों में कुछ
(कहती है, तो क्या आप अब भी उसकी बात सुनते हैं?"
व्यापारी ने जवाब दिया, “खरीदार मित्र की तरह मुझे भी टालमटोल को पहचानना और जीतना पड़ा। यह मेरी
दुश्मन थी, जो हमेशा मेरी सफलताओं में बाधा डालने की ताक में रहती थी। मैने जो कहानी सुनाई है, उस तरह के
बहुत से उदाहरण हैं, जिनके द्वारा मैं बता सकता हूँ कि टालमटोल की वजह से मेरे अवसर किस तरह दूर चले गए।
'एक बार समझ लेने के बाद टालमटोल को जीतना मुश्किल नहीं होता। कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से चोर को अपना
अनाज चुराने नहीं देता है। न ही कोई व्यक्ति शत्रुओं को अपने ग्राहकों को दूर भगाने की छूट देता है, क्योंकि इससे
उसका मुनाफ़ा कम हो जाएगा। जब मैंने यह पहचान लिया कि मेरा दुश्मन इस तरह के काम कर रहा है, तो मैंने
संकल्प के साथ उस पर विजय पाई। अगर कोई व्यक्ति बैबिलॉन की प्रचुर दौलत में हिस्सेदार बनना चाहता है, तो
सबसे पहले उसे अपनी टालमटोल की भावना पर विजय पाना होगी ।”
“अरक्राद, आप क्या कहते है? चुँकि आप बैबिलॉन के सबसे अमीर व्यक्ति हैं, इसलिए कई लोग कहते हैं
'कि आप सब्झे ज़्यादा ख़ुशक्रिस्मत व्यक्ति भी हैं। क्या आप मेरी इस बात से सहमत हैं कि कोई भी आदमी जब
तक टालमटोल की भावना को पूरी तरह नष्ट नहीं कर देता, तब तक वह बड़ी सफलता नहीं पा सकता ?”
अरक्राद ने स्वीकार किया, “जैसा आप कहते हैं, बिल्कुल वैसा ही है। मेरे लंबे जीवन में मैंने कई पीढ़ियों
को व्यवसाय, विज्ञान और ज्ञान के उन क्षेत्रों में आगे बढ़ते देखा है, जो ज़िंदगी में सफलता की राह पर ले जाते हैं।
अवसर उन सब लोगों के पास आए थे। बहरहाल, कुछ ने अपने सामने आए अवसरों का लाभ उठाया और अपनी
'गहनतम इच्छाओं की संतुष्टि की ओर आगे बढ़ते रहे, परंतु अधिकांश लोग झिझके, लड़खड़ाए और पीछे रह गए।”
अरक्राद कपड़े के बुनकर की ओर मुडा, “आप ही ने यह सुझाव दिया था कि हम खुशक्रिसमती पर बहस करे।
अब आप इस बारे में क्या सोचते हैं ?”
“अब मैं खुशक्रिस्मती को एक अलग रोशनी में देख रहा हूँ। मैंने सोचा था कि ख़ुशक्रिस्मत होने के
लिए इंसान को कोई कोशिश नहीं करना पड़ती। अब मुझे यह एहसास हो गया है कि इंसान बिना कुछ किए
ख़ुशक्रिस्मती को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर सकता। इस चर्चा से मैंने यह सीखा है कि ख़ुशक्रिस्मती को
आकर्षित करे के लिए अवसरों का लाभ उठाना ज़रुी है। मैं अपने सामने आने वाले अवसरों का अधिकतम लाभ
उठाने की कोशिश करुंगा। ”
अरक्राद ने जवाब दिया, “आपने हमारी चर्चां के सत्य को बहुत अच्छी तरह से पकड़ लिया है। हमने यह
पाया है कि अक्सर खुशकिस्मती अवसर के पीछे आती है। यह शायद ही कभी किसी दूसरे रूप में आती है। हमारा
व्यापारी मित्र बहुत खुशक्रिस्मत होता, अगर उसने सौभाग्य की देवी द्वारा दिए गए अवसर को स्वीकार कर लिया
'होता। इसी तरह हमारा खरीदार मित्र भी खुशक्रिस्मत होता, अगर उसने मवेशियों को समय पर ख़रीद लिया होता
और उन्हें तीन गुने लाभ पर बेचा होता।”
हमने यह चर्चा इसलिए शुरु की थी, ताकि हम खुशक्रिस्मती को अपनी ओर आकर्षित करने का तरीका
खोज सकें। मुझे लगता है कि हमने वह तरीक़ा खोज लिया है। दोनों ही कहानियों से यह निष्कर्ष निकलता है कि
ख़ुशक्रिस्मती अवसर में छुपी होती है। चाहे खुशक्रिस्मती का लाभ उठाया गया हो या नहीं उठाया गया हो, इस
सत्य को बदला नहीँ जा सकता : अवसरों को स्वीकार करके खुशक्रिस्मती को आकर्षित किया जा सकता है।
जो लोग प्रगति के अवसरों का लाभ लेने के लिए तत्पर रहते हैं, उनमें सौभाग्य की देवी रुचि लेती है। वे
हमेशा उन लोगों की मदद करने की इच्छुक होती हैं, जो उलें खुश करते हैं; और कर्मशील व्यक्ति उन्हें सबसे ज्यादा
खुश करते हैं।
“कर्म आपको सफलता की ओर ले जाएगा।”
[ सौभाग्य की देवी कर्मशील व्यक्तियों पर कृपा करती हैं।
क उक
घन के पाँच नियम
“aT गर आपके सामने एक तरफ़ सोने की मोहरों से भरी थैली रख दी जाए और दूसरी तरफ़ बुद्धिमत्ता के
शब्दों से भरा मृदापत्र रख दिया जाए, तो आप दोनों में से किसे चुनेंगे ?”
रेगिस्तानी झाड़ियों की आग की हिलती रोशनी में श्रोताओं के झुलसे चेहरों पर दिलचस्पी की चमक साफ़
नज़र आ रही थी।
सत्ताईस लोगों ने एक साथ कहा, “सोने की मोहरों से भरी थैली।"
बूढ़ा कालाबाब समझदारी से मुस्कराया।
उसने अपना हाथ उठाकर उन्हें चुप कराया और कहा, “रात में आवारा कुत्तों के भौंकने की आवाज़ सुनो। वे
इसलिए चिल्ला रहे हैं और रो रहे हैं, क्योंकि वे भूख से व्याकुल हैं। परंतु अगर उन्हें खाना मिल जाए, तो उसके बाद
वे क्या करेगे ? वे लड़ने लगेंगे और घमंड से इतराते हुए चलने लगेंगे। वे आने वाले कल की तरफ़ ध्यान नहीं देंगे,
जो निश्चित रूप से आएगा ही।”
इंसान भी यही करते हैं। आगर उले सोने और बुद्धिमानी में से किसी एक को चुनने के लिए कहा जाता है, तो
वे क्या करते है? वे बुद्धिमानी को नज़रअंदाज़ कर देते हैं और सोने को बर्बाद कर देते हैं। आने वाले कल में वे दुबारा
रोएँगे, क्योंकि उनके पास अब सोना नहीं बचा है।
“सोना या धन उन लोगों को ही मिलता है, जो इसके नियम जानते हैं और उनका पालन करते हैं।”
कालाबाब ने अपने सफ़ेद दुशाले को अपने दुबले पैरों पर समेटा, क्योंकि रात की ठंडी हवा बह रही थी।
“तुप लोगों ने इस लंबी यात्रा में वफ़ादारी से मेरी सेवा की है। तुमने मेरे ऊँटों की अच्छी देखभाल की है।
तुमने रेगिस्तान की गर्म रेत पर बिना शिकायत किए मेहनत की है। तुमने उन डकैतों का बहादुरी से मुक़ाबला किया
है, जो मेरा सामान लूटना चाहते थे। इसलिए मैं आज रात को तुम्हें घन के पाँच नियमों की कहानी सुनाऊँगा। तुमने
इस तरह की कहानी पहले कभी नहीं सुनी होगी। ”
“ध्यान से सुनो, मेरे शब्दों को बहुत ध्यान से सुनो, क्योंकि अगर तुम उनका मतलब समझ लोगे और उनका
पालन करोगे, तो भविष्य में तुम भौ धनवान बन सकते हो।”
प्रभाव डालने के लिए वह थोड़ी देर रुका। ऊपर बैबिलांन के नीले आसमान में सितारे चमक रहे थे। उन लोगाँ
के पीछे तंबू बंधे थे, ताकि रेगिस्तान के संभावित तूमानों से रक्षा हो सके। तंबुओं के पास व्यापारिक सामान क्ररीने
से रखा था और जानवरों की खालों से ढैका था। पास में ही ऊँटों का रेवड़ रेत में बैठा था। कुछ ऊँट संतुष्टि के साथ
जुगाली कर रहे थे, बाक्री खरटि ले रहे थे।
„आपने हमें बहुत सी अच्छी कहानियाँ सुनाई हैं, कालाबाब," सामान बाँधने वाले प्रमुख व्यक्ति ने कहा, “हम
चाहते हैं कि कल जब आपके साथ हमारी सेवा ख़तम हो, तो उसके बाद आपके शब्दो का मार्गदर्शन हमारे साथ
रहे।”
कालाबाब ने कहा, "मैन तुम्हें अजीब और सुदूर देशों के अपने अनुभव सुनाए हैं, परंतु आज रात को मैं तुं
समझदार और अमौर अरक्ाद की बुद्धिमानी के बारे में बताना चाहता हूँ। "
सामान बाँधने वाले प्रमुख व्यक्ति ने कहा, “हमने उनके बारे में काफ़ी सुना है, क्योंकि वे बैबिलॉन के सबसे
अमीर आदमी थे।"
“वे सबसे अमीर आदमी इसलिए बने, क्योंकि वे धन के नियमों को जानते थे। धन के नियम उनसे पहले किसी
को भी इतनी अच्छी तरह से मालूम नहीं थे। आज की रात मैं तुम्हें बहुत समझदारी की बातें बताऊँगा, जो उनके बेटे
नोमाज़िर ने कई साल पहले निनेवे मे मुझे बताई थीं, जब मैं छोटा था।”
“मेरे मालिक और मैं नोमाज़िर के महल में देर रात तक रुके थे। मं सुंदर कालौनों के बड़े बंडल लाने में अपने
मालिक की मदद कर रहा था। नोमाज़िर ने हर कालीन की जाँच की, जब तक कि वह रंगों के चयन मे पूरी तरह.
संतुष्ट नहीं हो गया। आखिरकार वह बहुत खुश हुआ और उसने हमें अपने पास बिठा लिया। उसने हमें बहुत दुर्लभ
और खुसबूदार शराब पिलाई, जिसे पीते के बाद मेरे पेट में गर्मी दौड़ गईं, क्योंकि मेंरे पेट को इस तरह के पेय पदार्थ
की आदत नहीं थी।”
“फिर उसने हमें अपने पिता असक्ाद की समझदारी की यह कहानी सुनाई, जो मैं तुम्हें सुनाने जा रहा हूँ। "
जैसी परंपरा है, बैबिलॉन में दौलतमंद पिताओं के पुत्र हमेशा उनके साथ रहते हैं और उनकी जायदाद विरासत
में पानें की आशा करते हैं। । अरक्राद को यह परंपरा पसंद नहीं थी। इसलिए नोमाज़िर के वयस्क होने पर अरकाद
ने उससे कहा;
“मेरे बेटे, मेरी यह इच्छा है कि तुम मेरी जायदाद के वारिस बनो। परंतु पहले तुम्हें यह साबित करना होगा कि
तुम समझदारी से इसे सँमाल सकते हो। इसलिए मैं चाहता हूँ कि तुम दुनिया में बाहर निकलो और धन कमाने तथा
लोगों के बीच सम्मान पाने की अपनी योग्यता को साबित करो।”
“तुम्हें अच्छी तरह से शुरुआत करे के लिए मैं दो चीज़ दता हैं, जो मुझे नहीं मिली थीं। जब मैंने दौलत
डकट्ठी करना शुरू की थी, तब मैं बहुत गरीब था।”
“सबसे पहले तो मैं तुम्हें सोने की मोहरों से भरी यह थैली देता हूँ। अगर तुम इसका समझदारी से उपयोग
करोगे, तो यह तुम्हारी भावी सफलता की नींव बन जाएगी।”
“दूसरी बात, मैं तुम्हें यह मृदापत्र देता हूँ, जिस पर घन के पाँच नियम लिखे हैं। अगर तुम इन नियमों के
अनुसार चलोगे, तो तुम्हें योग्यता और सुरक्षा ज़रूर मिलेगी। ”
“आज से दस साल बाद तुम घर लौटकर अपने अनुभव बताना। अगर तुम खुद को योग्य साबित कर दोगे, तो
मैं तुम्हें अपनी जायदाद का वारिस बना दूँगा। वरना मैं यह जायदाद पुरोहितों को दान कर दूँगा, ताकि वे मेरी आत्मा
की शांति के लिए देवी-देवताओं से प्रार्थना करें। "
“इस तरह नोमाज़िर ज़िंदगी में कुछ कर दिखाने के लिए चल पड़ा। उसने धन की थैली और मृदापत्र को
रैशमी कपड़ों में लपेट लिया। फिर वह घोड़े पर बैठकर अपने नौकर के साथ यात्रा पर चल दिया।”
“दस साल गुज़र गए और जैसा तय हुआ था, नोमाज़िर अपने पिता के घर लौटा। उसके आने की खुशी में
उसके पिता ने बेहतरीन दावत दी थी, जिसमें कई रिश्तेदारों और मित्रों को बुलाया गया था। जश्न ख़त्म होने के बाद
नोमाज़िर के माता-पिता बड़े हॉल के एक और सिंहासन जैसी कुर्सियों पर बैठे और नोमाज़िर उनके सामने खड़े होकर
अपने अनुभव सुनाने लगा, जैसा उसने अपने पिता से वायदा किया था।”
“रात हो चुकी थी। कमे में तेल के दीपकों का घुआँ भरा था। रोशनी मद्धिम थी। सफ़ेद जैकेट पहने नौकर
खजूर के लंबे पत्तों से हवा कर रहे थे। पूरे दृश्य में शाही गरिमा थी। नोमाज़िर की पत्नी और उसके दो छोटे पुत्र,
परिवार के मित्रों तथा रिश्तेदारों के साथ क्रालीनों पर बैठे थे। वे सभी नोमाज़िर की बातें सुनने के लिए उत्सुक थे। "
नोमाज़िर ने कहा, “पिताजी, मैं आपकी बुद्धिमत्ता के सामने सिर झुकाता हूँ। दस साल पहले जब मैं
युवावस्था की दहलीज़ पर खड़ा था, तो आपने मुझसे कहा था कि मैं बाहर निकलूँ और मर्द बनकर दिखाऊँ, बजाय
इसके कि मैं आपकी दौलत विरासत में मिलने का इंतज़ार करता रहैँ। "
*आपने मुझे काफ़ी धन दिया था। आपने मुझे काफ़ी बुद्धिमत्ता भी दी थी। जहाँ तक घन का सवाल है, मैं
यह स्वीकार करता हँ कि मैं उसे ठीक से सँभाल नहीं पाया। सच तो यह है कि मेंरे अनुभवहीन हाथों से धन उसी तरह
फिसल गया, जिस तरह जंगली खरगोश पहला मौक़ा मिलते हीं उसे पकड़े वाले बच्चे के हाथ से निकल भागता
a"
पिता ने मुस्कराते हुए कहा, “आगे बोलो बेटे, तुम्हारी कहानी बहुत दिलचस्प है।'
“मैंने निनेवे जाने का फ़ैसला किया, क्योंकि उस शहर में तरक्की की संभावनाएँ ज़्यादा दिख रही थीं। मुझे
विश्वास था कि मुझे वहाँ बहुत से अवसर मिलेंगे। मैं एक कारवाँ में शामिल हो गया और उसमें मेरे बहुत से दोस्त बन
गए। उनमें दो मधुरभाषी लोग भी थे, जिनके पास एक बहुत सुंदर सफ़ेद घोड़ा था, जो हवा की गति से भागता था।”
“यात्रा के दौरान उन्हेनि मुझे विश्वास में लेकर बताया कि निनेवे में एक दौलतमंद आदमी है, जिसके पास
इतना तेज़ घोड़ा है कि वह कभी नहीं हारा है। उसके मालिक को यक्रीन है कि दुनिया का कोई घोड़ा उसे तेज़ नहीँ
भाग सकता। वे लोग अपनी रक्रम को दाँव पर लगाने जा रहे हैं कि वह घोड़ा बैबिलॉन के सारे घोड़ों से ज़्यादा तेज़
भाग सकता है। मेरे मित्रों ने कहा कि उस घोड़े के सामने उनका घोड़ा तो एक कमज़ोर खच्चर है, जिसे बहुत आसानी
से हराया जा सकता है।”
*उन्होंने मुझ पर कृपा दिखाते हुए मुझे भी उस दाँव में हिस्सेदार बना लिया। मैं इस योजना पर मोहित था।”
*हमारा घोड़ा बुरी और ज़्यादातर तरह हार गया मैंने अपना घन गँवा दिया।” यह सुनकर अरक्वाद को हँसी आ
गई। “बाद में मुझे पता चला कि वह उन घोखेबाज़ों की चालाकी भरी योजना थी और वे लगातार कारवाँ में अपने
शिकार की तलाश में यात्रा करते हैं। निनेवे का वह आदमी उनका पार्टनर था और वे लोग दाँव पर लगाए गए पैसे
को आपस में बाँट लेते थे। इस चालबाज़ी ने मुझे सतर्क रहने का पहला सबक़ सिखाया। ”
“जल्दी ही मुझे एक और इतना ही कटु अनुभव होने वाला था। कारवाँ में एक और युवक मेरा मित्र बन गया
था। उसके माता-पिता दौलतमंद थे और वह भी मेरी ही तरह व्यवसाय करने के लिए निनेवे जा रहा था। हमारे
पहुँचने के कुछ समय बाद ही उसने मुझे बताया कि एक व्यापारी की मृत्यु हो गई है, जिस वजह से उसकी दुकान
में भरा पूरा सामान और उसकी दुकान का नाम बहुत कम क्रीमतों पर मिल रहा है। उसने कहा कि हम बाबरी के
पार्टनर होंगे, परंतु पहले उसे बैबिलॉन जाकर घन लाना होगा। उसने मुझे राज़ी कर लिया कि मैं अपने धन से उस
दुकान को ख़रीद लूँ और वह बाद में जाकर अपने हिस्से का धन ले आएगा। चूँकि दुकान में बाद में भी धन की
ज़रूरत पड़ता थी, इसलिए मैं इसके लिए तैयार हो गया।”
“वह बैबिलॉन जाने में टालमटोल करता रहा। काफी समय बीत गया। इस दौरान उसने यह साबित कर
दिया कि उसमें ख़रीदने और खर्च करने की समझ नहीं थी। मैंने उसे आख़िरकार बाहर निकाल दिया, परंतु तब तक
व्यवसाय की हालत इतनी बिगड़ चुकी थी कि हमारे पास सिर्फ़ वही सामान बचा था, जो बिक नहीं सकता था।
अब हमारे पास बाक़ी सामान ख़रीदने के लिए धन भी नहीं बचा था। बचे हुए सामान को मैंने इज़राइल के एक
व्यक्ति को बहुत ही सस्ते दामों पर बेच दिया।
“पिताजी, जल्दी ही मेरे बुरे दिन शुरू हो गए। मैंने नौकरी की तलाश की, जो मुझे नहीं मिली, क्योंकि मेरे
पास कोई ऐसा ज्ञान या प्रशिक्षण नहीं था, जिसके माध्यम से मैं कमा सकूँ। मैंने अपने घोड़े बेच दिए। मैंने अपना
गुलाम बेच दिया। मैंने अपने अतिरिक्त कपड़ों को भी बेच दिया, ताकि मुझे भोजन और सोने की जगह मिल सके,
'परंतु हर दिन घोर गरीबी मेरे क्ररीब आती जा रही थी।”
“लेकिन उन दुख मरे दिनों में भी यह याद रहा कि आपको मुझ पर विश्वास था। आपणे मुझे मर्द बनने के लिए
भेजा था और मैं मर्द बनने के लिए संकल्पवान था। ” नोमाज़िर की माँ ने दोनों हाथों से अपना चेहरा छुपा लिया और
सुबकने लगी।
"उस समय मुझमें आपका दिया वह मृदापत्र याद आया, जिस पर घन के पाँच नियम लिखे थे। मैंने आपकी
समझदारी के शब्दों को बहुत ध्यान से पढ़ा। उन्हें पढ़ने के बाद मुझे यह एहसास हो गया कि अगर मैंने इन
समझदारी के शब्दों को पहले पढ़ लिया होता, तो मेरा घन नहीं डूबता। मैंने हर नियम याद कर लिया और यह
संकल्प किया कि जब सौभाग्य की देवी मुझ पर मेहरबान होंगी, तो मैं जवानी की अनुभवहीनता से नहीं, बल्कि उम्र
की बुद्धिमत्ता से अपनी दिशा तय करुंगा।”
आज रात जो लोग यहाँ पर बैठे हैं, उनके लाभ के लिए मैं अपने पिता के बुद्धिमत्तापूर्ण नियमों को पढ़ना
चाहूँगा, जो उन्होंने मुझे दस साल पहले दिए मृदापत्र पर लिखे थे:
धन के पाँच नियम
1. धन उस आदमी के पास खुशी-खुशी आता है और बढ़ती मात्रा में आता है, जो अपनी आमदनी क कम
से कम दसवें हिस्से का प्रयोग अपने तथा अपने परिवार के भविष्य के लिए जायदाद बताने में करता
है।
2... धन उस समझदार मालिक के लिए जमकर मेहनत करता है, जो इसके लिए लाभकारी काम खोजता
है। यह मवेशियों की तरह तेज़ी से बढ़ता है।
३. थन उस सावधान मालिक के संरक्षण में रहता है, जो इसका निवेश सिर्फ समझदार लोगों की सलाह
से करता है।
4. धन उस आदमी से दूर चला जाता है, जो इसका निवेश उन व्यवसायों या उद्देश्यों के लिए करता है,
जिनसे वह परिचित नहीं है या जिनकी अनुशंसा समझदार लोग नहीं करते है।
5. धन उस आदमौ से दूर चला जाता है, जो इसके माध्यम से असंभव आमदनी हासिल करना चाहता है
या जो चालबाज़ लोगों की लुभावनी सलाह मानता है या जो इसे अपनी अनुभवहीनता और रूमानी
इच्छाओं के अधीन निवेश करता है।
“ये घन के वे पाँच नियम हैं, जो मेरे पिताजी ने लिखे थे। मैं उन्हें सोने से भी ज़्यादा मूल्यवान मानता हूँ, जैसा
मैं आपको आगे की कहानी में बताऊँगा।”
वह एक बार फिर अपने पिता की ओर मुझा, 'मैने आपको बता दिया है कि अपनी अनुभवहीनता के कारण मैं
गरीबी और निराशा की गहराई में पहुँच गया था।'
“बहरहाल, संकटों की कोई श्रृंखला ऐसी नहीँ होती, जो कभी ख़त्म न हो। मेरे संकटों का दौर भी आखिरकार
तब ख़त्म हुआ, जब मुझे एक नौकरी मिल गई। मुझे शहर की नई बाहरी दीवार पर काम कसे वाले गुलामो का
मैनेजर बना दिया गया।”
“धन के पहले नियम के ज्ञान का लाभ उठाते हुए मैने अपनी पहली आमदनी में से दसवाँ हिस्सा यानी ताँबे
का एक सिक्का बचा लिया और मौक्रा मिलते ही इसमें सिक्के जोइता रहा, जब तक कि यह चाँदी के सिक्के में
नहीं बदल गया। यह बहुत धीमा काम था, क्योंकि इंसान को ज़िंदा रहने के लिए खर्च करना पड़ता है। मैने बहुत
किफ़ायत से खर्च किया, क्याकि मैं यह संकल्प कर चुका था कि दस साल बाद मैं आपको उतना धन लौटा दूँगा,
जितना आपने मुझे दिया था।”
“गुलामों के मालिक से मेरी मित्रता हो गई। एक दिन उसने मुझसे कहा, 'तुम एक किफ़ायती युवक हो, जो
अपनी कमाई को उड़ाते नहीँ हो। क्या तुम्हारे पास ऐसा धन है, जो काम में न आ रहा हो ?”
मैने जवाब दिया, 'हाँ, मेरी सबसे बड़ी इच्छा यही है कि मैं उतना धन कमा लूँ, जितना मेरे पिताजी ने मुझे
दिया था, परंतु जिसे मैंने अपनी मूर्खता से गँवा दिया है।'
“यह बहुत अच्छी महत्वाकांक्षा है! परंतु क्या तुम जानते हो कि तुमने जितना धन बचाया है, वह तुम्हारे लिए
मेहनत करके और ज़्यादा धन कमा सकता है ?”
“इस मामले में मेरा अनुभव बुरा रहा है, क्योंकि मेरे पिता का दिया घन मुझसे दूर चला गया है और मुझे डर है
कि कहीं मेरी बचत का भी यही हाल न हो। ” ”
उसने जवाब दिया, 'अगर तुम्हें मुझ पर भरोसा हो, तो मैं तुम्हें धन के लाभकारी प्रबंधन के बारे में एक सबक़॒
सिखाना चाइँगा। एक साल में शहर की बाहरी दीवार पूरी बन जाएगी और प्रवेश द्वार पर लगाने के लिए काँसे के
बड़े दरवाज़ों की ज़रूरत होगी, ताकि शहर शत्रुओं से सुरक्षित रहे। इन दरवाज़ों को बनाने के लिए निनेवे में पर्याप्त
भातु नहीं है और राजा ने इस बारे में सोचा ही नहीं है। मेरी योजना है कि हम लोग अपना घन इकट्ठा करके ताँबे और
(टिन की खदानो तक कारवाँ भेजें, जो बहुत दूर हैं। वहाँ से हम निनेवे के दरवाज़ों के लिए धातु मैगवाएँगे। जब राजा
कहेगा, “बड़े दरवाज़े लगाओ," तो सिर्फ़ हमारे पास ही उतनी धातु होगी, जिससे दरवाज़े बन सकें। इसके बदले में
राजा हमें ऊँचे दाम देगा। और अगर हम यह मान भी लें कि राजा हमसे घातु नहीं ख़रीदेगा, तो भी हमारे पास घातु तो
रहेगी, जिसे हम ऊँचे दामों पर बेच सकते हैं।*
नोमाज़िर ने कहा, 'उसके प्रस्ताव में मुझे तीसरे नियम की झलक दिखाई दी। तीसरे नियम के अनुसार अपनी
बचत का निवेश समझदार लोगों के मार्गदर्शन में करना चाहिए। ऐसा कले के बाद मैं निराश नहीं हुआ। हमारी
"योजना सफल हुई और उस सौदे की सफलता के बाद मेरा छोटा सा धन-संग्रह विशाल संग्रह बन गया।'
बाद में इस समूह ने मुझे अन्य निवेशों में भी हिस्सेदार बना लिया। वे लोग धन के लाभकारी प्रबंधन में निपुण
थे। कोई भी काम करे से पहले वे बहुत सावधानी से योजना बनाते थे। वे इस बात का ध्यान रखते थै कि उनके
मूल धन पर ज़रा भौ आँच न आए। वे ऐसे निवेशो में भौ हाथ नहीं डालते थे, जहाँ से उनका धन वापस न लौट सके।
gadis a दुकान मे पार्टनरशिप जैसी मूर्खतापूर्ण चीज़ों पर, जिनमे मैने अपनी अनुभवहीनता के कारण हाथ डाला
था, वे विचार भी नहीं करते थे। अगर मैंने उनके संपर्क में आने के बाद ये काम किए होते, तो उन्होंने मुझे तत्काल
इनके ख़तरे बता दिए होते।
इन लोगों के संपर्क में आने से मैने धन का सुरक्षित और लाभकारी निवेश करना सीख लिया। समय गुज़रने
के साथ मेरा खज़ाना बढ़ा और तेज़ी से बढ़ा। मैंने न सिर्फ़ अपना गैवाया हुआ धन दुबारा कमा लिया, बल्कि मैंने
उससे बहुत ज़्यादा कमाया।
“पिताजी, मेरे दुर्भाग्यों, परेशानियों और सफलताओं के द्वारा मैंने बार-बार घन के पाँच नियमों की बुद्धिमत्ता
को परखा है और वे हर इम्तहान में खरे उतरे हैं। जिस व्यक्ति को धन के इन पाँच नियमों का ज्ञान नहीं है, उसके
पास घन वैसे तो आता ही नहीं है और आता भी है, तो जल्दी ही चला जाता है। परंतु जो इन पाँच नियमों का पालन
करता है उसके पास घन आता है और उसके वफ़ादार सेवक की तरह काम करता है। ”
नोमाज़िर ने बोलना बंद कर दिया और कमरे में पीछे खड़े गुलाम को इशारा किया। गुलाम एक-एक करके
चमड़े के तीन भारी थैले लेकर आया। नोमाज़िर ने उनमें से एक को उठाकर अपने पिता के सामने रखा और कहा :
“आपने मुझे सोने की एक थैली दी थी, जिसमें बैबिलान का सोना था। उसके एवज में मैं आपको उतने ही
चज़न की निनेवे के सोने की थैली लौटा रहा हूँ। सब लोग यह बात मानेंगे कि यह बिलकुल बराबरी का सौदा है। ”
“आफ्ने मुझे बुद्धिमता से भरा मृदापत्न दिया था। उसके एवज में मैं आपको सोने की दो थैलियाँ लौटा रहा
El" यह कहते हुए उसने गुलाम से बाकी दोनों थैलियाँ लीं और उन्हें मी अपने पिता के सामने फ़र्श पर रख दिया। ”
“पिताजी, इस तरह मैं आपके सामने यह साबित कर रहा हूँ कि मैं आपकी बुद्धिमत्ता को आपके धन से ज़्यादा
मूल्यवान मानता हूँ। बहरहाल, बुद्धिमत्ता के मूल्य को सोने की थैलियों में नहीँ तौला जा सकता। बुद्धिमत्ता न हो,
तो घन अमीर आदमी से भी जल्दी ही दूर चला जाता है। लेकिन बुद्धिमत्ता होने पर गरीब आदमी भी धन हासिल कर
सकता है, जैसा सोने की मोहरो से भरी इन तीन थैलियों से साबित होता है।”
“पिताजी, मुझे आपके सामने खड़े होकर यह कहे में बहुत संतोष हो रहा है कि आपकी समझदारी के कारण
मैं अमीर और सम्मानित बनने में सफल हुआ। ”
पिता ने नोमाज़िर के सिर पर अपना हाथ फिराया और बोले, “तुमने अपने सबक्र अच्छी तह से सीख लिए हैं
और मैं ख़ुशकिस्मत हूँ, जो मुझे इतना योग्य पुत्र मिला है। अब मैं तुम्हें अपनी दौलत सौंप सकता हैँ।
कालाबाब ने अपनी कहानी ख़त्म की और श्रोताओं को देखा।
उसने पूछा, “नोमाज़िर की कहानी से तुमने क्या सीखा ?”
“तुममे से कौन अपने पिता या समुर के पास जाकर अपनी आमदनी के बुद्धमततपूर्ण प्रबंधन का हिसाब दे
सकता है?”
ये सम्मानित लोग क्या सोचेंगे, अगर तुम यह कहोगे, “मैंने काफ़ी यात्रा की है, काफ़ी कुछ सीखा है, काफ़ी
मेहनत की है और काफ़ी कमाया है, परंतु मैं ज़्यादा धन बचा नहीं पाया हूँ। कुछ घन मैंने समझदारी से ख़र्च किया,
कुछ मूर्खता से और बाक़ी मैंने नासमझी में गँवा दिया।'
“क्या तुम अब भी सोचते हो कि यह किस्मत का खेल है कि कुछ लोगों के पास बहुत दौलत होती है, जबकि
बाक्रियों के पास बिलकुल भी नहीं होती है ? अगर तुम ऐसा सोचते हो, तो तुम गलत सोचते हो। ”
“लोगों के पास दौलत तब आती है, जब वे धन के इन पाँच नियमों को जानते हैं और उनका पालन करते
a
*चुँकि मैंने किशोरावस्था में ही ये पाँच नियम सीख लिए थे और उनका पालन करने लगा था, इसलिए मैं
संपन्न व्यापारी बन गया। मैंने अपनी दौलत जादू से इकट्टी नहीँ की है।”
“जल्दी आने वाली दौलत जल्दी ही चली जातौ है।”
“अपने मालिक को खुशी और संतुष्टि देने वाली स्थायी दौलत धीरे-धीरे आती है, क्योंकि यह ज्ञान तथा
सतत संकल्प की संतान होती है। "
“दौलत कमाना विचारशील व्यक्ति के लिए एक हल्का बोझ होता है। इस बोझ को लगातार हर साल
उठाकर वह अपने अंतिम उद्देश्य को हासिल कर लेता है। ”
“मै तुम लोगों को पुरस्कार मं सोने के पाँच नियम देता हूँ, जिनका तुम्हें पालन करना चाहिए।”
“इन पाँच नियमों मं से हर एक का गहरा अर्थ है। हो सकता है तुमने कहानी सुनते समय इनके गहरे अर्थ को
नज़रअंदाज़ कर दिया हो, इसलिए अब मैं सभी नियमों को दोहराऊँगा। मुझे ये नियम अच्छी तरह याद हैं, क्यॉकि
मैने अपनी जवानी में उनका महत्व समझ लिया था और मैं तब तक चैन से नहीं बैठा, जब तक कि वे मुझे पूरी तरह
से याद नहीं हो गए।”
धन का पहला नियम
घन उस आदमी के पास ख़ुशी-खुशी आता है और बढ़ती मातरा में आता है, जो अपनी
आमदनी के कम से के भविष्य के लिए जायदाद बनाने में करता है।
“जो आदमी अपनी आमदनी का दसवाँ हिस्सा लगातार बचाता है और उसका समझदारी से निवेश करता है,
वह जल्दी ही अच्छी-ख़ासी जायदाद बना लेगा, जिससे भविष्य में उसे आमदनी होती रहेगी और जो उसकी मृत्यु की
स्थिति में उसके परिवार की सुरक्षा की गारंटी होगी। यह नियम कहता है कि धन हमेशा ऐसे आदमी के पास खुशी-
खुशी आता है। मैं अपने जीवन में इसका प्रमाण कई बार देख चुका हूँ। मैं जितना ज़्यादा धन इकट्ठा करता हूँ, यह
मेरे पास उतनी ही ज़्यादा मात्रा में और ज्यादा तेज़ी से आता है। जो धन मैं बचाता हूँ, वह और ज़्यादा कमाई करता
है, जिस तरह तुम्हारा भी करेगा। निवेश से मिलने वाले ब्याज का दुबारा निवेश करने पर तुम और ज़्यादा कमाओगे।
यही पहले नियम का सार है।”
धन का दूसरा नियम
घन उस समजझदार मालिक के लिए जमकर मेहनत करता है, जो इसके लिए
लाभकारी काम खोजता है। यह मवेशियों की तरह तेज़ी से बढ़ता है।
सचमुच धन एक इच्छुक सेवक है। यह मौक्रा मिलते ही कई गुना होने के लिए हमेशा उत्सुक रहता है। जो
भी धन को बड़ी मात्रा में इकड्टा कर लेता है, उसे इसके सबमे ज़्यादा लाभकारी प्रयोग का अवसर मिलता है। समय
गुज़सने के साथ धन आश्चर्यजनक तेज़ी से कई गुना हो जाता है
घन का तीसरा नियम
घन उस सावधान मालिक के संरक्षण मं रहता है, जो इसका निवेश सिर्फ़ समझदार
लोगों की सलाह से करता है।
“धन सावधान मालिक के संरक्षण में बढ़ता है और लापरवाह मालिक से दूर भागता है। जो व्यक्ति धन के
प्रबंधन में समझदार लोगों की सलाह लेता है, वह जल्दी ही यह सौख लेता है कि अपने धन को जोखिम में डालने
के बजाय उसे सुरक्षित रखने और लगातार बढ़ते देखने में ही सच्चा आनंद मिलता है। ”
घन का चौथा नियम
घन उस आदमी से दूर चला जाता है, जो इसका निवेश उन व्यवसायों या उद्देश्यों के
लिए करता है, जिनसे से वह परिचित नही है या जिनकी अनुशंसा समझदार लोग नही
करते हैं।
“निस व्यक्ति के पास धन तो होता है, परंतु वह इसे सँमालना नहीँ जानता है, उसे बहुत से लाभकारी सौदे
नज़र आते हैं। अक्सर उनमें धन गँवाने का जोखिम होता है। समझदार व्यक्तियों के अनुसार उनमें लाभ की बहुत
कम संभावना होती है। परंतु धन का अनुभवहीन मालिक अपनी बुद्धि पर ज़रूरत से ज़्यादा भरोसा करता है और वह
अपने घन को ऐसे व्यवसायों तथा उद्देश्यं मे लगाता है, जिनके बारे में वह कुछ नहीं जानता। अक्सर बाद में जाकर
उसे पता चलता है कि उसका निर्णय गलत था। इस तरह वह अपनी अनुभवहीनता के कारण अपना धन गँवा
देता है। सचमुच समझदार व्यक्ति वह है, जो अपनी बचत का निवेश उन लोगों की सलाह से करता है, जो धन के
प्रबंधन में निपुण होते हैं।”
धन का पाँचवाँ नियम
घन उस आदमी से दूर चला जाता है, जो इसके माध्यम से असंभव आमदनी हासिल
करना चाहता है या जो चालबाज़ लोगों की लुभावनी सलाह मानता है या जो इसे
आमदनी के कम से के भविष्य के लिए जायदाद बनाने में करता है।
“जो आदमी अपनी आमदनी का दसवाँ हिस्सा लगातार बचाता है और उसका समझदारी से निवेश करता है,
चह जल्दी ही अच्छी-खासी जायदाद बना लेगा, जिससे भविष्य में उसे आमदनी होती रहेगी और जो उसकी मृत्यु की
स्थिति में उसके परिवार की सुरक्षा की गारंटी होगी। यह नियम कहता है कि धन हमेशा ऐसे आदम के पास ख़ुशी-
खुशी आता है। मैं अपने जीवन में इसका प्रमाण कई बार देख चुका हूँ। मैं जितना ज़्यादा घन इकट्ठा करता हैं, यह
मेरे पास उतनी ही ज़्यादा मात्रा में और ज्यादा तेज़ी से आता है। जो धन मैं बचाता हूँ, वह और ज़्यादा कमाई करता
है, जिस तरह तुम्हारा भी करेगा। निवेश से मिलने वाले व्याज का दुबारा निवेश करने पर तुम और ज्यादा कमाओगे।
यही पहले नियम का सार है।”
धन का दूसरा नियम
घन उस समजझदार मालिक के लिए जमकर मेहनत करता है, जो इसके लिए
लाभकारी काम खोजता है। यह मवेशियों की तरह तेज़ी से बढ़ता है।
सचमुच धन एक इच्छुक सेवक है। यह मौक्रा मिलते ही कई गुना होने के लिए हमेशा उत्सुक रहता है। जो
भी धन को बड़ी मात्रा में इकड्टा कर लेता है, उसे इसके सबसे ज़्यादा लाभकारी प्रयोग का अवसर मिलता है। समय
गुज़े के साथ धन आश्चर्यजनक तेज़ी से कई गुना हो जाता है
धन का तीसरा नियम
घन उस सावधान मालिक के सरक्षण में रहता है, जो इसका निवेश सिर्फ समझदार
लोगों की सलाह से करता है।
“धन सावधान मालिक के संरक्षण में बढ़ता है और लापरवाह मालिक से दूर भागता है। जो व्यक्ति धन के
प्रबंधन में समझदार लोगों की सलाह लेता है, वह जल्दी ही यह सौख लेता है कि अपने धन को जोखिम में डालने
के बजाय उमे सुरक्षित रखने और लगातार बढ़ते देखने में ही सच्चा आनंद मिलता है।”
धन का चौथा नियम
घन उस आदमी से दूर चला जाता है, जो इसका निवेश उन व्यवसायों या उद्देश्यों के
लिए करता है, जिनसे से बह परिचित नही है या जिनकी अनुशंसा समझदार लोग नही
करते हैं।
“जिस व्यक्ति के पास धन तो होता है, परंतु वह इसे सैभालना नहीं जानता है, उसे बहुत से लाभकारी सौदे
नज़र आते हैं। अक्सर उनमें घन गँवाने का जोखिम होता है। समझदार व्यक्तियों के अनुसार उनमें लाभ की बहुत
कम संभावना होती है। परंतु धन का अनुभवहीन मालिक अपनी बुद्धि पर ज़रूरत से ज़्यादा भरोसा करता है और वह
अपने धन को ऐसे व्यवसायों तथा उद्देश्यं में लगाता है, जिनके बारे में वह कुछ नहीं जानता। अक्सर बाद में जाकर
उसे पता चलता है कि उसका निर्णय गलत था। इस तरह वह अपनी अनुभवहीनता के कारण अपना थन गँवा
देता है। सचमुच समझदार व्यक्ति वह है, जो अपनी बचत का निवेश उन लोगों की सलाह से करता है, जो धन के
प्रबंधन में निपुण होते हैं।”
धन का पाँचवाँ नियम
घन उस आदमी से दूर चला जाता है, जो इसके माध्यम से असंभव आमदनी हासिल
करना चाहता है या जो चालबाज़ लोगों की लुभावनी सलाह मानता है या जो इसे
अपनी अनुभवहीनता और रुमानी इच्छाओं के अधीन निवेश करता है।
“नएन्नए धनवान बने व्यक्ति के सामने रोमांचक और कल्पना की हवाई उड़ानों वाली योजनाएँ हमेशा आती
हैं। ऐसा नज़र आता है कि जादुई शक्ति से उसका खज़ाना बढ़ जाएगा और उसे असंभव आमदनी होने लगेगी।
बहरहाल, समझदार व्यक्तियों की बातों पर ध्यान दें, क्योंकि वें फटाफट दौलत कमाने की हर योजना के पीछे छिपे
जोखिमों को जानते है।”
“निनेवे के अमीर लोगों को न भूलें, जो अपते मूलधन को गंवाने का कोई जोखिम नहीँ लेना चाहते थे या इसे
अलाभकारी निवेशों मं फॅसाना चाहते थे।”
“यहाँ पर धन के पाँच नियमों की मेरी कहानी खत्म होती है। इसमें मैने अपनी सफलता के रहस्य भी बता
दिए हैं।
“बहरहाल, ये रहस्य नहीं, बल्कि सच्चाइयाँ हैं, जो हर इंसान को पहले सीखना होंगी और फिर इन पर अमल
करना होगा। तभी वह ज़्यादातर लोगों के समूह से बाहर निकल सकता है, जो आवारा कुत्तों की तरह हर दिन अपने
भोजन के बारे में ही चिंता करते हैं।
“कल हम बैबिलाँ में प्रवेश करेंगे। देखो। बेल के मंदिर के ऊपर हमेशा जलने वाली ज्योति को देखो!
सुनहरा शहर हमारे सामने है। कल तुममें से हर एक के पास धन होगा, जिसे तुमने अपनी वफ़ादारी भरी सेवा से
कमाया है।”
“आज से दस साल बाद तुम इस धन के बारे में क्या कहोगे
“अगर तुम नोमाज़िर की तरह अपने धन के एक हिस्से से जायदाद बनाना शुरू करोगे और अरक्राद की
बुद्धिमता से मार्गदर्शन लोगे, तो यह तय है कि दस साल बाद अस्क्राद के पुत्र की तरह ही तुम भी अमीर और
सम्मानित बन जाओगे। ”
“हमारे समझदारी भरे काम हमें ज़िंदगी भर खुशी देते हैं और हमारी मदद करते हैं। इसी तरह हमारे नासमझी
भरे काम हमें जिंदगी भर दुख देते हैं और सताते हैं। हम उन्हें भुला नहीं पाते हैं। हमें जो चीजें सबसे ज़्यादा सताती हैं,
चे उन चीज़ों की यादें हैं, जो हमें करना चाहिए थीं, उन अवसरों की यादें हैं, जो हमारे सामने आए, परंतु हम उनका
लाभ नहीं उठा पाए।"
बैबिलॉन के ख़ज़ाने भरे हुए हैं। इनमें इतनी बेशुमार दौलत है कि कोई व्यक्ति सोने की मोहरों में उनकी
गिनती नहीं कर सकता। साल ये ख़ज़ाने ज़्यादा भर जाते हैं। हर देश के ख़ज़ानों की तरह इस में भी पुरस्कार उन
संकल्पवान लोगों का इंतज़ार कर रहा है, जो अपना उचित हिस्सा लेने का संकल्प कर चुके हैं।"
*आपकी इच्छाशकति में ताक़त होती है। अगर तुम धन के पाँच नियमों के ज्ञान से इस शक्ति को राह
दिखाओगे, तो तुम भी बैबिलॉन के ख़ज़ाने में हिस्सेदार बन जाओगे। ”
HI
बैबिलॉन का साहूकार
सो ने की पचास मोहरें! बैबिलॉन में भाले बनाने वाले रोडन के चमड़े के पर्स में इससे पहले कभी इतनी
मोहो नहीं रही थीँ। वह राजमहल से निकलकर राजमार्ग पर चलने लगा। उसके हर क्रदम के साथ
उसके बेल्ट में बँधे पर्स में मोहो खनक रही थीं जो उसे दुनिया का सबसे मधुर संगीत लग रहा था।
सोने की पचास मोहर = सब की सब उसकी! उसे अपनी खुशक्रिस्मती पर यक्रीन ही नहीं हो रहा था। सोने
की इन खनकती मोहहों में कितनी शकि है! इनसे वह जो चाहे ख़रीद सकता है = बड़ा घर, ज़मीन, मवेशी, ऊँट,
घोड़े, रथ, जो भी वह चाहे।
वह इनका प्रयोग कैसे करेगा ? उस शाम को जब वह अपनी बहन के घर की तरफ़ जाने वाली गली में मुझ,
तो वह किसी और चीज़ के बार में नहीं सोच पा रहा था। उसके मन में सिर्फ यही ख्वाहिश थी कि वह सोने की उन
चमकती, भारी मोहरे का स्वामी बना रहे = हमेशा।
(इसके कुछ दिनों बाद की बात है। शाम के समय परेशान रोडन मैथन की दुकान के भीतर गया। मैथन साहुकार
था और लोगों को धन उधार देता था। वह हौरे-जवाहरात तथा दुलभ वस्त्र का व्यापारी भी था। रोडने दाएँ-बाएँ
कुछ नहीँ देखा, जहाँ रंगीन वस्तुएँ खूबसूरती से सजी थीं। वह सीधा पीछे की तरफ़ बने हुए घर की ओर गया। वहाँ
पर उसे मैथन एक क्रालीन पर बैठा दिखा। मैथन भोजन कर रहा था और एक अश्वेत गुलाम उसे खाना परोस रहा
था।
'गेडन सीधे उसके सामने जाकर पैर फैलाकर खड़ा हो गया। उसकी चमड़े की जैकेट के बीच से बालों भरा
सीना दिख रहा था। उसने कहा "मैं आपसे एक चीज़ के बारे मैं सलाह लेना चाहता हूँ। मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि
इस मामले में क्या करूं। ”
मैथन के पतले और पीले चेहरे पर एक मित्रता भरी मुस्कान आ गई, “तुमने कौन सी गलती कर दी है, जिसकी
वजह से तुम्हें साहुकार के पास उधार लेने आना पड़ा है? क्या जुए की टेबल पर तुषं बदक्रिस्मति का सामना करना
पड है? या फिर किसी जवान खूबसूरत महिला ने तुम्हें अपने जाल में फैसा लिया है ? मैं तुम्हें कई सालों से जानता
हँ, परंतु तुम मदद माँगने के लिए मेरे पास पहले कभी नहीँ आए। ”
“नहीँ, नहीं। वह बात नहीँ है, जो आप सोच रहे हैं। मै आपसे धन उधार नहीं लेना चाहता। इसके बजाय मैं
आपकी समझदारी भरी सलाह लेना चाहता हूँ।”
“सुनो! सुनो! यह आदमी क्या कह रहा है ? साहकार के पास सलाह लेने कौन आता है ? शायद गेरे कान
मुझे घोखा दे रहे हैं। "
“नहीँ, वे सच सुन रहे हैं।
“क्या ऐसा हो सकता है ? भाले बनाने वाला रोडन बाक़ी सब लोगों से ज़्यादा चतुर है, क्याँकि वह मैथन के
पास घन नहीं, बल्कि सलाह लेने आया है। बहुत से लोग मूर्खतापूर्ण र्च के लिए मुझसे धन उधार लेने आते हैं,
परंतु वे सलाह नहीं चाहते हैं। बहरहाल, साहका से ज़्यादा अच्छी सलाह और कौन दे सकता है, जिसके पास लोग
अपनी मुश्किल में उधार लेने आते हैं?”
“रोडन, आज तुम मेरे साथ खाना खाओगे। आज शाम को तुम मेरे मेहमान बनोगे। एडो!” उसने अपने अश्वेत
गुलाम को आदेश दिया, “मेरे मित्र रोडन के लिए एक क्रालीन बिछाओ। वह मुझसे सलाह लेने आया है। वह मेरा
सम्मानित अतिथि है। उसके सामने बहुत सा भोजन परोसो और मेरा सबसे बड़ा गिलास लेकर आओ। सबसे अच्छी
शराब चुनना, ताकि रोडन को उसे पौने में मज़ा आ जाए।
“अब मुझे बताओ, तुम किस मुश्किल में हो। ”
“मैं सप्राट के उपहार की वजह से मुश्किल में हं।”
“सम्राट के उपहार की वजह से ? सम्राट ने तुम्हें एक उपहार दिया है और उसकी वजह से तुम मुश्किल में हो ?
किस तरह का उपहार ?”
“मैने शाही रक्षकों के भालों पर नई नोक का नमूना पेश किया था, जिसमे सम्राट बहुत खुश हुए और उन्होने
मुझे पुरस्कार मं सोने की पचाम मोह दे दीं। इससे मैं बहुत दुविधा में हूँ। "
“दिन भर ऐसे लोग मुझे तंग करते हैं, जो मुझसे यह दौलत हथियाना चाहते हैं। ”
मैथन ने कहा, “यह स्वाभाविक है। ज़्यादातर लोग धन चाहते हैं, जबकि यह बहुत कम लोगों के पास होता
है। ज़्यादातर लोग उस दौलतमंद व्यक्ति को खोजते हैं, जिसने आसानी से दौलत कमाई हो, ताकि वे उसका धन
हडप सकें। परंतु तुम उनसे 'नहीं' क्यों नहीं कहते हो ? क्या तुम्हारी इच्छाशक्ति तुम्हारी मुट्ठी जितनी सशक्त नहीं
है?"
“ज़्यादातर लोगों से मैं 'नहीं' कह देत ह, परंतु कई बार हाँ कहना ज़्यादा आसान होता है। क्या कोई अपनी
हुत ही प्यारी बहन को दौलत देने से इंकार कर सकता है ?”
“निश्चित रूप से तुम्हारी बहन तुम्हें इस पुरस्कार के आनंद से वंचित नहीँ करना चाहती होगी। ”
“परंतु वह यह घन अपने पति अरमान के लिए चाहती है, जिसे वह एक अमीर व्यापारी के रुप में देखना
चाहती है। उसे लगता है कि अरमान को कभी मरौक्रा नहीं मिला है। उसने मुझसे आप्रह किया है कि मैं उसके पति
'को यह धन दे दँ, ताकि वह एक समृद्ध व्यापारी बन जाए। वह यह भौ कहती है कि सफल होने के बाद उसका पति
मेरा सारा कर्ज़ चुका देगा।”
मैथन ने कहा, “मेरे मित्र, तुम जिस विषय पर सलाह लेने आए हो वह बहुत ही बढ़िया विषय है। धन अपने
साथ ज़िम्मेदारी भी लाता है। धन के स्वामी की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है। उसके साथियों के साथ उसकी स्थिति
बदल जाती है। धन के साथ यह डर भी आता है कि कहीं यह धन चला न जाए या कोई चालबाज़ी से उसे ले न
जाए। पैसे से नेक काम करने की शक्ति और सामश्र्य मिलती है। इसी तरह, धनवान आदमी के सामने ऐसे अवसर
भी आते हैं, जब बहुत अच्छे इदों के बावज़ूद वह मुश्किल में पड़ सकता है।”
“क्या तुमने कभी निमेवे के उस किसान के बारे में सुना है, जो जानवरों की भाषा समझ सकता था ? मुझे
"लगता है तुमने नहीं सुना होगा, क्योकि काँसा ढालने वाले की वर्कशाँप में लोग इस तरह की कहानी नहीँ सुनाते
हैं। मँ तुम्हें यह कहानी सुनाऊँगा, ताकि तुम यह समझ जाओ कि उधार लेना और देना सिर्फ़ एक व्यक्ति के हाथ से
पैसा निकलकर दूमरे व्यक्ति के पास पैसा जाने तक ही सीमित नहीं है।”
वह किसान जानवरों की बातें समझ लेता था। वह हर शाम को जानवरों की बातें सुनने के लिए उनके दड़बे
के पास रुक जाता था। एक शाम को उसने सुना कि बैल खच्चर से शिकायत कर रहा था कि उसकी जिंदगी में
कष्ट ही कष्ट है, मैं सुबह से शाम तक जुताई में ही लगा रहता हूँ। चाहे कितनी ही गर्मी हो, चाहे मैं कितना ही थका
हूँ या चाहे मेरी गर्दन कितनी ही दुख रही हो, मुझे काम करना पडता है। दूसरी तरफ़, तुम हमेशा आराम करते रहते
हो। तुषं रंगीन कंबल से सज़ाया जाता है, जबकि तुम मालिक को मनचाही जगह पर ले जाने के अलावा कुछ नहीँ
करते हो। जब मालिक को कहीँ नहीं जाना होता है, तो तुम आराम करते हो और सारा दिन हरी घास खाते रहते हो।'
खच्चर बहुत दयालु था। उसने बैल के साथ सहानुभूति दिखाते हुए कहा, 'मरे परिय म्र, तुम बहुत कड़ी
मेहनत करते हो और मै तुम्हरे we दूर करन में मदद करूंगा। मैं तुम्हे बताता हैँ कि तुम कैसे आराम कर सकते हो।
सुबह जब नौकर तुम्हें जोतने आए, तो तुम ज़मीन पर गिर जाना और दर्द से कराहने लगना, ताकि वह मालिक से
जाकर कहे कि तुम बीमार हो और काम नहीं कर सकते।'
बैल ने खच्चर की सलाह मान ली। अगली सुबह नौकर ने किसान से जाकर कहा कि बैल बीमार है और वह
जुताई का काम नहीं कर सकता।
किसान ने कहा, “मुताई का काम तो होना ही है, इसलिए तुम बैल की जगह पर खच्चर को बाँध दो। "
“खच्चर की इच्छा सिर्फ़ अपने मित्र की मदद करने की थी, परंतु इसका परिणाम यह हुआ कि पूरे दिन उसे
बैल के हिस्से का काम करना पड़ा। रात होने पर जब वह दड़बे में वापस आया, तो उसके दिल में कड़वाहट भरी थी,
उसके पैर थके थे और उसकी गर्दन दुख रही थी।”
“किसान उनकी बाते सुनने के लिए वहीं ठहर गया।”
बैल ने कहा, “तुम मेरे अच्छे मित्र हो। तुम्हारी समझदारी भरी सलाह के कारण मुझे दिन भर पूरा आराम
मिला।'
“खच्चर ने जवाब दिया, 'और मै मूर्ख हूँ, क्योंकि मैं तो सिर्फ़ मित्र की मदद करना चाहता था, परंतु बदले में
मुझे ही उसके हिस्से का पूरा काम करना पड़ा। आज के बाद तुम अपना काम खुद करना, क्योंकि मैंने मालिक को
सेवक से यह कहते सुना था कि अगर तुम दुबारा बीमार हुए, तो वह तुम्हें क्रसाई के पास मिजवा देगा। यह ठीक भी
रहेगा, क्योंकि तुम बहुत आलसी हो।” इसके बाद उन्होंने एक-दूसरे से कभी बातचीत नहीं की - उनकी दोस्ती ख़त्म
हो गई। इस कहानी से तुम्हें क्या शिक्षा मिलती है, रोडन ?”
रोडन ने कहा, “कहानी अच्छी थी, परंतु मुझे इसमें शिक्षा या सबक़ जैसी कोई चीज़ नहीं दिखी। "
“मुझे लगा भी नहीं था कि तुम्हें दिखेगी। परंतु सबक़ है और बहुत आसान है। अगर तुम अपने मित्र की मदद
करा चाहते हो, तो इस तरह से करो, ताकि तुम्हरे मित्र का बोझ तुम्हारे ऊपर न आ जाए।”
“मैने इस बारे में तो सोचा ही नहीँ था। यह बहुत समझदारी भरा सबक्र है। मैं अपनी बहन के पति का बोझ
अपने ऊपर नहीँ लेना चाहता हूँ। परंतु मुझे एक बात बताएँ। आप बहुत से लोगों को उधार दते हैं। क्या उधार लेने
चाले हमेशा उधार चुका देते हैं ?"
मैथन बहुत अनुभवी आदमी की तरह मुस्कराया। फिर उसने कहा, “अगर कर्जदार कज़्॑ चुका नहीं सकता,
तो क्या साहूकार उमे कर्ज देगा ? साहकार को सावधानी और समझदारी से यह तय करना होता है कि उसका
धन उधार लेने वाले के काम आएगा तथा उसका पैसा दुबारा लौट आएगा। अगर उसका धन मूर्खतापूर्ण काम में
'लगेगा, तो उसका मूलधन भी डूब जाएगा, क्योंकि कर्ज़ लेने वाला कर्ज़ नहीं चुका पाएगा ? मै तुम्हें अपनी संदूक में
रखी निशानियाँ बताता हूँ। हर निशानी में एक कहानी छुपी हुई है। ”
वह कमे में एक बड़ा संदूक लेकर आया, जिस पर सुअर की लाल खाल चढ़ी थी और उस पर काँसे की
आकृति बनी थी। संदूक को फर्श पर रखकर वह उसके सामने बैठ गया। फिर वह अपने दोनों हाथों से उसे खोलने
'लगा।
“मैं जिसे भी उधार देता हूँ, उससे अपनी इस संदूक के लिए कोई न कोई निशानी ज़रूर ले लेता हूँ। वह
निशानी तब तक यहाँ रहती है, जब तक कि पूरा कर्ज़ नहीं उतर जाता। जब कर्ज़॑दार पूरा कर्ज चुका देता है, तो मैं
उसे वह निशानी लौटा देता हूँ। बहरहाल, अगर वह कर्ज़ नहीं चुका पाता है, तो वह निशानी मुझे हमेशा यह याद
'दिलाती रहती है कि अमुक व्यक्ति मेरे विश्वास पर खरा नहीं उतरा।”
“निशानी वाला संदूक मुझे बताता है कि सबमे सुरक्षित कर्जदार वे होते हैं, जिनके पास कर्ज़ की रक्रम से
ज़्यादा संपत्ति होती है। उनके पास ज़मीन, हीरे-जवाहरात, ऊँट या अन्य चीजें होती हैं, जिन्हें बेचकर कर्ज़ चुकाया
जा सकता है। मुझे निशानी के रूप में कई ऐसे रत्र दिए जाते हैं, जिनका मूल्य कर्ज़ से ज़्यादा होता है। बाक्रियों
में इस तरह के वादे होते हैं कि अगर कर्ज़ न चुकाया गया, तो वे अपनी जायदाद का एक निश्चित हिस्सा मेरे नाम
कर देंगे। इस तरह के करज़ देते समय मुझे विश्वास होता है कि मेरा धन सूद समेत वापस लौट आएगा, क्योंकि कर्ज़
जायदाद के आधार पर दिया गया है।”
“दूसरी श्रेणी में ऐसे लोग आते हैं, जिनमें कमाने की क्षमता होती है। वे तुम्हारी तरह के लोग होते हैं, जो
मेहनत या सेवा करते हैं और उहें बदले में वेतन या पारिश्रमिक मिलता है। उनके पास आमदनी का नियमित साधन
होता है। अगर वे ईमानदार हों और उन पर कोई विपत्ति न आए, तो वे कर्ज़ और सूद दोनों को चुका सकते हैं। इस
तरह के कर्ज़ इंसान की मेहनत पर आधारित होते हैं। ”
“बाकी लोग ऐसे होते हैं, जिनके पास न तो जायदाद होती है, न ही कमाने की विश्वसनीय क्षमता होती है।
निदगी मुश्किल है और कुछ लोग ज़िंदगी के साथ तालमेल नहीं बिठा पाते हैं। इन लोगों को मै जो कर्ज दता हँ,
भले ही वह एक रुपए का भी क्यों न हो, मेरा निशानी वाला संदूक आगे आने वाले सालों में मुझे चिढ़ाता रहेगा, जब
तक कि कर्ज लेने वाले के साथ उसके अच्छे मित्रं की गारंटी न हो, जो उसे विश्वसनीय मानते हों।”
मैथन ने संदूक खोला। रोडन उत्सुकता से आगे झुका।
संदूक में सबसे ऊपर लाल कपडे पर काँसे का नेक-पौस पड़ा था। मैथन ने उसे उठाकर प्यार से थपथपाया,
“यह मेरे संदूक में हमेशा रहेगा, क्योंकि इसका मालिक अब इस दुनिया से जा चुका है। मैं इस निशानी को
सँभालकर रखता हूँ और मैं उसकी यादों को भी सँजोकर रखता हैं, क्योंकि वह मेरा अच्छा मित्र था। हमने साथ-
साथ सफलतापूर्वक व्यापार किया या, जब तक कि वह पूर्वी देश की एक महिला को ब्याह कर नहीं ले आया।
वह सुंदर थी, परंतु हमारी महिलाओं जैसी नहीं थी। वह औरत नहीं, बिजली थी! मेंरे मित्र ने अपनी पत्नी की
इच्छाओं को संतुष्ट करने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया। जब उसका घन ख़त्म हो गया, तो वह कष्ट में मेरे
पास आया। मैंने उसे सलाह दी। मैंने उससे कहा कि मैं उसे एक बार फिर हालात ठीक करने का मौक़ा दूँगा। उसने
नए सिरे से शुरू करने की कसम खाईं। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। एक दिन आपसी झगड़े में उसकी पत्नी ने उसके
सीने में चाकू घुसा दिया, क्योंकि उसके पति ने उसे ऐसा करने की चुनौती दी थी। ”
रहेगा, क्योंकि तुम बहुत आलसी हो।' इसके बाद उन्होंने एक-दूसरे से कभी बातचीत नहीं की - उनकी दोस्ती खत्म
हो गईं। इस कहानी से तुम्हें क्या शिक्षा मिलती है, रोडन ?”
रोडन ने कहा, “कहानी अच्छी थी, परंतु मुझे इसमें शिक्षा या सबक़ जैसी कोई चीज़ नहीं दिखी।”
“मुझे लगा भी नहीं था कि तुम्हें दिखेगी। परंतु सबक़ है और बहुत आसान है। अगर तुम अपने मित्र की मदद
करना चाहते हो, तो इस तरह से करो, ताकि तुम्हारे मित्र का बोझ तुम्हारे ऊपर न आ जाए।"
“मैंने इस बारे में तो सोचा ही नहीं था। यह बहुत समझदारी भरा सबक़ है। मैं अपनी बहन के पति का बोझ
अपने ऊपर नहीं लेना चाहता हूँ। परंतु मुझे एक बात बताएँ। आप बहुत से लोगों को उधार देते हैं। क्या उधार लेने
वाले हमेशा उधार चुका देते हैं ?"
मैथन बहुत अनुभवी आदमी की तरह मुस्कराया। फिर उसने कहा, “अगर कर्जदार कर्ज़ चुका नहीं सकता,
तो क्या साहूकार उमे कर्ज देगा ? साकार को सावधानी और समझदारी से यह तय करना होता है कि उसका
घन उधार लेने वाले के काम आएगा तथा उसका पैसा दुबारा लौट आएगा। अगर उसका न मूर्खतापूर्ण काम में
लगेगा, तो उसका मूलधन भी डूब जाएगा, क्योंकि कर्ज़ लेने वाला कर्ज़ नहीं चुका पाएगा ? मैं तुम्हें अपनी संदूक में
रखी निशानियाँ बताता हूँ। हर निशानी में एक कहानी छुपी हुई है। ”
वह कम में एक बड़ा संदूक लेकर आया, जिस पर सुअर की लाल खाल चढ़ी थी और उस पर काँसे की
आकृति बनी थी। संदूक को फ़र्श पर रखकर वह उसके सामने बैठ गया। फिर वह अपने दोनों हाथों से उसे खोलने
लगा।
“पैं जिसे भी उधार देता हूँ, उससे अपनी इस संदूक के लिए कोई न कोई निशानी ज़रूर ले लेता हैं। वह
निशानी तब तक यहाँ रहती है, जब तक कि पूरा कर्ज़ नहीं उतर जाता। जब कर्जदार पूरा कर्ज चुका देता है, तो मैं
उसे वह निशानी लौटा देता हूँ। बहरहाल, अगर वह कर्ज नहीं चुका पाता है, तो वह निशानी मुझे हमेशा यह याद
'दिलाती रहती है कि अमुक व्यक्ति मेरे विश्वास पर खरा नहीं उतरा।”
“निशानी वाला संदूक मुझे बताता है कि सबसे सुरक्षित कर्जदार वे होते हैं, जिनके पास कर्ज़ की रक्रम से
ज़्यादा संपत्ति होती है। उनके पास ज़मीन, हीरे-जवाहरात, ऊँट या अन्य चीजें होती हैं, जिन्हें बेचकर कर्ज़ चुकाया
जा सकता है। मुझे निशानी के रूप में कई ऐसे रत्न दिए जाते हैं, जिनका मूल्य कर्ज़ से ज़्यादा होता है। बाक़ियों
में इस तरह के वादे होते हैं कि अगर कर्ज़ न चुकाया गया, तो वे अपनी जायदाद का एक निश्चित हिस्सा मेरे नाम
कर देंगे। इस तरह के कज़ं देते समय मुझे विश्वास होता है कि मेरा घन सूद समेत वापस लौट आएगा, क्योंकि कर्ज़
जायदाद के आधार पर दिया गया है।”
“दूसरी श्रेणी में ऐसे लोग आते हैं, जिनमें कमाने की क्षमता होतो है। वे तुम्हारी तरह के लोग होते हैं, जो
मेहनत या सेवा करते हैं और उन्हें बदल में वेतन या पारिश्रमिक मिलता है। उनके पास आमदनी का नियमित साधन
होता है। अगर वे ईमानदार हों और उन पर कोई विपत्ति न आए, तो वे कर्ज़ और सूद दोनों को चुका सकते हैं। इस
तरह के कर्ज़ इंसान की मेहनत पर आधारित होते हैं। ”
“बाक्री लोग ऐसे होते हैं, जिनके पास न तो जायदाद होती है, न हीं कमाने की विश्वसनीय क्षमता होती है।
ज़िंदगी मुश्किल है और कुछ लोग ज़िंदगी के साथ तालमेल नहीं बिठा पाते हैं। इन लोगों को मैं जो कर्ज़ देता हैँ,
भले ही वह एक रुपए का भी क्यों न हो, मेरा निशानी वाला संदूक आगे आने वाले सालों में मुझे चिढ़ाता रहेगा, जब
तक कि कर्ज लेने वाले के साथ उसके अच्छे मित्रों की गारंटी न हो, जो उसे विश्वसनीय मानते हों।”
मैथन ने संदूक खोला। रोडन उत्सुकता से आगे झुका।
संदूक में सबसे ऊपर लाल कपड़े पर काँसे का नेक-पीस पड़ा था। मैथन ने उसे उठाकर प्यार से थपथपाया,
“यह मेरै संदूक में मेशा रहेगा, क्योंकि इसका मालिक अब इस दुनिया से जा चुका है। मैं इस निशानी को
सँभालकर रखता हूँ और मैं उसकी यादों को भी सँजोकर रखता हैँ, क्योंकि वह मेरा अच्छा मित्र था। हमने साथ-
साध सफलतापूर्वक व्यापार किया या, जब तक कि वह पूर्वाँ देश की एक महिला को ब्याह कर नहीं ले आया।
वह सुंदर थी, परंतु हमारी महिलाओं जैसी नहीं थी। वह औरत नहीं, बिजली थी! मेरे मित्र ने अपनी पल्ली की
इच्छाओं को संतुष्ट करने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया। जब उसका धन ख़त्म हो गया, तो वह कष्ट में मेरै
पास आया। मैने उसे सलाह दी। मैंने उससे कहा कि मैं उसे एक बार फिर हालात ठीक करने का मौक़ा दूँगा। उसने
नए सिरे से शुरू करने की क़सम खाईं। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। एक दिन आपसी झगड़े में उसकी पत्नी ने उसके
सीने में चाकू घुसा दिया, क्योंकि उसके पति ने उसे ऐसा करने की चुनौती दी थी।”
“और वह महिला ?” रोडन ने सवाल किया।
“हँ, ज़ाहिर है, यह उसी का है। ” मैथन ने लाल वस्त्र उठाते हुए कहा, “पछतावे में वह नदी में कूद गई। ये दों
कर्ज कभी नहीं चुकाए जाएँगे। रोडन, यह संदूक बताता है कि जो लोग बहुत भावुक होते हैं या भावनात्मक TET
में घिरे रहते हैं, वे साहूकार के लिए सुरक्षित नहीं होते हैं।
“यह! यह अलग चीज़ है। ” उसने बैल की हड्डी से बनी अंगूठी को उठाते हुए कहा। “यह एक किसान की
है। मैं उसकी महिलाओं से गलीचे खरीदता हूं। उस किसान के खेत पर रिट्टी दल ने धावा बोल दिया। उसके घर में
'फाके पड़ने की नौबत आ गईं। ऐसे समय में मैने उसकी मदद की। नईं फसल आने पर उसने तत्काल अपना कर्ज
चुका दिया। इसके बाद एक दिन वह मेरे पास आया और उसने एक दूर देश की बकरियों के बारे में बताया, जिनका
वर्णन उसने एक यात्री से सुना था। उन बकरियों के लंबे बाल इतने सुंदर और नर्म थे कि वह उनसे इतने बेहतरीन
गलीचे बना सकता था, जैसे आज तक बैबिलॉन मेँ देखे नहीं गए। वह ऐसी बकरियों का रेवड़ चाहता था, परंतु
उं खरीदने के लिए उसके पास धन नहीं था। इसलिए मैंने उसे यात्रा करने और बकरियाँ लाने के लिए घन उधार
दिया। अब उसने रेवड़ ख़रीद लिया है और अगले साल मैं बैबिलॉन के अमीरों को हैरान कर दूँगा, क्योंकि मैं उन्हें
बहुत शानदार और महँगे ग़लीचे बेचूँगा। जल्दी ही मुझे उसकी अंगूठी लौटाना होगी। वह तत्काल कर्ज़ चुकाने पर
ज़ोर दे रहा है। "
रोइन ने पूछा, “कुछ उधार लेने वाले समय से पहले भी कर्ज़ चुका देते हैं ?”
“आगर वे किसी ऐसे उद्देश्य के लिए कर्ज लेत है, जिससे उन्हें पैसा मिल जाता है, तो वे ऐसा करते हैं। परंतु
आगर वे अपनी नासमझियों के लिए उधार लेते हैं, तो मैं तुम्हें यह चेतावनी देता हूँ कि तुम्हारा धन तुम्हारे हाथ में
दोबारा लौटकर नहीं आएगा।”
रोडन ने दुर्लभ कारीगरी वाले रत्रों से जड़े सोने के भारी कंगन को उठाते हुए पूछा, “मुझे इसके बारे में बताएँ। "
मैथन े हैते हुए कहा, “मेरे अच्छ मित्र को महिलाएँ कुछ ज्यादा ही पसंद हैं।”
रोडन ने कहा, “आखिर मैं आपसे अधिक युवा हूँ। "
“मैं मानता हैं, पेतु इस बार तुम ख़ामख़्वाह रोमांस का शक कर रहे हो। इस कंगन की मालकिन मोटी और
बूढ़ी है। वह बहुत ज़्यादा बोलती है, परंतु उसकी बातें इतनी अर्थहीन होती हैं कि वह मुझे पागल कर देती है। कभी
उन लोगों के पास बहुत पैसा था और वे अच्छे ग्राहक थे, परंतु फिर वे बदक़रिस्मती के शिकार हो गए। उस महिला
का एक बेटा है, जिसे वह व्यापारी बनाना चाहती है। इसलिए वह मेरे पास आई और मुझसे धन उधार लिया, ताकि
उसका पुत्र एक कारवां के मालिक का हिस्सेदार बन सके, जो यात्रा करते समय एक शहर से ऊँट ख़रीदता है और
दूसरे शहर में बेच देता है।”
“कारवाँ का मालिक बदमाश निकला, क्याँकि उसने बेचारे लड़के को दूर के एक शहर में बिना धन और बिना
मित्रो के छोड़ दिया। वह उस युवक को सोता हुआ छोड़ गया। युवक कुछ साल बाद शायद इस कर्ज़ को चुका
सकता है। तब तक मुझे अपना व्याज नहीँ मिलेगा, सिर्फ़ हवाई बातें ही सुनने को मिलती रहेंगी। वैसे असली बात
यह है कि यह कगन कर्ज की रक्रम से ज़्यादा क्रीमती है।”
“क्या इस महिला ने आपसे कर्ज़ की समझदारी के बारे में सलाह माँगी थी ?”
“मामला बिल्कुल ही उल्टा था। उसने कल्पना में अपने पुत्र को बैबिलाँन का दौलतमंद और सशक्त आदमी
मान लिया था। इसका विरोध करने का मतलब उसे गुस्सा दिलाना था। उसने मुझे अच्छी तरह फटकारा। मै
जानता था कि इस अनुभवहीन युवक को धन देने में जोखिम है, परंतु चूँकि उसने यह कंगन गिरवी रखा था, इसलिए
मै उसे कर्ज देन से इंकार नहीँ कर सकता था।”
मैथन ने रस्सी की गाँठों को दिखाते हुए आगे कहा, “यह ऊँटों के व्यापारी नबाटूर की है। जब वह कोई बड़ा
रेवड़ खरीदता है और उसे इसके लिए पैसों की ज़रूरत होती है, तो वह मुझे यह रस्सी दे जाता है और मै उसे ज़रूरत
के मुताबिक्र उधार दे दता हूं। वह एक समझदार व्यापारी है। मुझे उसके सही निर्णय लेने की क्षमता पर भरोसा है
और मै उसे उदारता से उधार दे सकता हूँ। बैबिलॉन के कई अन्य व्यापारियों पर भी मुझे भरोसा है, क्योकि उनका
व्यवहार विश्वसनीय है। उनकी निशानियाँ मेर संदूक में आती-जाती रहती हैं। अच्छे व्यापारी हमारे शहर की शान हैं।
व्यापार में उनकी सहायता कसे से मुझे तो लाभ होता ही है, बैबिलाँन भी समृद्ध होता है।”
मैथन ने फ्रीरोज़ में उभरी हुई बीटल की आकृति को उठाया और उसे हिक़्ारत से फर्श पर फेंक दिया। “मिल्न
का कीड़ा। यह जिस लड़के का है, उसे मेरा पैसा लौटाने की ज़रा भी परवाह नहीं है। जब मैं उसे याद दिलाता हैं,
तो वह जवाब देता है, 'मैं आपका कर्ज़ कैसे चुका सकता हूँ, जबकि बदक़रिस्मती मेंरे पीछे हाथ घोकर पड़ी है ?
आपके पास बहुत पैसा है।' मैं क्या कर सकता हूँ ? यह निशानी उसके पिता की है। उनकी आमदनी सीमित थी,
'परंतु उन्होने अपने पुत्र के व्यापार के लिए अपनी ज़मीन और मवेशी गिरवी रख दिए। युवक को पहले तो सफलता
मिली परंतु बाद में वह ढेर सारी दौलत हासिल कसे के चक्कर में अति उत्साही बन गया। उसमें अनुभव की कमी
थी, इसलिए उसका धंधा चौपट हो गया।”
“युवक महत्वाकांक्षी होते हैं। वे दौलत तथा अन्य मनचाही वस्तुओं के लिए शॉर्टकट अपनाते हैं। फटाफट
दौलत हासिल करने के लिए युवक अक्सर नासमझी मे कर्ज ले लेते हैं। उनके पास अनुभव नहीं होता, इसलिए
उन्हें यह एहसास ही नहीं होता है कि निशाशाजनक कर्ज़ एक गहरा गट्ढा है, जिसमें कोई भी आसानी से उतर तो
सकता है, परंतु उसमें से निकलना आसान नहीं है। कर्ज़ से उबरने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ सकता है। यह दुख
और पश्चाताप की खाई है, जहाँ सूरज की रोशनी मद्विम हो जाती है और रातों की नौंद उड़ जाती है। बहरहाल, मैं
यह नहीं कहता हूँ कि उधार लेना ही नहीं चाहिए। मैं कर्ज़ लेने को हतोत्साहित नहीं, बल्कि प्रोत्साहित करता हैं।
आएर कर्ज़ समझदारीपूर्ण उद्देश्य के लिए लिया जा रहा है, तो मैं कर्ज़ लेने की सलाह देता हूँ। मुझे भी व्यापारी के
रूप में अपनी पहली सफलता कर्ज लेने के बाद मिली थी।”
“बहरहाल, ऐसे मामले में कर्ज़ देने वाला क्या कर सकता है? यह युवक निराश हो चुका है और उसकी
आमदनी शूत्य है। वह हताश हो चुका है। वह कर्ज़ चुकाने की कोई कोशिश नहीं कर रहा है। मेरा दिल नहीं चाहता
कि मैं उसके पिता की ज़मीन और मवेशी छीन लूं। "
रोडन ने कहा, “आपने मुझे बहुत कुछ बताया है और आपकी बातें मुझे बहुत दिलचस्प लगी हैं। लेकिन मुझे
अब भी मेंरे सवाल का जवाब नहीं मिला है। क्या मुझे अपनी बहन के पति को अपनी पचास सोने की मोहरें उधार
देना चाहिए ? ये मोहरेँ मेरै लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।”
“तुम्हारी बहन बहुत बढ़िया महिला है, जिसका मैं काफ़ी सम्मान करता हूँ। अगर उसका पति मेरै पास आए
और मुझसे सोने की पचास मोहा उधार माँगे, तो मुझे उससे यह पूछना होगा कि वह इनका क्या करेगा।”
“अगर वह जवाब देता है कि वह मेरी ही तरह व्यापारी बनना चाहता है और हीरे हीरे-जवाहरात तथा दुर्लभ
सजावटी सामान का कारोबार करना चाहता है, तो मैं उससे यह पूछँगा, ' तुम्हें इस व्यवसाय का कितना ज्ञान है ?
क्या तुम जानते हो कि सबसे कम क्रीमत पर यह सामान कहाँ खरीदा जा सकता है ? क्या तुम जानते हो कि अच्छी
क्रीमत पर यह सामान कहाँ वेचा जा सकता है ?' क्या वह इन सवालों का जवाब 'हाँ मंदे सकता है?”
“नहीँ, वह नहीँ दे सकता,” रोड ने स्वौकार किया। “हालाँकि उसने भाले बनाने मे मेरी काफ़ी मदद की है
और कई दुकानों में भी मदद की है। "
“फिर मैं उससे कहुँगा कि उसका उद्देश्य समझदारीपूर्ण नहीं है। व्यापारियों को व्यापार कला आना चाहिए।
हालाँकि उसकी महत्वाकांक्षा उचित है, परंतु यह व्यावहारिक नहीं है, इसलिए मैं उसे धन उधार नहीं दूँगा"
परंतु मान लें, वह यह कहे, 'हाँ, मैंने व्यापारियों की काफ़ी मदद की है। मैं जानता हूँ कि स्मर्ना तक की यात्रा
कैसे की जाती है और वहाँ जाकर गृहिणियों के हाथ से युने गलौचों को कम क्रीमत पर कैसे खरीदा जा सकता
है। मैं बैबिलॉन के कई अमीर लोगों को भी जानता हैँ, जिन्हें मैं भारी मुनाफ़े पर ये ग़लीचे बेच सकता हैँ। ' इस पर
मैं उससे कहुँगा, 'आपका उद्देश्य समझदारीपूर्ण है और आपकी महत्वाकांक्षा सम्मानजनक है। मैं आपको खुशी-
ख़ुशी सोने की पचास मोह दे दूँगा, परंतु बदले मे मुझे कोई ऐसी चीज़ चाहिए, जो इन मोहरे के लौटने की गारंटी
दे सके।' लेकिन अगर वह कहे, “मर पास गिरवी रखने के लिए कोई चीज़ नहीं है। मैं एक सम्मानित व्यक्ति हुँ और
मैं आपको कर्ज़ के बदले में अच्छा सूद दूँगा ।' तो मेरा जवाब यह होगा, “म सोने की हर मोहर का ख्याल रखता हूँ
अगर स्मन की यात्रा में जाते समय डाकू आपसे सोते की मोहो छीन लें या लौटते समय अगर वे आपसे गलीचे छीन
लें, तो आप मेरा कर्ज़ नहीँ चुका पाएँगे और मेरा सारा पैसा डूब जाएगा।'
रोडन, धन से साहृकार का व्यापार चलता है। इसे उधार देना आसान है। अगर इसे नासमझी से उधार दिया
जाता है, तो इसका वापस लौटना मुश्किल होता है। समझदार साहकार उधार देते समय जोखिम नहीं लेता है। वह
सुरक्षित भुगतान की गारंटी चाहता है।
उसने आगे कहा, “मुश्किल में फँसे लोगों की मदद करना अच्छी बात है। दुर्भाग्य के शिकार लोगों की मदद
करना अच्छी बात है। उन लोगों की मदद करना भी अच्छी बात है, जो अपना व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, ताकि वे
प्रगति कर सकें और सम्मानित नागरिक बन सकें। परंतु मदद समझदारीपूर्ण तरीके से की जाना चाहिए, वस्त्रा मदद
करते समय किसान के खच्चर की तरह हम भी दूसरों का बोझ अपने ऊपर लाद लॅगे।”
“एक बार फिर मं तुम्हारे मूल सवाल से दूर भटक गया हूँ रोडन, परंतु मेरा जवाब सुन लो : * अपनी सोने की
'पचास मोहं अपने ही पास रखो। जो तुमने अपनी मेहनत से कमाया है और जो तुम्हे परस्कार में मिला है, वह तुम्हारा
है और कोई व्यक्ति इस पर तब तक हक़् नहीं जमा सकता, जब तक कि तुम ऐसा न चाहो। अगर तुम इसे उधार
देते हो, ताकि यह तुम्हारे लिए सूद कमा सके, तो इस काम में सतर्क रहना और कई जगहों पर इसका निवेश करना।
मुझे पर्स में पड़ा रहने वाला आलसी सोना पसंद नहीं है। बहरहाल, मुझे जोखिम तो उससे भी ज़्यादा नापसंद है। ”
“तुं भाले बनाने का काम करते हुए कितने साल हो गए हैं?”
“पूरे तीन साल ।”
“राजा के उपहार के अलावा तुमने कितना बचा लिया है ?”
“सोने की तीन मोह "
“हर साल तुमे मेहनत की, हर साल तुमने सोने की एक मोहर को बचाने के लिए अपनी इच्छाओं पर क्राबू
रखा और अच्छी-अच्छी चीजे खरीदने के बजाय बचत की ?”
“बिल्कुल सही बात है।”
“इस तरह तुम खुद की इच्छाओं पर क्राबू रखकर पचास साल में सोने की पचास मोहं बचा सकते हो ?”
“इस काम में जिंदगी भर की मेहनत लगेगी।”
“ज़रा सोचो कि क्या तुम्हारी बहन तुम्हारी पचास साल की मेहनत की बचत को जोखिम में डालना चाहेगी,
सिर्फ़ इसलिए क्योंकि उसका पति व्यापारी बनने का प्रयोग करा चाहता है ?”
“आगर मैं आपके शब्दो में बोलूँ, तो वह ऐसा कभी नहीँ चाहेगी। ”
“तो उससे जाकर कह दो, 'तीन साल तक मैने हर दिन सुबह से रात तक मेहनत करके और अपनी इच्छाओं
पर क्राबू रखकर बचत की है। साल भर की मेहनत और किफ़ायत के बाद मै सोने की एक मोहर बचा पाया हूँ। तुम
मेरी प्रिय बहन हो और मैं चाहता हूँ कि तुम्हारा पति किसी ऐसे व्यवसाय में लग जाए, जिसमें वह बहुत अमीर बन
'सके। अगर वह मेरे सामने कोई ऐसी योजना रखता है, जो मेरे मित्र मैथन को समझदारीपूर्ण और संभव लगती है, तो
मैं खुशी-खुशी उसे अपनी एक साल की बचत उधार दे दूँगा, ताकि उसे यह साबित करने का अवसर मिले कि वह.
सफल हो सकता है।' अगर उसके पति के मन में सफल होने की प्रबल इच्छा है, तो वह सफल हो सकता है। अगर
वह असफल भी हो जाता है, तो भी उस पर इतना ज़्यादा कर्ज़ नहा होगा, जिसे वह कभी न चुका पाए।”
“मैं घन इसलिए उधार देता हूँ, क्योंकि मैं अपने व्यापार में जितने थन का प्रयोग कर सकता हू, मेरे पास उससे
ज़्यादा धन है। मैं चाइता हूँ कि मेरा अतिरिक्त धन दूसरों के लिए मेहनत करे और उससे ज़्यादा पैसा कमाया जा
'सके। मैं धन गँवाने का जोखिम नहीं लेना चाहता हूं क्योकि मैने इसे हासिल करने के लिए काफ़ी मेहनत की है और
बहुत सी इच्छाओं का त्याग किया है। इसलिए मैं इसे वहाँ उधार नहीं दूँगा, जहाँ मुझे यह विश्वास न हो कि यह
सुरक्षित रहेगा और मेरे पास वापस आएगा। मैं इसे वहाँ भौ उधार नही दूँगा, जहाँ मुझे यह विश्वास न हो कि इसका
ब्याज मुझे समय पर दिया जाएगा।”
“रोड, मने तुम्हें अपनी निशानी वालौ संदूक के कुछ रहस्य बताए हैं। उनसे तुम इंसानों की कमज़ोरियाँ को
समझ सकते हो और यह भी कि कर्ज़ चुकाने के साधन न होने के बावज़ूद लोग कर्ज लेने के लिए कितने उत्सुक
रहते हैं। लोग यह सोचते हैं कि अगर उनके पास व्यवसाय शुरू करने के लिए पैसा आ जाए, तो दौलत उनके घर
में बरसने लगेगी। परंतु इस तरह की आशा झूठी होती है, क्योंकि उनके पास सफल होने की योग्यता या प्रशिक्षण
नहीँ होता है।”
“रोडन, तुम्हारे पास अभी धन है। उससे तुम्हें व्याज हासिल करना चाहिए। तुम भौ मेरी ही तरह धन उधार दे.
सकते हो। अगर तुम अपने ख़ज़ाने को सुरक्षित रखोगे, तो यह तुम्हें बहुत सा धन कमाकर देगा। यह तुम्हारे लिए
ज़िंदगी मर सुख और लाभ का स्रोत होगा। परंतु अगर तुम इसे गँवा देते हो, तो यह ज़िंदगी भर सतत दुख और
पश्चाताप का स्रोत रहेगा।”
“अपने पर्स में रखे इस धन के बारे मं तुम्हारी सबसे ज़्यादा इच्छा क्या है ?”
“इसे सुरक्षित रखना। ”
मैथन ने प्रशंसा के अंदाज़ में कहा, “बहुत समझदारी का जवाब दिया। तुम्हारी पहली इच्छा सुरक्षा की है।
क्या तुम यह सोचते हो कि तुम्हारी बहन के पति के पास पहुँचने पर यह धन सचमुच संभावित नुक्रसान से सुरक्षित
रहेगा ?"
“मुझे डर है कि यह सुरक्षित नहीं रहेगा। उसमें धन को सुरक्षित रखने की समझदारी नहीँ है। ”
“ऐसे व्यक्ति पर धन के मामले में विश्वास क्यों करते हो ? रिश्ते-नातों की मूर्खतापूर्ण भावनाओं से विचलित
होना ठीक बात नहीं है। अगर तुम अपने परिवार या मित्रों की मदद करना चाहते हो, तो धन गंवाने का जोखिम लेने
के अलावा दूसरे तरीके खोजो। यह मत भूलो कि जो लोग धन की सुरक्षा कसे के मामले में कुशल नहीं होते हैं, धन
उनके पास से अप्रत्याशित तरीकों से चला जाता है। दूसरों को देकर धन गंवाने से तो अच्छा है कि तुम खुद ही खच
करके इसे उड़ा डालो। "
“सुरक्षा के बाद इस घन के बारे में तुम्हारी क्या इच्छा है ?"
“यही कि इससे ज़्यादा धन आए।”
“एक बार फिर तुमने समझदारी भरा जवाब दिया है। इसे अतिरिक्त घन कमाने के काम में लगाया जाना
चाहिए, तभी यह बढ़ेगा। समझदारी से उधार दिया गया घन इंसान के बूढ़े होने से पहले दोगुना हो सकता है। अगर
तुम मूलधन गँवाने का जोखिम लेते हो, तो तुम उसके ब्याज को भी गँवाने का जोखिम लेते हो, जो यह कमा सकता
aI"
“इसलिए अव्यावहारिक लोगों की काल्पनिक योजनाओं से मत डगमगाओ, जो सोचते हैं कि उन्हें आपके
धन से बहुत बड़ र्रम कमाने के तरीके मालूम हैं। इस तरह की योजनाएँ हवाई सपने देखने वाले लोग बनाते हैं,
‘fared व्यवसाय के सुरक्षित और विश्वसनीय नियमों का ज्ञान नहीं होता है। अपने धन पर तुम किते प्रतिशत ब्याज
चाहते हो, इस बारे में तुम ज़मीन पर ही रहना, ताकि तुम्हारा मूलधन सुरक्षित रह सके और तुम उसका आनंद ले
'सको। बहुत ज़्यादा लाभ कमाने के लालच में आकर उधार देना नुक्रसान को आमंत्रित करना है।”
“खुद को ऐसे लोगों और योजनाओं से जोड़ो, जिनकी सफलता प्रमाणित हो चुकी है, ताकि तुम्हारा मूलधन
उनके कुशल प्रयोग से अच्छी कमाई करे और उनकी समझदारी तथा अनुभव द्वारा सुरक्षित रहे। ”
“इस तरह तुम उन दुर्भाग्यं से बच सकते हो, जो अधिकांश इंसानों पर उस समय आते हैं, जब ईश्वर उन्हें धन
प्रदान करता है ।”
जब रोडने मैथन की समझदारी भरी सलाह के लिए उसे धन्यवाद दिदा, तो मैथन ने कहा, “सप्राट का
तोहफ़ा तुम्हारा काफ़ी ज्ञान बढ़ाएगा। आगर तुम सोने की पचास मोहरों को सुरक्षित रखना चाहते हो, तो तुम्हें
बहुत समझदारी से काम लेना होगा। तुम्हरे सामने कई प्रलोभन आएंगे। तुम्हे बहुतेरी सलाहे दी जाएँगौ। तुम्हें
अविश्वसनीय लाभ देने वाले असंख्य अवसरों की योजनाएँ बताई जाएँगी। निशानियों वाले संदूक की कहानियों
से तुम्हें सचेत हो जाना चाहिए। जब तुम अपने पसं से सोने की मोह निकालकर किसी को उधार दो, तो पहले यह
सुनिश्चित कर लेना कि वे सुरक्षित रूप से तुम्हारे पास लौट आएँगी। अगर तुम्हें आगे कभी मेरी सलाह की ज़रूरत
पड़े, तो बिल्कुल मत हिचकिचाना। सलाह देने में मुझे खुशी होती है। ”
जाने से पहले उस वाक्य को पढ़ते जाओ, जो मैंने अपने निशानियों वाले संदूक के नीचे लिख रखा है। यह
कर्ज़ैदार और साहकार दोनों पर लागू होता है
बड़े पश्चाताप के बजाय थोड़ी सी
सावधानी बेहतर है।
कफ की
बैबिलॉन की दीवारें
बां 'ज़र नामक वृद्ध सैनिक बैबिलॉन की दीवारों तक ऊपर जाने द्वा वाली सीढ़ियों पर पहरा दे रहा था। ऊपर
बहादुर रक्षक दीवारों की रक्षा करने के लिए युद्ध कर रहे थे। उन पर इस महान शहर और इसमें रहने वाले
लाखों नागरिकों का भविष्य निर्भर था।
दीवारों के पार से हमलावर सेना का शौर सुनाई दे रहा था। बहुत से लोगों के चौख़ने की आवाज़ें आ रही थीं,
हज़ारों घोड़ों की टापें सुनाई दे रही थीं और मेढ़ों की कानफोडू आवाज़ें आ रही थीं, जो अपने सिर से काँसे के द्वार
पर प्रहार कर रहे थे।
नार के द्वार के पीछे वाली सड़क पर सैनिक भाले लेकर तैयार थे। दवार टूटने की स्थिति में वे दुश्मन से
मुक्राबला करे के लिए तैयार खड़े थे। परंतु इस काम के लिए तैयार सैनिकों की संख्या आवश्यकता से बहुत कम
थी। बैबिलॉन की ज़्यादातर सेना सप्राट के साथ इलेमाइट्स के खिलाफ़ पूर्व दिशा में लड़ने गई थी। उनकी
अनुपस्थिति में शहर पर हमले की कोई आशंका नहीं थी, इसलिए रक्षा करने वाली सेना बहुत कम थी। अप्रत्याशित
रुप से उत्तर दिशा से एसीरियन्स की शक्तिशाली सेना ने हमला कर दिया। और अब रक्षा की ज़िम्मेदारी इन दीवारों
'पर आ गई थी, वरना बैबिलॉन नष्ट हो जाता।
बूढ़े सैनिक बांज़र के आसपास नागरिकों की भीड़ लगी थी। दहशत के मारे सबके चेहरे सफेद थे और वे युद्ध
की ताज़ा स्थिति जानना चाह रहे थे। ख़ामोशी से उन्होंने घायल और मृत सैनिकों की क्रतार को देखा, जिन्हें उस
रास्ते से लाया जा रहा था।
यह हमले का महत्वपूर्ण मोड़ था। दीवारों के तीन दिन तक चक्कर लगाने के बाद दुश्मन ने अचानक अपनी
पूरी ताक़त इस हिस्से और इस दरवाज़े पर लगा दी थी।
दुश्मन मंच बनाकर और सीढ़ी लगाकर ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे। उधर दीवार के ऊपर मौज़ूद
बैबिलॉन के सैनिक तीरों और खौलते हुए तेल का प्रयोग करके दुश्मनों को ऊपर पहुँचने से रोक रहे थे। अगर इसके
बावजूद कोई दुश्मन कपर पहुँच जाए, तो सैनिक भाले लेकर तैयार खड़े थे। सैनिकों पर दुश्मनों के हज़ारों तीरंदाज़
तीरों की घातक बौछार कर रहे थे।
बूढ़े बांज़र की स्थिति युद्ध की ख़बर देने के हिसाब से बहुत अनुकूल थी। वह युद्ध के सबसे क़रीब था और
उत्साही आक्रमणकर्ताओं के हर ताज़े हमले के बारे में उसे सबसे पहले पता चलता था।
'एक बूढ़े व्यापारी ने क्ररीब आकर अपने कमज़ोर और काँपते हाथों को हिलाते हुए पूछा, “मुझे बताओ! मुझे
बताओ! दुश्मन अंदर तो नहीं घुस आएँगे। मेरे बेटे सम्राट के साथ गए हैं। मेरी बूढ़ी पत्नी की रक्षा करने वाला कोई
नहीं है। दुश्मन मेरा सारा सामान लूटकर ले जाएँगे। मेरा भोजन भी ले जाएँगे। हमारे पास कुछ भी नहीं बचेगा। हम
बूढ़े हैं, इतने बूढ़े कि हम अपनी रक्षा नहीं कर सकते और हमें गुलाम के रूप में बेचा भी नहीं जा सकता। हम भूखों
मर जाएँगे। हम तबाह हो जाएँगे। मुझे बताओ कि कहीं वे अंदर तो नहीं आ जाएँगे। "
सैनिक ने जवाब दिया, “शांत रहें, अच्छे व्यापारी। बैबिलॉन की दीवारे बहुत मज़बूत हैं। घर जाकर अपनी
पत्नी को तसल्ली दो कि दीवारें आपकी तथा आपके सामान की सुरक्षा उसी तरह करेंगी, जैसे वे सम्राट के
बेशक्रीमती खज़ाने की रक्षा करती हैं। दीवार के पास खड़े रहें, ताकि कहीं कोई उड़ता हुआ तौर आपको न लग
जाए!”
बूढ़े व्यापारी के चले जाने के बाद गोद में बच्ची लिए एक महिला वहाँ आकर खड़ी हो गईं। “सैनिक, ऊपर
से क्या ख़बर है ? मुझे सच-सच बताना, ताकि मैं अपने पति को तसल्ली दे सकूँ । वह गहे घावों की वजह से
बुखार में पड़ा है, परंतु वह मेरी रक्षा करने के लिए ज़िरहबख़्तर और भाला उठाकर बाहर निकलने के लिए तैयार है।
मुझे बच्चा होने वाला है। वह कहता है कि अगर दुश्मनों की सेना अंदर घुस आई, तो उनका प्रतिशोध भयानक
होगा।”
“तसल्ली रखो, एक बच्चे की माँ और दूसरे बच्चे की होने वाली माँ, क्योंकि बैबिलॉन की दीवारें तुम्हारी तथा
तुम्हारे बच्चों की रक्षा करेंगी। वे ऊँची और मज़बूत हैं। क्या तुमने हमारे बहादुर सैनिकों की आवाजें नहीँ सुनीं, जब
उन्होंने सीढ़ियों पर चढ़ने वालों पर खौलते हुए तेल के ड्रम फेंके थे ?"
“हँ, मैने वह आवाज़ सुनी थी। और मैने हमला करे वाले मेढों की आवाज़ भी सुनी थी, जो हमारे द्वार पर
प्रहार कर रहे हैं। ”
“अपने पति के पास लौट जाओ। उसे बता दो कि दरवाज़े मज़बूत हैं और इन मेढ़ो के प्रहार से उनका बाल भी
बाँका नहीं होगा। यह भी बता दो कि आर सीढ़ी लगाकर कुछ दुश्मन सैनिक दीवारों पर चढ़ने में सफल हो भी जाते
हैं, तो भालों की नॉक ऊपर उनका इंतज़ार कर रही है इन इमारतों के पीछे से सैमलकर जाना। ”
बांज़र सैनिकों की टुकड़ी को रास्ता देने के लिए एक तरफ़ हट गया। काँसे की आवाज़ करती ढालों और
भारी क़दमों से जब सैनिक पास से गुज़रे, तो एक छोटी लडकी ने बाँज़र के कमरबंद को खीँचा।
उसने आग्रह किया, “सैनिक मुझे बताओ, हम सुरक्षित तो हैं ? मैंने भयानक आवाज़े सुनी हैं। मैंने सैनिकों को
लहूलुहान देखा है। मैं बहुत डर गई हूँ। हमारे परिवार, मेरी माँ, छोटे भाई और बच्चे का क्या होगा ?”
बच्ची को देखकर बूढ़े सैनिक ने अपनी आँखें झपकाईं और अपती ठुट्टी को आगे निकाल लिया।
“बेटी, डरो मत। बैबिलाँन की दीवार तुम्हारी और तुम्हारी माँ, तुम्हारे छोटे भाइ और बच्चे की रक्षा करँगी।
शहर को सुरक्षित रखने के लिए महारानी सेमिरैमिस ने सौ साल पहले ये दीवार बनवाई थीं। आज तक दुश्मन उनके
पार नहीं आ पाए हैं। जाकर अपने परिवार वालों से कह दो कि बैबिलॉन की दीवारें उनकी रक्षा करेंगी और उन्हें डरने
की ज़रूरत नहीं है। "
हर दिन बूढ़ा बांज़र अपनी जगह पर खड़ा होता था और गलियारे में से सैनिकों को ऊपर जाते देखता था, जो
वहाँ पर तब तक लड़ते रहते थे, जब तक कि वे घायल न हो जाएँ या मर न जाएँ। उसके बाद उन्हें एक बार फिर
नीचे लाया जाता था। उसके चारों तरफ़ डरे हुए नागरिकों की भीड़ हमेशा लगी रहती थी, जो यह जानने के लिए
उत्सुक थे कि क्या दीवारे हमले को सहन कर पाएँगी। वह बूढा सैनिक गरिमापर्ण अंदाज़ में उन सबसे यही कहता
था, “बैबिलॉन की दीवारें आपकी रक्षा करंगी। ”
तीन सप्ताह और पाँच दिन तक उसी प्रबलता से लगातार हमला होता रहा। बाजर का चेहरा सख्त होता
गया, जब उसने अपने पीछे के गलियारे को घायल सैनिकों के खून से लाल होते देखा। उसने देखा कि ऊपर-नीचे
आने-जाने वाले सैनिकों के कारण कीचड़ सा मच गया था। हर दिन मरे हुए दुश्मनों का ढेर दीवार के सामने लग
जाता था। हर रात को उनके साथी उन्हें ले जाकर दफ़ना देते थे।
चौथे सप्ताह की पाँचवीं रात को बाहर का शोर थम गया। दिन के उजाले की पहली किरण में लोगों ने देखा
कि लौरती सेनाएँ धूल के विशाल बादल उड़ाती जा रही थीँ।
रक्षा करे वालों ने जमकर शोर मचाया। इसका मतलब समझने में कोई गलती नहीं हो सकती थी। दीवारों
के पीछे इंतज़ार कर रही टुकड़यों ने इस शोर को दोहराया। शोर की गूँज सड़कों पर इंतज़ार कर रहे नागरिकों ने भी
दोहराई। शोर किसी तूफ़ान की तरह पूरे शहर में फैल गया।
लोग अपने-अपने घरों से निकलकर बाहर आ गए। सड़कों पर भारी भीड़ जमा हो गईं। कई सप्ताह की
दहशत खुशी के ज़बर्दस्त कोलाहल में बदल गई। बेल के मंदिर की ऊँची मीनार पर विजय की मशाल जला दी
गई। नीला घुआँ आसमान में उड़ने लगा, ताकि संदेश दूर-दूर तक पहुँच सके।
बैबिलॉन की दीवारों ने एक बार फिर शक्तिशाली और दुष्ट दुश्मन के इरादों को नाकामयाब कर दिया था,
जो उसके समृद्ध ख़ज़ाने को हथियाना चाहता था और इसके नागरिकों को लूटना तथा गुलाम बनाना चाहता था।
बैबिलॉन सदियों तक इसीलिए सुरक्षित रह पाया, क्योंकि इसकी दीवारों के कारण यह पूरी तरह सुरक्षित
था। इसके अलावा कोई उपाय भी नहीं था।
बैबिलॉन की दीवारें मनुष्य की सुरक्षा की ज़रूरत और इच्छा का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। यह इच्छा समूची मानव
जाति में होती है। यह हमेशा की तरह आज भी उतनी ही प्रबल है, परंतु हमने इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए बड़ी
और बेहतर योजनाएँ बना ली हैं।
आज हम बीमे, बचत ख़ातों और विश्वसनीय निवेशों की अभेद्य दीवारों से खुद को अप्रत्याशित त्रासदियों से
बचा सकते हैं, जो किसी भी दरवाज़े से अंदर आ सकती हैं और किसी भी घर पर हमला कर सकती हैं।
|. _ ्णंतु्षाकेब्निस्ा |
पर्याप्त सुरक्षा के बिना रहना
freer |
बैबिलॉन का ऊँटों का व्यापारी
७
सान को जितनी ज़्यादा भूख लगती है, उसका दिमाग उतनी ही ज्र्यादा स्पष्टता से काम करता है - इसके
Ss अलावा वह भोजन की ख़ुशबू के प्रति उतना ही ज़्यादा संवेदनशील भी हो जाता है।
अज़योर का पुत्र तरक़ाद निश्चित रूप से ऐसा ही महसूस कर रहा था। दो दिन से उसके मुँह में अन का दाना
भी नहीं गया था। उसने सिर्फ़ दो छोटे अंजीर खाए थे, जो उसने एक बगीचे की दीवार के ऊपर से चुराकर तोड़े थे।
वह इससे ज़्यादा इसलिए नहीं तोड़ पाया, क्योंकि तभी बगीचे की मालकिन गुस्से में बाहर निकल आई और उसे
पकड़ने के लिए सड़क पर भागने लगी। उसकी तीखी चीख अब भी तरक्राद के कानों मं गू रही थी, हालाँकि इस
समय वह बाज़ार से गुज़र रहा था। इसी कारण वह खुद पर इतना संयम रख पा रहा था कि बाज़ार में फल बेचने
वाली महिलाओं की ललचाने वालौ टोकरियों तक अपनी बेचैन उंगलियों को न पहुँचने दे।
इससे पहले उसे कभी यह एहसास नहीं हुआ था कि बैबिलांन के बाजारों में खाने-पीने का इतना सामान आता
है और उसकी खुशबू इतनी अच्छी होती है। बाज़ार छोडकर वह सराय की तरफ चल दिया। वह सराय के भीतर
जाकर कुछ खाना चाहता था और इसी आशा में सराय के सामने इधर से उधर घूमने लगा। काश कोई जान-पहचान
वाला मिल जाए, जिससे वह ताँबे का एक सिक्का उधार ले सके। वह जानता था कि तांबे के सिक्के को देखकर
ही सराय का मालिक मुस्कराएगा और उमे भरपेट खाना खिलाएगा। वह यह भी जानता था कि ताँबे के सिक्के के
'बिना सराय का मालिक उसे दुत्कार कर भगा देगा।
वह सौच-विचार में इतना खोया हुआ था कि उसे अपने आस-पास की ज़रा भी सुध-बुध नहीं रही। अचानक
उसने अपने सामने एक ऐसे व्यक्ति को खड़े देखा, जिससे वह सबसे ज़्यादा बचना चाहता था। वह ऊँटों का व्यापारी
देबेजिर था। उसने जितने भी दोस्तों और अन्य लोगों से उधार लिया, उनमें देबेजिर सबसे ज़्यादा परेशान करता था,
क्याँकि तरकाद तत्काल कर्ज़ चुकाने के अपने वादे को पूरा नहीं कर पाया था।
तरक्राद को देखकर देबेज़िर के चेहरे पर चमक आ गई। “अरे वाह! यह तो तरक्राद है। मैं तुम्हें ही तो ढूँढ़ रहा
चा, ताकि तुम मुझे ताँब के वे दो सिक्के चुका दो, जो मैंने तुम्हें पंद्रह दिन पहले उधार दिए थे; इसके अलावा चाँदी
'का वह सिक्का भी, जो मैते तुम्हें इससे पहले उधार दिया था। तुम अच्छे मिल गए। आज वे सिक्के मेरे बहुत काम
आ सकते हैं। तुम क्या कहते हो, बच्चे ? कया कहते हो ?”
'तरकाद हकलाने लगा और उसका चेहरा लाल पड़ गया। उसके ख़ालौ पेट में कुछ भी नहीँ था, जिससे उसे
मुँहफट देबेज़िर के साथ बहस करने की शक्ति मिले। वह कमज़ोर स्वर मं बुदबुदाया, “मुझे अफ़सोस है, मुझे बहुत
अफ़सोस है। परंतु आज मेरे पास ताँबे या चाँदी का एक भौ सिक्का नहाँ है, जिससे मैं आपका उधार चुका सकूँ ।'"
देबेजिर ने ज़ोर देकर कहा, “तो फिर उनका इंतज़ाम करो। निश्चित रूप से तुम ताँबे और चाँदी के कुछ मिक्कों
का इंतज़ाम तो कर ही सकते हो, ताकि अपने पिता के पुराने मित्र का कर्ज़ चुका सको, जिसने ज़रूरत के समय
तुम्हारी मदद की थी ?”
*चुँकि बदक़िस्मती मेरा पीछा कर रही है, इसलिए मैं आपका कर्ज़ नहीं चुका सकता। ”
“बदक्रिस्मती! अपनी कमज़ोरी के लिए देवी-देवताओं को दोष क्यों देते हो ? बदक़्रिस्मती हर उस व्यक्ति का
पीछा करती है, जो कज़॑ चुकाने के बजाय कर्ज लेने के बारे में ज़्यादा सोचता है। मैं सराय में खाना खाने जा रहा हुँ,
क्याँकि मुझे बहुत भूख लग रही है। तुम भौ मेरै साथ आ जाओ। मैं तुम्हें एक कहानी सुनाना चाहता हूँ।
तरक्राद को देबेज़िर का मुँहफट अंदाज़ पसंद नहीं था, परंतु सराय के अंदर जाने के विचार से उसे खुशी हुई,
क्योंकि अब उसके मन में भोजन मिलने की आशा जाग गई थी।
देबेज़िर उसे कमरे के दूर वाले कोने मं ले गया, जहाँ वे छोटे क्रालौनों पर बैठे।
जब सराय का मालिक कासकोर उनके पास मुस्कराते हुए आया, तो देवेज़िर ने उससे मज़ाकिया अंदाज़ में
कहा, “रेगिस्तान की मोटी छिपकली, मेरे लिए बकरे की टाँग लाओ, जिसमें बहुत सारा गोशत हो और जो बिलकुल
भूरी हो। इसके अलावा ब्रेड और सब्न्ियाँ भी लाओ, क्योंकि मैं बहुत भूखा हूँ और डटकर भोजन करना चाहता हूँ।
मेरे मित्र को भी मत भूलना। उसके लिए एक जग भरकर पानी लाना। पानी ठंडा होना चाहिए, क्योंकि आज बहुत
गर्मी है।”
तरक्राद निराश हो गया। क्या यहाँ पर बैठकर वह सिर्फ पानी पिएगा और इस आदमी को बकरे की मोटी टाँग
खाते हुए देखेगा ? उसने कछ नहीं कहा। वह यह सोच नहीं पा रहा था कि वह क्या कहे।
बहरहाल देबेज़िर ने तो चुप रहना कभी सीखा ही नहीं था। वह दूसरे ग्राहकों की तरफ़ देखकर मुस्कराने लगा
और मित्रतापूर्ण अंदाज़ में हाथ हिलाने लगा। वे सब उसे अच्छी तरह जानते थे। इसके बाद देवेज़िर ने आगे कहा।
“आर्फ़ा से हाल ही में एक यात्री लौटा है। उसने मुझे एक अमीर आदमी के बारे में बताया, जिसने पत्थर के
'एक टुकड़े को इतना बारीक तराश लिया है कि इंसान उसके आर-पार देख सकता है। उसने इसे अपने घर की
“खिड़की में लगा दिया है, ताकि बारिश से बचा जा सके। यात्री के अनुसार यह पत्थर पीला है। यात्री ने जब इसके
आर-पार देखा, तो बाहर की दुनिया विचित्र दिख रही थी और अपने वास्तविक रंगरूप में नज़र नहीँ आ रही थी।
इस बारे में तुम क्या कहते हो, तरक्राद ? क्या तुम्हें लगता है कि इंसान को दुनिया वास्तविकता से अलग दिख
सकती है ?"
“शायद | ।” युवक ने कहा। उसकी दिलचस्पी कहानी से ज़्यादा बकरे की मोटी टाँग में थी, जो देबेज़िर के
सामने रखी थी।
“मै जानता हूँ कि यह सच है, क्यॉकि मैते दुनिया को वास्तविकता मे मिनन रंग मं देखा है। मैं तुम्हें एक कहानी
सुनाने जा रहा हूँ। उससे तुम यह जान जाओगे कि मैं दुनिया को फिर से सही रंगों में कैसे देख पाया। ”
पड़ोस में खाना खा रहे एक व्यक्ति ने अपने पड़ोसी से फुसफुसाते हुए कहा, “देबेज़िर कहानी सुना रहा है। ”
वह अपने क़ालीन को पास खींच लाया। भोजन कले वाले बाक़ी लोग भी अपना भोजन लेकर वहीं आ गए और
एक अर्धवृत्त बना लिया। उनकै चबर-चबर खाने की आवाज़े तरक्राद के कानों में गूज रही थीं। सिर्फ़ तरक्रद ही था,
जिसके सामने भोजन नहीं था। देबेज़िर ने उसके लिए भोजन नहीं मैगाया था। न ही उसने तरक्राद को ब्रेड का वह
डुकड़ा उठाने का इशारा किया था, जो प्लेट से फ़र्श पर गिर गया था।
देबेज़िर ने बकरे की टाँग का एक बड़ा हिस्सा काटने के बाद कहा, “आज जो कहानी मैं सुनाने जा रहा हैँ, वह
मेंरे शुरुआती जीवन के बारे में है। इस कहानी में यह बताया गया है कि मैं ऊँटों का व्यापारी कैसे बना। क्या किसी
को मालूम है कि मैं कभी सीरिया में गुलाम था ?”
ता आश्चर्य से बुदबुदाने लगे, जिसे सुनकर देवेजिर संतुष्ट हुआ।
देेज्ञिर ने बकरे की टाँग को एक बार फिर कुतरते हुए कहा, “युवावस्था में मैने अपने पिता का व्यवसाय
'यानी काठी बनाना सौखा। मैं उनकी दुकान में उनके साथ काम करता था और फिर मेरी शादी हो गई। मैं युवा था,
परंतु मुझमें ज़्यादा योग्यता नहीँ थी, इसलिए मैं बहुत कम कमा पाता था, सिर्फ़ इतना कि मैं जैसे-तैसे अपनी पल्ली
का खर्च उठा पाता था। मैं बहुत सी अच्छी चीज़ों की लालसा करता था, परंतु मेरे पास उन्हें खरीदने के लिए पैसे
नहीँ थे। जल्दी ही मैने पाया कि पैसे न होने के बावजूद दुकानदार मुझे उधारी पर सामान देने के लिए तैयार थे।'”
“युवा और अनुभवहीन होने के कारण मैं यह नहीँ जानता था कि जो व्यक्ति अपनी कमाई से ज़्यादा खर्च
करता है, वह अनावश्यक भोग-विलास के बीज बोता है और आगे चलकर उसे मुश्किलों और अपमान की फ़सल
'काटना पइती है। चूँकि मैं यह नहीं जानता था, इसलिए मैने अपने अरमानों को पूरा किया और अपनी पलरी तथा घर
के लिए विलासिता की वस्तुएँ उधारी पर ख़रीद लां।”
“मैं जितना उधार चुका सकता था, उतना चुकाता रहा। कुछ समय तक तो सब कुछ ठीक चला। परंतु बाद
में मैंने पाया कि मैं अपनी आमदनी से एक साथ दोनों काम नहीं कर सकता था; मैं अपनी आमदनी में या तो अपना
ख़र्च चला सकता था या फिर अपना कर्ज़ चुका सकता था। कर्ज़दार अपना उधार वसूल करने के लिए मेरा पीछा
करने लगे और मेरी ज़िंदगी दुखद बन गई मैंने अपने मित्रों से उधार लिया, परंतु उनका कर्ज़ भी नहीं चुका पाया।
चौजें बद से बदतर होती गईं । मैंने अपनी पत्नी को मायके मेज दिया और खुद बैबिलॉन छोड़कर दूसरे शहर में जाने
का फ़ैसला किया, जहाँ मुझे बेहतर अवसर मिल सकें। ”
“दो साल तक मैंने कारवाँ के व्यापारियों के यहाँ काम किया। इस दौरान मैं बहुत बेचैन और दुखी रहा।
इसके बाद मैं डकैतों के गिरोह में शामिल हो गया, जो रेगिस्तान में निःशस्त्र कारवाँ की तलाश में भटकते हैं। इस
तरह के काम हमारे खानदान के नाम पर कलंक थे, परंत मं दुनिया को रंगीन पत्थर से देख रहा था और मुझे यह
"एहसास नहीँ था कि मेरा कितना पतन हो गया है।”
“हमें अपने पहले अभियान में सफलता मिली। हमने बहुत सा सोना, रेशमी कपड़े और अन्य मूल्यवान वस्तुएँ
लूट लीं। हम लूट के सामान को गिनिर ले गए और ख़र्च कर डाला।”
“दूसरी बार हमारी क़रिस्मत उतनी अच्छी नहीं रही। जैसे ही हमने सामान लूटा, कुछ सशस्त्र लोगों ने हम पर
हमला कर दिया। ये भाले वाले उस क़बीले के मुखिया ने भेजे थे, जिसे कारवाँ संरक्षण के लिए पैसे देते थे।
हमारे दो लीडर्स मारे गए और बाक़ी सब लोगों को पकड़कर दमिश्क ले जाया गया, जहाँ हमारे कपड़े उतारकर हमें
गुलामों के रूप में बेच दिया गया। "
“मुझे सीरिया के रेगिस्तानी क़बीले के मुखिया ने चाँदी के दो सिक्कों में ख़रीदा। मेरे बाल उतरवा दिए गए
और मेरे शरीर पर सिर्फ़ एक कपड़ा था, जो कमर पर लिपटा हुआ था। मैं बाक्री गुलाम से ज़्यादा अलग नहीं था।
लापरवाह युवक की तरह मैंने सोचा कि यह अनुभव भी रोमांचक होगा। परंतु मैं तब दहल गया, जब मेरे मालिक ने
मुझे अपनी चार पलियां के सामने पेश करके कहा कि वे मुझे अपना किन्नर बना सकती हैं। ”
“दहअसतल तब जाकर मुझे अपनी निराशाजनक स्थिति का एहसास हुआ । रेगिस्तान के ये लोग जंगली और
योद्धा थे। उनकी इच्छाओं का पालन करना मेरी मजबूरी थी, क्याकि मेरे पास न तो हथियार थे, न ही बचाव के
साधन |”
“जब उन चारों महिलाओं ने मुझे गौर से देखा, तो मैं दहशत में खड़ा रहा। मैं सोच रहा था कि क्या मुझे उनसे
दया की आशा करना चाहिए। पहली पत्नी सीरा बाक़ी तीनों पत्नियों से बड़ी थी। मेरी तरफ़ देखते समय उसका
चैहरा भावहीन था। मुझे उससे दया की क़तई उम्मीद नहीं थी। मैंने दूसरी पत्नी की तरफ़ आशा भरी नज़र डाली। वह
एक घमंडी सुंदरी थी, जो मेरी तरफ़ इतनी उदासीनता से देख रही थी, जैसे ज़मीन पर रॅगने वाले किसी कीड़े को देख
रही हो। बाक़ी दोनों छोटी पत्नियाँ हैस रही थीं, जैसे यह कोई दिलचस्प मज़ाक़ हो। ”
सज़ा का इंतज़ार करते हुए मुझे ऐसा लगा, जैसे एक युग बीत गया हो। हर महिला चाहती थी कि दूसरी
महिला फ़ैसला करे। अंत में सीरा ने ठंडी आवाज़ में कहा,
“हमारे पास बहुत से किलर हँ, परंतु ऊँटों की देखभाल करने वाले गुलाम बहुत कम हैं। जो हैं, वे किसी काम
के नहीं हैं। आज ही मैं अपनी बीमार माँ से मिलने जाना चाहती हैं, परंतु ऐसा कोई गुलाम नहीं है, जिस पर मैं भरोसा
कर सकूँ कि वह मेर ऊँट को ठीक से ले जाएगा। इस गुलाम से पूछो कि क्या वह ऊँटों की देखभाल कर सकता
ar
इस पर मेरे मालिक ने मुझसे पूछा, “तुम ऊँटों के बारे में क्या जानते हो ?"
अपनी खुशी को छुपाने की कोशिश करते हुए मैंने जवाब दिया, 'मैं उन्हें बिठा सकता हूँ, उन पर बोझ लाद
सकता हैं, उन्हें बिना थके लंबी यात्राओं पर ले जा सकता हूँ। अगर ज़रूरत हो, तो मैं उनके साज़ोसामान की मरम्मत
भी कर सकता हूँ।'
“मेरे मालिक ने कहा, 'ऐसा लगता है गुलाम को ऊँट सँभालने का अनुभव है। सौरा, अगर तुम चाहो तो तुम
इस आदमी को अपने ऊँटों की देखभाल के लिए रख सकती हो।”
“इस तरह मुझे सौरा के हवाले कर दिया गया। उसी दिल मैं उसे ऊँट पर बैठाकर उसकी बीमार माँ से
मिलवाने ले गया। यात्रा लंबी थौ और मुझे उसकी मदद के लिए उसे धन्यवाद देने का अवसर मिल गया। मैंने उसे
यह भौ बताया कि मैं जन्म से गुलाम नहीँ था और मेरे पिता बैबिलाँन के एक सम्मानित काठी बनाने वाले थे। मैने
उसे अपने बारे में बहुत कुछ बताया। लेकिन उसके जवाब सुनकर मैं उलझन में पड़ गया और बाद में मैंने उसकी
बातों पर काफ़ी विचार किया ।”
“तुम ख़ुद को स्वतंत्र व्यक्ति कैसे कह सकते हो, जब तुम्हारी कमज़ोरी ने तुम्हारा यह हाल कर दिया है? अगर
किसी व्यक्ति में गुलाम की आत्मा है, तो चाहे वह जन्म से कुछ भी हो, अंततः वह गुलाम ही बन जाएगा। इंसान भी
पानी की तरह अपने स्तर पर पहुँच जाता है। अगर किसी व्यकिति में स्वतंत्र नागरिक की आत्मा है, तो अपने दुर्भाग्य
के बावज़ूद अंततः सम्मानित नागरिक बन जाएगा!”
मैं एक साल से ज़्यादा समय तक बाक़ी गुलामों के साथ रहा, परंतु मैं उनसे उनसे जुड़ जुड़ नहीं पाया। एक
दिन सौरा ने मुझसे पूछा, “शाम को बाक़ी गुलाम “आपस आपस में मिलते हैं और एक-दूसरे के साथ हैंसी-मज़ाक़
करते हैं। परंतु तुम अपने तंबू में अकेले क्यों बैठे हो ?"
“इस पर मैने जवाब दिया, 'मैते आपकी कही बातों पर विचार किया है। मुझे नहीं लगता कि मुझमें गुलाम
'की आतमा है। मैं उनमें से एक नहीँ बन सकता, इसलिए मैं अलग बैठता हूँ. ।
उसने मूझे विश्वास में लेकर कहा, 'मुझे भी अलग बैठना पड़ता है। मेरे माता-पिता ने बहुत दहेज दिया था और
इसी कारण मेरे पति ने मुझसे शादी की थी। बहरहाल उले मुझसे ज़रा भी परेम नहँ है। हर औरत की हसरत होती है
“दूसरी बार हमारी क़रिस्मत उतनी अच्छी नहीं रही। जैसे ही हमने सामान लूटा, कुछ सशस्त्र लोगों ने हम पर
हमला कर दिया। ये माले वाले उस क़बीले के मुखिया ने भेजे थे, जिसे कारवाँ संरक्षण के लिए पैसे देते थे।
हमारे दो लीडर्स मारे गए और बाक़ी सब लोगों को पकड़कर दमिश्क ले जाया गया, जहाँ हमारे कपड़े उतारकर हमें
गुलामों के रूप में बेच दिया गया। "
“मुझे सीरिया के रेगिस्तानी क़बीले के मुखिया ने चाँदी के दो सिक्कों में खरीदा। मेरे बाल उतरवा दिए गए
और मेरे शरीर पर सिर्फ़ एक कपड़ा था, जो कमर पर लिपटा हुआ था। मैं बाक्री गुलामां से ज़्यादा अलग नहीं था।
'लापरवाह युवक की तरह मैंने सोचा कि यह अनुभव भी रोमांचक होगा। परंतु मैं तब दहल गया, जब मेरे मालिक ने
मुझे अपनी चार पत्नियों के सामने पेश करके कहा कि वे मुझे अपना किन्नर बना सकती हैं।"
“दरअसल तब जाकर मुझे अपनी निराशाजनक स्थिति का एहसास हुआ । रेगिस्तान के ये लोग जंगली और
योद्धा धे। उनकी इच्छाओं का पालन करना मेरी मजबूरी थी, क्याँकि मेरे पास न तो हथियार थे, न ही बचाव के
साधन |”
“जब उन चारों महिलाओं ने मुझे गौर से देखा, तो मैं दहशत में खड़ा रहा। मैं सोच रहा था कि क्या मुझे उनसे
दया की आशा करना चाहिए। पहली पत्नी सीरा बाक़ी तीनों पत्नियों से बड़ी थी। मेरी तरफ़ देखते समय उसका
चेहरा भावहीन था। मुझे उससे दया की क़तई उम्मीद नहीं थी। मैंने दूसरी पत्नी की तरफ़ आशा भरी नज़र डाली। वह
'एक घ॒मंडी सुंदरी थी, जो मेरी तरफ़ इतनी उदासीनता से देख रही थी, जैसे ज़मीन पर रेंगने वाले किसी कीड़े को देख
रही हो। बाक़ी दोनों छोटी पत्नियाँ हैस रही थीं, जैसे यह कोई दिलचस्प मज़ाक़ हो।”
सज़ा का इंतज़ार करते हुए मुझे ऐसा लगा, जैसे एक युग बीत गया हो। हर महिला चाहती थी कि दूसरी
महिला फ़ैसला करे। अंत में सीरा ने ठंडी आवाज़ में कहा,
“हमारे पास बहुत से किन हैं, परंतु ऊँटों की देखभाल करने वाले गुलाम बहुत कम हैं। जो हैं, वे किसी काम
के नहीं हैं। आज ही मैं अपनी बीमार माँ से मिलने जाना चाहती हैँ, परंतु ऐसा कोई गुलाम नहीं है, जिस पर मैं भरोसा
कर सकूँ कि वह मेरै ऊँट को ठीक से ले जाएगा। इस गुलाम मे पूछो कि क्या वह ऊँटों की देखभाल कर सकता
a"
इस पर मेरे मालिक ने मुझसे पूछा, 'तुम ऊँटों के बारे में क्या जानते हो ?"
अपनी खुशी को छुपाने की कोशिश करते हुए मैने जवाब दिया, 'म उहें बिठा सकता हैँ, उन पर बोझ लाद
सकता हैँ, उन्हें बिना थके लंबी यात्राओं पर ले जा सकता हूँ। अगर ज़रूरत हो, तो मैं उनके साज़ोसामान की मरम्मत
भी कर सकता हूँ।'
“मेरै मालिक ने कहा, 'ऐसा लगता है गुलाम को ऊँट सँभालने का अनुभव है। सौरा, अगर तुम चाहो तो तुम
इस आदमी को अपने ऊँटों की देखभाल के लिए रख सकती हो।”
“इस तरह मुझे सौरा के हवाले कर दिया गया। उसी दिल मैं उसे ऊँट पर बैठाकर उसकी बीमार माँ से
मिलवाने ले गया। यात्रा लंबी थी और मुझे उसकी मदद के लिए उसे धन्यवाद देने का अवसर मिल गया। मैने उसे
यह भी बताया कि मैं जन्म से गुलाम नहीँ था और मेरै पिता बैबिलाँन के एक सम्मानित काठी बनाने वाले थे। मैने
उसे अपने बारे में बहुत कुछ बताया। लेकिन उसके जवाब सुनकर मैं उलझन में पड़ गया और बाद में मैने उसकी
बातों पर काफ़ी विचार किया ।”
“तुम ख़ुद को स्वतंत्र व्यक्ति कैसे कह सकते हो, जब तुम्हारी कमज़ोरी ने तुम्हारा यह हाल कर दिया है? अगर
किसी व्यक्ति में गुलाम की आत्मा है, तो चाहे वह जन्म से कुछ भी हो, अंततः वह गुलाम ही बन जाएगा। इंसान भी
पानी की तरह अपने स्तर पर पहुँच जाता है। अगर किसी व्यक्ति में स्वतंत्र नागरिक की आत्मा है, तो अपने दुर्भाग्य
के बावजूद अंततः सम्मानित नागरिक बन जाएगा!”
मैं एक साल से ज़्यादा समय तक बाक्री गुलामों के साथ रहा, परंतु मै उनसे उनसे जुड़ जुड़ नहीँ पाया। एक
दिन सौरा ने मुझसे पूछा, 'शाम को बाक्री गुलाम “आपस आपस में मिलते हैं और एक-दूसरे के साथ हैसी-मज़ाक्र
करते हैं। परंतु तुम अपने तंबू में केले क्यों बैठे हो ?"
“इस पर मैने जवाब दिया, “मैने आपकी कही बातों पर विचार किया है। मुझे नहीं लगता कि मुझमें गुलाम
की आत्मा है। मैं उनमें से एक नहीं बन सकता, इसलिए मैं अलग बैठता हूँ ।”
उसने मुझे विश्वास में लेकर कहा, 'मुझे भौ अलग बैठना पड़ता है। मेरे माता-पिता ने बहुत दहेज दिया था और
इसी कारण मेरे पति ने मुझसे शादी की थी। बहरहाल उन्हें मुझसे ज़रा भी प्रेम नहीं है। हर औरत की हसरत होती है
भी। मैं जानता था कि मालिक का सामान चुराकर भागने वाले गुलामों को बहुत सख़्त सज़ा दी जाती है। ”
“उम्र शाम को मैं एक उजाड़ सी जगह पर पहुँचा। रेगिस्तान की तरह ही यहाँ भी कोई नहीं रहता था। नुकीली
चट्टानों ने मेरे वफ़ादार ऊँटों के पैर ज़़्मी कर दिए थे। वे बहुत घीमे-धीमे और कराहते हुए चल रहे थे। मुझे रास्ते
में इंसान तो क्या, जानवर तक नहीं मिला। मैं अच्छी तरह समझ सकता था कि इस उजाड़ जगह पर कोई क्यों नहीँ
रहता था।”
“उसके बाद की यात्रा इतनी भीषण थी कि बहुत कम लोग उसे कसन के बाद ज़िंदा बचे हॉंगे। हर दिन हम
“धीरे-धीरे चलते रहे। हमारे पास जितना भोजन और पानी था, वह सब ख़त्म हो गया। सूरज की गमी निर्ममता से हमें
झुलमा रही थी। नौवें दिन शाम को मैं अपने ऊँट से फिसलकर गिर पड़ा। मैं जानता था कि मैं इतना कमज़ोर था
कि दुबारा ऊँट पर नहीं चढ़ पाऊँगा और इसी उजाइ जगह पर मर जाऊँगा।”
“मैं ज़मीन पर ही पसर गया और सो गया। मेरी आँख जो लगी, तो सूरज की पहली किरण निकलने पर ही
खुली।”
“मैने उठकर अपने चारों तरफ़ देखा। सुबह की हवा में ठंडक थी। पास में ही मेरै ऊँट लेटे थे, जो बहुत उदास
दिख रहे थे। में? आस-पास बर्बादी का आलम था, जहाँ चट्टानें, रेत और काँटेदार चीजें थीं। वहाँ पर पानी का
नामोनिशान नहीं था। इसके अलावा वहाँ पर इंसान या ऊँट के खाने के लिए भी कुछ नहीं था।”
“क्या यह हो सकता है कि इस वीराने में ही मैं इस दुनिया से चला जाऊँगा ? उस समय मेरा दिमाग जितनी
स्पष्टता से सोच रहा था, उतनी स्पष्टता से इसने पहले कभी नहीं सोचा था। अब मेरा शरीर बहुत कम महत्वपूर्ण लग
रहा था। मेरे हॉठ सूखे थे और उनसे खून निकल रहा था, मेरी जीभ सूखी और सूजी हुई थी, मेरा पेट खाली था, परंतु
पिछले दिनों इन सबसे मुझे जितना भीषण दर्द हो रहा था, अब वह गायब हो चुका था ।”
“मैंने एक बार फिर खुद से यह सवाल पूछा, 'मुझमें स्वतंत्र नागरिक की आत्मा है या गुलाम की ?' फिर
स्पष्टता के साथ मुझे एहसास हुआ कि आगर मुझमें गुलाम की आत्मा होती, तो मैने हार मान ली होती, रेगिस्तान में
ही पसरकर मर गया होता, जो एक भगोड़े गुलाम का उचित अंत होता।”
“परंतु अगर मुझमें स्वतंत्र नागरिक की आला है, तो फिर ? निश्चित रूप से मैं बैबिलॉन तक पहुँचने की
कोशिश करूँगा, अपने पर भरोसा कल वाले लोगों का कर्ज़ चुकाने की कोशिश कछँगा, अपनी प्रेमपूर्ण पत्नी को
खुशी दूँगा और अपने माता-पिता को शांति तथा संतुष्टि प्रदान करूँगा।”
सीरा ने कहा था, 'तुमहारा कर्ज ही तुम्हारा दुश्मन है। उसी ने तुम्हे बैबिलंन से खदेड़ दिया है।' हाँ, यह सही
था। मर्द की तरह उसका मुक़ाबला क्यों नहीं किया ? मैंने अपनी पत्नी को मायके क्यों मेज दिया ?
“फिर एक अजीब चीज़ हुई। पूरी दुनिया अलग नज़र आने लगी ऐसा लग रहा था, जैसे पहले मैं दुनिया को
किसी रंगीन पत्थर के माध्यम से देख रहा था, जो अब अचानक हट गया था। आखिरकार मुझे सच्चे जीवन मूल्य
नज़र आने लगे।”
“मैं और रेगिस्तान में मर जाऊँ! कभी नहीं। अब मेरे मन में एक नया सपना जाग चुका था। अब मैं जानता था
कि मुझे कौन से क्राम कसे ही थे। सबसे पहले तो मैं बैबिलांन जाऊँगा और क़ दने वाले लोगों से मिलूँगा । मैं
उह बताऊँगा कि बरसों तक भटकने और दुर्भाग्य का शिकार होने के बाद मैं उनका कर्ज उतारने के लिए आ गया हुँ।
नितनी जल्दी देवता इजाज़त देंगे, मैं उनका कर्ज़ उतार दूँगा। फिर मुझे अपनी पत्नी को खुशी देना चाहिए और एक
ऐसा नागरिक बनना चाहिए, ताकि मेरे माता-पिता मुझ पर गर्व कर सकें।”
“मेरे कर्ज मेरे दुश्मन थे, परंतु जिन लोगों से मैंने कर्ज लिया था, वे मेरे मित्र थे। आख़िर उन्होंने मुझ पर विश्वास
किया था।"
“मै लड़खड़ाते हुए अपने पैरों पर खड़ा हुआ। भूख से क्या फ़ार्क़ पड़ता था ? प्यास से क्या फ्रर्क पड़ता था ? वे
तो बैबिलॉन की राह पर होने वाली घटनाएँ मर थीं। मेरे भीतर एक स्वतंत्र व्यक्ति की आत्मा हिलोरें मारने लगी, जो
अपने शत्रुओं को जीतने और अपने मित्रों को पुरस्कार देने के लिए जल्दी से बैबिलॉन पहुँचना चाहती थी। मैं महान
संकल्प से रोमांचित हो गया।”
"मेरी भराई आवाज़ में अब एक नई खनक आ गई थौ, जिसे सुनकर मेरे ऊँटों की थकी आँखों में भी चमक
(आ गई। बहुत कोशिशों के बाद वे उठकर खड़े हुए। कराहते हुए लगन के साथ वे उततर दिशा में बढ़ते गए। मेरी
अंतरात्मा की आवाज़ यह कह रही थौ कि इस दिशा में हमें बैबिलॉन मिल जाएगा।”
जल्द ही हम उपजाऊ इलाके में पहुँच गए। यहाँ हमें पानी, घास और फल मिले। हमें बैबिलाँन का रास्ता
मिल गया। तब जाकर मुझे यह एहसास हुआ कि स्वतंत्र व्यक्ति की आत्मा ज़िंदगी को ऐसी समस्याओं की श्रृंखला
के रूप में देखती है, जिन्हें सुलझाया जाना है और फिर वह उन्हें सुलझा देता है, जबकि गुलाम की आत्मा रोती है, 'मैं
या कर सकता हैँ, मैं तो गुलाम हूँ।'
“तरक्ाद, तुम अपने बारे में कुछ कहो ? क्या तुम्हारे पेट की भूख ने तुम्हारे दिमाग को बहुत स्पष्ट कर दिया है?
क्या तुम उस राह पर चलने के लिए तैयार हो, जो तुम्हें दुबारा आत्म-सम्मान दिला सके ? क्या तुम दुनिया को इसके
सच्चे रंग में देख सकते हो ? क्या तुपमें अपने कर्ज़ चुकाने की इच्छा है, चाहे वे कितने ही ज़्यादा क्यों न हों ? क्या
तुम दुबारा बैबिलॉन के सम्मानित नागरिक बनना चाहते हो ?”
“तरक्ाद की आँखों में नमी आ गई। वह अपने घुटनों पर उत्साह से उठा। “आपने मुझे ज़िंदगी जीने का एक
नया नज़रिया दिया है। मुझे यह लगने लगा है कि मेरे भीतर स्वतंत्र व्यक्ति की आत्मा हिलोरें मार रही है। ”
“परंतु दबेज़िर, यह तो बताओ कि वापस लौटने के बाद तुम्हारा क्या हाल हुआ। ?" एक दिलचस्पी लेने
वाले श्रोता ने पूछा।
देवजर ने जवाब दिया, “जहाँ संकल्प होता है, वहाँ राह निकल आती है। मुझमें संकल्प था, इसलिए मैं राह
खोजने निकल पड़ा। सबसे पहले तो मैं हर कर्ज़ देने वाले से मिला। मैंने सबसे यही आग्रह किया कि वे तब तक
और धैर्य रखें, जब तक कि मैं उनका कर्ज उतारने लायक कमा न लूं। उममें से ज़्यादातर मुझे देखकर खुश हुए।
हालाँकि कुछ ने मुझे खरी-खोटी सुनाई, परंतु बाक्रियाँ ने मेरी मदद करने का वचन दिया। उनमें से एक ने तो मेरी
'चह मदद की, जिसकी मुझे सख्त ज़रूरत थी। वह मैथन नामक साहृकार था। जब उसे यह पता चला कि मैं सौरिया
में ऊँटों की देखभाल करता था, तो उसने मुझे ऊँटों के व्यापारी नेवाटूर के पास भेज दिया। नेवाटूर को हमारे सम्राट ने
'एक महान अभियान के लिए अच्छे ऊँटों के बहुत से रेवड़ ख़रौदने का ठेका दिया था। उसके यहाँ मैंने अपने ऊँटों के
ज्ञान का बहुत अच्छा उपयोग किया। धीरे-धीरे मैने अपने कपर चढे ताँबे और चाँदी के एक-एक सिक्के का कर्ज
उतार दिया। अब मैं एक बार फिर अपना सिर उठाकर जी सकता था और यह अनुभव कर सकता था कि मैं भी एक
सम्मानित इंसान हूँ।"
एक बार फिर देबेज़िर अपने भोजन की ओर मुड़ा। उसने ज़ोर से चिल्लाकर कहा, ताकि उसकी आवाज़ रसोई
तक सुनाई दे, “कासकोर तुम बहुत ढीले हो। खाना ठंडा हो गया है। मेरे लिए गर्मागर्म माँस लेकर आओ। मेर मित्र
के बेटे तरक्राद के लिए भी एक बड़ा टुकड़ा लेकर आना, क्याँकि वह भूखा है और मेरे साथ खाना खाएगा ।”
इस तरह प्राचीन बैबिलॉन के ऊँटों के व्यापारी देवेज़िर की कहानी सूखत्म हुई। उसे अपनी अंतरात्मा की
आवाज़ उस समय सुनाई दी, जब उसे एक महान सच्चाई का एहसास हुआ = एक ऐसी सच्चाई का, जिसे उससे
पहले के सभी समझदार लोग जानते थे और उसका इस्तेमाल करते थे।
इसने हर युग के लोगों को मुश्किलों से बाहर निकाला है और सफलता की राह दिखाई है। जो बुद्धिमान
लोग इसकी जादुई शक्ति को समझते है, उन्हें यह भविष्य में भौ सफलता दिलातौ रहेगौ। इसका प्रयोग नीचे दिए
गए शब्दों को पढ़ने वाला हर व्यक्ति कर सकता है:
जहाँ संवकल्प होता.
बहाँ राह, निदकल आती है।
बैविलॉज के मृदापत्र
सेंट स्विदिब्स कॉलेज
जॉर्टिघम यूनिवर्सिटी
नेबार्क-ऑन-ट्रेट
नॉटिंघम
शा अवटुबर, 1934.
प्रोफ़ेसर फ्रेंकलिन काल्डवेल,
केयर ऑफ़ ब्रिटिश साइंटिफ़िक एक्सपीडिशज,
हिल्ला, मेसोपोटामिया।
प्रिय प्रोफ़ेसर,
ध्वस्त वैबित्लॉज के अवशेषो मे हाल में हुईं खुदाई में मिले जो पाँथ मुदापत्र पल भेजे है, वे आपके पत्र के
साथ ही प्राप्त हुए। मैं उब्ठछे देठतष्ट मंत्रमुग्ध रह गया। मैले उठनदी लिपि का हैडिलान का सबसे अमीर आदमी
अपनी भाषा में अक्षुवाद कर में कई सुय्तद घंटे बिताए। मुझे आपके पत्र का तत्काल जवाब दे देता थाहिए था,
परंतु मैॐैओ जाल-बूझकर देर की, क्योकि मैं चाहता था कि अक्षुवाद का काम पूरा कटों के बाद ही आपको पत्र
लिखू।
मुदापत्र बिठा किप्सी क्षति के सुयक्षित पहुँच गए थे, क्योंकि आपके उलछ बहुत अच्छी तरह पैव किया था
और उस पर सुरक्षित टतव्णे काले पदार्थों का छिड़काव कर दिया था।
इळ मृदापत्रों की कहाळी में आप भी उतओं ही हैरान रह जाएँग, जितओं कि हम लोग प्रयोगशाला में हुए
थे। तीत वी घली छाया से हम रोमांस और रोमांच की उम्मीद करते है। “अरेबियल व्छाइट्स” की तरह वी पीजें।
परंतु इस वष्ठाळमी में देबेजिट जामदा व्यक्तिं अपळी कर्जा युवाओं की समस्या के बारे में बताता है। इळ मृदापत्रों
को पढ़दकट हमें यह एहसास होता है कि हमारी दुनिया की परिस्थितियाँ पाँच हज़ार साल में उतनी ज़्यादा वृछाहीं
बदली है, जितव्य हम सोचते हैं।
यह अजौब है, परंतु इळ पुरा मृदापत्रं के कारण मैं पशोपेश में पड़ गया हूं। कॉलेज का प्रोफेसर ढोले के छाते
मुझे ज्ञाठी माला जाता है, जिससे अधिवयांश विषयों का ठीक-ठाव ज्ञात है। बहरहाल, इन मृदातत्रों में बैबिलान
के रवंडहरों में दफ़न एक आदमी कर्ज युवाओं और थल -उसंप्रह करओं का ऐसा तटीया सुझाता है, जो मैले पहले
कभी नहीँ सुळा।
मैं कहता हूं कि यह बहुत सुय्तद विवाट है। मेरी दिलचस्पी यह साबित करठ में है कि प्राचीन बैबिल्लॉल
का यह तीव्रता क्या आज भी उतनी ही अच्छी तरह वाम दष्ट सदकता है। मिटसेज़ भूजबेटी और मैं इस योजळा पर
अमल कष्टों की योजळा बता रहे है, ताकि हमारी आर्थिक परिस्थितियों में सुधार हो सके।
आपके सफल अभियान पर मैं आपको शुभकामनाएँ देता हूँ । मै आपकी मदद कटले के किसी और अवसर
का उत्सुकता से इंतजार कर रहा हूँ।
आपका
अल्फ्रैड एच, श्रुज़बेरी,
पुरातत्व विभग।
पहला मृदापत्र
आज पूर्णिमा है। मैं देबेज़िर हूँ। सीरिया में गुलाम की ज़िंदगी बिताने के बाद मैं हाल ही में अपने शहर लौटा
हूँ। मैंने संकल्प कर लिया है कि मैं अपने सारे कर्ज़ चुका दूँगा और बैबिलॉन के अपने पैतृक शहर में संपनन बनकर
दिखाऊँगा। मैं मरदापत्रों पर अपनी परिस्थितियों का स्थायी रिकॉर्ड लिखना चाहता हैं, ताकि मुझे अपनी प्रबल
इच्छा को पूरा कले में मार्गदर्शन और सहयोग मिल सके।
मेरे अच्छे मित्र साहूकार मैथन की समझदारीपूर्ण सलाह के अनुसार मैं एक निश्चित योजना पर चलने का
संकल्प कर चुका हूँ। उसका कहना है कि यह योजना किसी भी व्यक्ति को कर्ज से मुक्ति दिला सकती है और उसे
संपन्न तथा सम्मानित बना सकती है।
इस योजना के तीन उद्देश्य हैं, जिन्हें मैं चाहता हैँ और जिनकी मैं आशा करता हूँ।
'पहला, यह योजना मेरी भावी समृद्धि सुनिश्चित करती है।
इसलिए मैं अपनी आमदनी का दसवाँ हिस्सा अपने लिए अलग रख दूँगा। क्योंकि मैथत ने समझदारीपूर्वक
यह कहा था :
“जो व्यक्ति अपने परस में सोना और चाँदी रखता है, जिसे खर्च करे की उसे ज़रूरत नहीँ है, वह अपने परिवार
कै प्रति प्रेमपूर्ण और सप्राट कै प्रति वफादार होता है ।"
“जिस व्यक्ति के पर्स में ताँबे के कुछ सिक्के ही होते हैं, वह अपने परिवार और सम्राट के प्रति उदासीन होता
है।”
“परंतु जिस व्यक्ति के पर्स में कुछ नहीं होता है, वह अपने परिवार के परति निर्दयी और अपने सम्राट के प्रति
दागाबाज़ होता है, क्योंकि उसका हृदय कटुता से भरा होता है।”
“इसलिए जो व्यक्ति सफल होना चाहता है, उसके पर्स में धन खनकना चाहिए, ताकि उसके हदय में अपने
परिवार के प्रति प्रेम और अपने सम्राट के प्रति वफ़ादारी हो। "
दूसरी बात, यह योजना सुनिश्चित करती है कि मैं अपनी अच्छी पत्नी के ख़्च॑ पूरे ककैगा और उसके लिए वस्त्र
ख़रीदूँगा, क्योंकि वह वफ़ादारी के साथ अपने पिता के घर से मेंरे पास लौटी है। मैथन ने कहा है कि वफ़ादार पत्नी
की अच्छी देखभाल कसे से मनुष्य के मन में आत्म-सम्मान पैदा होता है, उसके उद्देश्यों में शक्ति आती है और उसके
संकल्प में वृद्धि होती है।
इसलिए मैं अपनी सत्तर प्रतिशत आमदनी का इस्तेमाल घर, कपड़े और भोजन पर करूँगा । इसके अलावा मैं
(इसी आमदनी में अपना सामान्य खर्च चलाऊँगा, ताकि हमारी ज़िंदगी में खुशियों की कमी न रहे। परंतु मैथन ने इस
बारे में सावधानी बरतने को कहा है कि हमें इन अच्छे उद्देश्यों के लिए अपनी सत्तर प्रतिशत आमदनी से अधिक का
इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसी में इस योजना की सफलता निहित है। मुझे सत्तर प्रतिशत आमदनी में ही गुज़ारा
करना चाहिए और कभी इससे ज़्यादा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, न ही मुझे कोई ऐसी चीज़ खरीदना चाहिए,
जिसका भुगतान मैं अपनी आमदनी के इस हिस्से से न कर सकूँ।
दूसरा मृदापत्र
तौसरी बात, इस योजना में यह बताया गया है कि अपनी आमददी मेँ से मैं अपना कर्ज कैसे चुकाऊँ।
इसलिए हर पूर्णिमा के दिन मैं अपनी महीने भर की कमाई में से बीस प्रतिशत निकालकर उससे अपना कर्ज
चुकाता हूँ । जिन लोगों ने मुझे कर्ज दिया है, उन्होंने मुझ पर भरोसा किया है, इसलिए मैं सम्मानपूर्वक उनमें बराबरी
से अपनी बीस प्रतिशत आमदनी बाँट देता हैं। इस तरह समय के साथ मेरा सारा कर्ज़ उतर जाएगा।
मैं यहाँ पर हर उस व्यक्ति का नाम लिख रहा हैं, जिसका मैं कर्जदार हूँ । साथ ही मैं यह भी लिख रहा हूँ कि
मैने किस व्यक्ति से कितना कर्ज़ लिया है ।
फेहरू, बुनकर, चाँदी के 2 सिक्के, ताँबे के 6 सिक्के।
सिंजार, फ़ीचर बनाने वाला, चाँदी का 1 सिक्का।
अहमर, मेरा मित्र, चाँदी के ३ सिक्के, ताँबे का 1 सिक्का।
जेंकार मेर मित्र, चाँदी के 4 सिक्के, तांब के 7 सिक्के।
अस्कामिर, मेरा मित्र, चाँदी का 1 सिक्का, ताँबे के ३ सिक्के।
हैसिज़िर, आभूषण बनाने वाला, चाँदी के 6 सिक्के, ताँबे के 2 सिक्के।
डायरबेकर, मेरे पिता के मित्र, चाँदी के 4 सिक्के, ताँबे का 1 सिक्का।
अल्काहद, मकान मालिक, चाँदी के 14 सिक्के।
मैथन, साहुकार, चाँदी के 9 सिक्के।
बौरेजिक, किसान, चाँदी का 1 सिक्का, ताँबे के 7 सिक्के।
(हाँ से मृदापतर कषतिप्रस्त था। पढ़ा नहीं जा सका।)
तीसरा मृदापत्र
इन कज़दारो को मुझे कुल मिलाकर चाँदी के 19 सिक्के और ताँबे के 141 सिक्के चुकाना है। चूँकि मुझ पर
इतना भारी कर्ज़ चढ़ा था और उसे चुकाने का मुझे कोई रास्ता नहीँ सूझ रहा था, इसलिए मूर्खतावश मैने अपनी
पत्नी को मायके भेज दिया और अपने पैतृक शहर को छोड़कर आसान दौलत की तलाश में परदेस चला गया।
बहरहाल, वहाँ पर मैं संकट में फैंस गया और गुलाम बन गया।
अब जब मैथन ने मुझे दिखा दिया है कि अपनी कम आमदती के बावजूद मैं अपना कर्ज़ कैसे चुका सकता हूँ,
तो मुझे यह एहसास होता है कि अपनी फ़िज़ूलख़र्ची के परिणामों से भागना मेरी बहुत बड़ी मूर्खता थी।
इसलिए मैं उन लोगों के पास गया, जिससे मैंने कर्ज़ लिया था। मैंने उन्हें बताया कि मेरे पास कोई संपत्ति या
जायदाद नही है, जिससे मैं उनका क़ चुका सकूँ । मैंने उनसे कहा कि मेरे पास सिर्फ़ कमाने की क्षमता है और मैं
अपनी आमदनी का बीस प्रतिशत हिस्सा कर्ज़ चुकाने में लगाऊँगा। मैं पूरी ईमानदारी और बराबरी से अपने कर्ज
चुकाऊँगा। मैं क़ चुकाने के लिए बीस प्रतिशत से ज़्यादा आमदनी का इस्तेमाल नहीं कर सकता हैं। इसलिए
आगर वे धैर्य रखें, तो समय के साथ मैं पूरा कर्ज़ उतार दूँगा।
अहमर को मैं अपना सबसे अच्छा मित्र समझता था, परंतु उसने मुझे बुरा-भला कहा और मेरा अपमान किया।
बीरेज़िक नामक किसान ने मुझमे अनुरोध किया कि मैं सबसे पहले उसका कर्ज़ चुकाऊँ, क्योकि उसे पैसे की बहुत
ज़्यादा ज़रूरत है। यह योजना सुनकर मकान मालिक अल्काहद बहुत गुस्सा हो गया और उसने साफ़ कह दिया कि
आगर मैने जल्दी से उसका कर्ज नहीं उतारा, तो परिणाम बहुत बुरा होगा।
बाकी सबने खुशी-खुशी मेरे प्रस्ताव को मान लिया। इसलिए अब मैं इस योजना पर अमल करने के लिए
पहले से ज़्यादा संकल्पवान हूं। अब मुझे विश्वास हो चुका है कि करज़ चुकाने से बचे के बजाय उन्हें चुकाना कहीं
ज़्यादा आसान है। हालाँकि मैं अपने कुछ कर्ज़दाताओं की आवश्यकताओं और माँगों को पूरा नहँ कर पाऊँगा,
परंत मै उन सबके साथ निष्पक्षता से व्यवहार करुँगा।
चौथा मृदापत्र
एक बार फिर पूर्णिमा है। मैंने कड़ी मेहनत की है। मेरी अच्छी पत्नी ने कर्ज़ उतारे के मेरे इरादों में मेरा पूरा
साथ दिया है। हमारे बुद्धिमत्तापूर्ण संकल्प के कारण इस महीने मैंने नेबाटूर के लिए मज़बूत देह और अच्छे पैरों वाले
ऊँट ख़रीदे, जिसके एवज में मुझे चाँदी के 19 सिक्कों की आमदनी हुई।
इस आमदनी को मैंने योजना के अनुसार बाँट दिया। इसका दस प्रतिशत मैने अपने लिए अलग रख
लिया। इसका सत्तर प्रतिशत मैने जौवन-यापन के लिए अलग रख लिया। और इसका बीस प्रतिशत मैंने अपने
कर्ज़दाताओं में बराबरी से बाँट दिया।
मैं जब अहमर के घर गया, तो वह नहीं मिला, परंतु मैं वह राशि उसकी पत्री को दे आया। बौरेज़िक तो इतना
खुश हुआ कि उसने मेरा हाथ चूम लिया। सिर्फ बूढ़ा अल्काहद ही बड़बड़ाया और बोला कि मुझे अपना कर्ज़ ज्यादा
जल्दी चुकाना चाहिए। इस पर मैने जवाब दिया कि अगर मैं ठीक से खाऊँगा और चिंता नहीं करूंगा, तमी मैं
ज़्यादा तेज़ी से कर्ज़ चुका पाऊँगा। बाक्री सबने मुझे धन्यवाद दिया और मेरे प्रयासों की सराहना की।
इस तरह एक महीने में मने चाँदी के 4 सिक्कों का कर्ज उतार दिया। इसके अलावा मै चाँदी के 2 सिक्कों
का स्वामी मी बन गया हूँ, जिन पर किसी व्यक्ति का कोई हक़ नहीं है। मैं खुश हूँ और मैं बहुत लंबे समय बाद खुश
हुआ हू।
एक बार फिर पूर्णिमा आ गई है। कड़ी मेहनत के बावजूद इस महीने मुझे ज्यादा सफलता नहीं मिली। मैं
बहुत कम ऊँट खरीद पाया। मैं चाँदी के सिर्फ़ ॥ सिक्के ही कमा पाया। बहरहाल मेरी अच्छी पत्नी और मैं योजना
के अनुरूप चले। हमने एक भी नया वस्त्र नहीं ख़रीदा और सिर्फ़ सब्ज़ियाँ खाकर गुज़ारा किया। एक बार फिर मैंने
अपनी आमदनी का दस प्रतिशत खुद के लिए अलग रख लिया और सत्तर प्रतिशत से अपना ख़र्च चलाया। मैं हैरान
रह गया, जब अहमर ने कर्ज़ चुकाने के लिए मेरी तारीफ़ की, हालाँकि जो रक्रम मैं चुका रहा था, वह छोटी थी।
बीरेज़िक ने भी ऐसा ही किया। अल्काहद आग-बबूला हो गया, परंतु जब मैंने उससे कहा कि अगर वह इस रक़म
को नहीं लेना चाहता तो वापस कर दे, तो वह ठंडा पड़ गया। पहले की तरह बाक़ी सभी लोग संतुष्ट हुए।
'एक बार फिर पूर्णिमा आ गई है और मैं बहुत खुश हूँ। इस बार मुझे ऊँटों का बहुत अच्छा रेवड़ मिल गया
और मैने कई बेहतरीन ऊँट खरीद लिए, जिस वजह से मुझे चाँदी के 42 सिक्कों की आमदनी हुई। इस पूर्णिमा को
मेरी पल्ली और मैने जूते तथा कपड़े खरीदे, जिनकी हमें बहुत ज़रुरत थी। इसके अलावा, हमने गोश्त और मुर्गा खाकर
जश्न मनाया।
हमने चाँदी के 8 सिक्कों से ज़्यादा का कर्ज उतार दिया। अल्काहाद तक ने कोई उल्टी बात नहीं की।
वह योजना महान है, जो हमें कर्ज़ से बाहर निकालती है और बचत कराती है।
तीन महीने बाद मैं एक बार फिर लिख रहा हूँ। हर बार मैने अपनी आमदनी का दस प्रतिशत हिस्सा अलग
'बचाकर रखा। मैने और मेरी अच्छी पतनी ने हर बार सत्तर प्रतिशत आमदती में अपना खर्च चलाया, हालाँकि कई
'बार ऐसा कसे में काफ़ी मुश्किलें आई । हर बार मैने अपनी बीस प्रतिशत आमदती से अपने कर्ज़दाताओं का कर्ज
चुकाया।
मेरे पर्स में अब चाँदी के 21 सिक्के हैं, जो सिर्फ़ मेंरे हैं। इससे मेरा सिर तन जाता है और मैं अपने दोस्तों के
बीच गर्व के साथ उठ-बैठ सकता हूँ ।
मेरी पल्ली घर को बहुत अच्छी तरह से संभालती है और अच्छे कपड़े पहनती है। हम साथ-साथ रहकर खुश हैं।
'यह योजना अनमोल है। इसने एक पूर्व गुलाम को सम्मानित व्यक्ति में बदल दिया है।
पाँचवाँ मृदापत्र
एक बार फिर पूर्णिमा है। मैं जानता हूं कि मैने बहुत समय से कुछ नहीं लिखा है। दरअसल बारह महीने गुज़र
चुके हैं। बहरहाल, आज मैं अपना रिकॉर्ड लिखने से नहीँ चूकुँगा, क्योकि आज मैंने अपना आखिरी कज़ं चुका दिया
है। आज के दिन मैंने और मेरी पत्नी ने जश्न मनाया, क्योंकि हमारा संकल्प पूरा हो गया है।
जब मैं अपने कर्ज़दाताओं से आख़िरी बार मिला, तो ऐसी कई वातें हुईं, जिन्हें मैं हमेशा याद रखूँगा। अहमर ने
अपने कठोर शब्दों के लिए मुझसे माफ़ी माँगी और कहा कि वह चाहेगा कि हमारी दोस्ती हमेशा क़ायम रहे।
बूढ़ा अल्काहद भी आखिर इतना बुरा नहीँ था, क्योंकि उसने कहा, “तुम कभी नर्म मिट्टी की तरह नाजुक थे,
जिसे कोई भी छूकर दबा सकता था और मनचाहे आकार में दाल सकता था, परंतु अब तुम काँसे के टुकड़े की तरह
हो, जो किसी का भी मुक्राबला कर सकता है। आगर तुम्हें कभी चाँदी या सोने की ज़रूरत पड़े, तो बेहिचक मेरे पास
चले आना।”
बाकी लोगों ने भी मुझसे सम्मानपूर्वक बात की। मेरी अच्छी प्री ने मुझे इतने र्व से देखा कि किसी भी
आदमी में आत्मविश्वास आ जाएगा।
बहरहाल, मुझे सफलता अपनी योजना की बदौलत मिली। इस योजना ने हौ मुझे इस क्राबिल बनाया कि
मैं अपना सारा क़ चुका दूँ और मेरे प्स में सोना-चाँदी जमा होता रहे। मैं सफलता चाहने वाले हर आदमी को
यह सलाह दूँगा कि वह इस योजना पर चले। जब इसकी बदौलत एक पूर्व गुलाम अपने कज़ चुका सकता है और
अपने पर्स में सोना इकट्ठा कर सकता है, तो इस पर अमल करके कोई भी व्यक्ति ऐसा कर सकता है। मैं अब भी
इस योजना पर चल रहा हँ, क्याकि मुझे विश्वास है कि अगर मैं इस पर अमल करता रहँगा, तो मैं जल्दी ही अमीर
बन जाऊँगा।
सेंट स्विदिन्स कॉलेज
ज्ॉटिंघम यूनिवर्सिटी
नेबार्क-ऑन-ट्रेंट
नॉटिंघम
7 नवंबर, 1936
प्रोफ़ेसर फ्रैंकलिन काल्डवेल,
केयर ऑफ़ ब्रिटिश साइंटिफ़िक एक्सपीडिशन,
हिल्ला, मेसोपोटामिया।
प्रिय प्रोफ़ेसर,
आगर बैबिलाँ के अवशेषों में खुदाई करते समय आपको वहाँ के ऊँटों के व्यापारी देबेज़िट का भूत मिले, तो
मुझ पर एक मेहरबानी करें। उसे बता दे कि उसने मुदापत्रों पर बहुत समय पहले जो लिया था, उसके लिए इंग्लैंड
के दो प्रोफ़ेसर आजीवन उसके आभारी रहेंगे।
आपको शायद याद होगा, एक साल पहले मैने लिखा था कि मिसेज श्रूज़बेरी और मै कर्ज़ से बाहर निकलने
की इस योजना की आवाज़ भी सुनना चाहते हैं। शायद आपने अनुमान लगा लिया होगा कि हमारी आर्थिक स्थिति
ख़राब थी, हालाँकि हम इसे अपळ दोस्ता से छुपाने की कोशिश कर रहे थे।
हम कई सालों से अपमान भरा जीवन जी रहे थे, क्योंकि हमारे सिर पर पुराने कज़ों का पहाड़ था और नए
कर्ज़॑ चढ़ते जा रहे थे। हम दहशत में थे कि कहीं व्यापारी लोग कोई फ़साद न खड़ा कर दें. जिसकी वजह से मुझे
कॉलेज से निकाल दिया जाए। ऐसा नहीँ है कि हम कर्ज़ चुकाने की कोशिश नहीं कर रहे थे। अपनी आमदनी में से
हम जितना भी बचा सकते थे, उतना बचाने की कोशिश करते थे। परंतु आमदनी में अपना खर्च चलाना भी मुश्किल.
पड़ रहा था । इसके अलावा हमें मजबूरन उन जगहों से सामान खरीदना पड़ता था, जहाँ हमें उधार मिल सके, भले ही
वहाँ हमें महँगे दामों पर सामान मिलता था।
इससे एक दुष्वक्र शुरु हो गया, जिससे चीज़ें बेहतर बनने के बजाय बदतर बनती चली गई । हमारी स्थिति
निराशाजनक होती जा रही थी। हम कम किराए वाले मकान में नहीं जा सकते थे, क्योंकि हम पर मकान मालिक
का कर्ज़ चढ़ा हुआ था। ऐसा लगता था कि हम स्थिति को सुधारने के लिए कुछ नहीं कर सकते थे।
फिर आपके बैबिलांन के ऊँटों के व्यापारी ने हमे एक ऐसी योजना सुझाई, जिस पर अमल करके हम अपनी
मनचाही चीज़ हासिल कर सकते थे। उसने हमें अपनी योजना पर अमल करे की सूची बनाई और मैंने वह सूची
अपने सभी कर्ज़दाताओं को दिखाई।
मैंने उन्हें यह स्पष्ट बता दिया कि वर्तमान स्थिति में मैं उनका कर्ज़ तत्काल नहीं चुका सकता हूँ। आँकड़ो को
देखकर वे यह बात खुद ही समझ सकते थे। फिर मैँने उन्हें बताया कि पूरा कर्ज़ चुकाने का इकलौता रास्ता यही
था कि मैं हर महीने अपनी बीस प्रतिशत आमदनी सभी कर्ज़ंदाताओं में बराबरी से बाँट दूँ। इस तरह से मैं लगभग दो.
साल में सारे कर्ज़ उतार दूँगा। इस दौरान हम अपना सारा सामान नक़द ख़दीदेंगे, जिससे उन्हें अतिरिक्त लाभ होगा।
कर्ज़दाता सचमुच बहुत सज्जन थे। हमें सब्ज़ी देने वाला बूढ़ा आदमी समझदार था। उसने एक ऐसी बात
कही, जिमके द्वारा मुझे दूसरों को समझाने में आसानी हुईं। उसने कहा, अगर आप आगे से सारा सामान नकद
खदीदेंगे, और अपने कर्ज़ का कुछ हिस्सा भी चुकाएँगे, तो यह उससे बेहतर रहेगा जो आपने आज तक किया है।
आफ्ने तीन साल से मुझे एक पैसा भी नहीं दिया है।
अंत में मैने उन सबसे यह अनुबंध करवा लिया कि जब तक मैं नियमित रूप से अपनी बीस प्रतिशत आमदनी
से उनके कर्ज़ चुकाता रहेँगा, तब तक वे मुझे किसी प्रकार से तंग नहीं करेंगे। फिर हमने सत्तर प्रतिशत आमदनी
मैं गुज़ारा कले की योजना बनाई । हम अपनी दस प्रतिशत आमदनी बचाने के लिए संकल्पवान थे। चाँदी और
संभवतः सोने के सिक्के बचाने का विचार बहुत आकर्षक था।
ख़ुद को बदलने में हमें रोमांच का अनुभवहुआ । अपनी सत्तर प्रतिशत आमदनी में आराम से खर्च चलाते के
तरीके खोजने मं हमें बहुत मज़ा आया। हमने यह काम मकान के किराए से शुरू किया और हम मकान का किराया
कम करवाने में कामयाब हो मामलों में हमें अच्छा सामान कम कीमत पर मिल सकता है।
यह इतनी लंबी कहानी हैं कि एक पत्र में पूरी नहीँ हो सकती। संक्षेप में, इसमें हमें ज़्यादा कठिनाई नही हुई
और हमने खुशी-खुशी यह काम कर दिया। अपनी आर्थिक समसयाओं को इस तरह सुलझाने से हमें बहुत राहत
मिली और अब हम पुराने कर्ज़ के कारण आतंकित नहीं थे।
बहरहाल, मैं आपको उस दस प्रतिशत आमदनी के बारे में बताना नहीं भूलूँगा, जिससे हमने खनकाने के लिए
अलग रखा था। हमने कुछ समय तक तो अपनी जमापूंजी को देखने का आनंद लिया। कृपया यह सुनकर हैँसने न
लगें। देखिए, यही असली बात है। असली आनंद इसी में है कि आप धन बचाना शुरु कर दे, जिससे आप खर्च नहीँ
करना चाहते। घन खर्च करने के बजाय उसे इकट्ठा करे में ज्यादा आनंद मिलता है।
जब हमने मन भरकर धन खनकाने का आनंद ले लिया, तो हमने इसका एक ज़्यादा लाभकारी प्रयोग खोज
लिया। हमने एक ऐसी जगह पर इसका निवेश कर दिया, जहाँ हमें इससे हर महीने दस प्रतिशत ब्याज मिलने
लगा। यह हमारे परिवर्तन का सबसे संतोषजनक हिस्सा साबित हो रहा है। अपनी आमदनी में से हम सबसे पहले
इसी दस प्रतिशत हिस्से का भुगतान करते हैं।
हमें यह जानकर सुरक्षा का बहुत ही संतोषजनक एहसास होता है कि हमारा निवेश नियमित रुप से बढ़ रहा
है। हमारे रिटायरमेंट तक हमारे बचत ख़ाते में काफी धनराशि इकट्ठी हो जाएगी। यह घनराशि इतनी ज़्यादा होगी.
कि इससे बाद में हमारे खर्च पूरे होते रहेंगे।
मज़े की बात यह है कि यह सब मेरी पुरानी आमदती मं ही संभव हुआ है। हालाँकि डस बात पर यक्रीन
करा मुश्किल है, परंतु यह बिलकुल सच है हम धीरे-धीरे आपके सारे कर्जा युवा रहे है। इसके अलावा हमारा
निवेश बढ़ रहा है और हमारी आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर है। कौन विश्वास कर सकता है कि विना की वजह से
परिणामों में इतना अंतर आ सकता है?
अगले साल के अंत तक हमारे सारे कर्ज उतर जाएँगे। तब हम ज़्यादा घनराशि का निवेश करो की स्थिति में
होगी। इसके अलावा हमारे पास इतना धन होगा कि हम बाहर घूमने-फिरने जा सके। बहरहाल, हमळो संकल्प कर
लिया है कि हम किसी भी स्थिति में अपळओ जीवन-यापन के खर्च कों अपनी सत्तर प्रतिशत आमदनी से ज़्यादा
नहीँ होने देग।
अब आप समझ सकते है कि हम बैबिलांनि के उस आदमी को व्यक्तिगत रुप से धन्यवाद क्यों देना चाहते है,
जिसकी योजना ने हमें “धरती पर नारकीय जीवन” से बचाया है। उसके पास ज़ान था, क्योंकि वह इन स्थितियों
से गुज़र चुका था। वह चाहता था कि उसके कट अनुभवों से दूसरों को लाभ मिले। इसीलिए उसको अपना संदेश
लिखने में इतने घंटों की मेहनत की।
अपनी ही तरह कष्ट उठाने वाले लोगों के लिए उसके पास एक सच्चा संदेश था। यह संदेश इतना महत्वपूर्ण
था कि पाँच हज़ार साल बाद यह बैबिलांन के अवशेषो से बाहर निकला और आज भी यह उतना ही सच्चा तथा
प्रभावी है, जितना यह प्राचीन बैबिलान में था।
आपका
अल्मेड एच, श्ूजबेरी,
पुरातत्व विभाग
बैबिलॉन का सबसे खुशक्रिस्मत आदमी
'बिलॉन का समृद्ध व्यापारी शारू नादा अपने कारवाँ में सबसे आगे चल रहा था। उसे अच्छे वस्त्र पसंद थे,
इसलिए वह बेहतरीन वस्त्र पहनता था। उसे अच्छे जानवर पसंद थे और वह बहुत तेज़ भागने वाले अरबी
घोड़े पर सवारी करता था। उसे देखकर कोई उसके बुढ़ापे का अंदाज़ा नहीं लगा सकता था। निश्चित रूप से लोगों
'को यह शक नहीं हुआ होता कि अंदर से वह परेशान है।
दमिश्क से वापस लौटने की यात्रा लंबी है और इसमें रेगिस्तानों की कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता
है। बहरहाल, शारू नादा को ख़ास मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता है। खूँखार अरब जनजातियाँ कारवाँओं
को लूटने की फिराक में रहती हैं, परंतु उसे इस बात का कोई डर नहीं था, क्योंकि उसके पास घुड़सवार रक्षकों का
समूह था, जौ कारवाँ की रक्षा करने कै लिए पर्याप्त था।
शारु नादा के साथ एक युवक चल रहा था, जिसे वह दमिश्क से ला रहा था। उसी की वजह से शारू नादा
परेशान था। उस युवक का नाम हादान गुला था, जो उसके पुरने पार्टनर अरद गुला का पोता था। वह गुला का
(इतना कृतज्ञ था कि उसके कर्ज़ को कभी नहीँ उतार अरद सकता था। वह अर्द गुला के पोते के लिए कुछ करा
चाहता था, परंतु उसने इस बारे में जितना सोचा, यह काम उमे उतना ही मुश्किल लगा। सबसे बड़ी मुश्किल वह.
युवक स्वयं था।
उस युवक ने हाथों में अँगृठियाँ और कान में छल्ले पहन रखे थे। यह देखकर शारू नादा ने सोचा, “वह सोचता
है कि आभूषण मर्दों के लिए होते हैं, परंतु उसके पास अपने दादा का संकल्पवान चेहरा भी है। उसके दादा ने इस
तरह के भइकीले वस्त्र कभी नहीं पहने। बहरहाल, मैं चाहता था कि वह मेरे साथ आए, क्योंकि मुझे आशा थी कि
वह कोई ढंग का काम शुरू करे और अपने पिता से दूर रहे, जिन्होंने विरासत में मिले घन को गँवा दिया था। ”
हादान गुला ने उसके विचारों में बाधा डाली, "आप इतनी कड़ी मेहनत क्यों करते हैं ? अपने कारवाँ के साथ
लंबी यात्राओं पर क्यों जाते हैं ? आप कभी ज़िंदगी का आनंद लेने के लिए समय क्यों नहीं निकालते?”
शारू नादा मुस्कराया, “जिंदगी का आनंद ? ... अगर तुम शारू नादा की जगह होते, तो तुम ज़िंदगी का आनंद
लेने के लिए क्या करते ?”
आगर मेरे पास आपके जितनी दौलत होती, तो मैं राजकुमार की तरह राहता। । मैं कभी गर्म ेगिस्तानों की
यात्रा नहीं करता। घन मेरे पर्स में जितनी तेज़ी से आता, मैं उसे उतनी ही तेज़ी से उड़ा डालता। मैं सबसे महँगे कपड़े
और सबसे दुर्लभ रत्न पहनता। मैं इसी तरह की ज़िंदगी जीता, क्योंकि इसी तरह जीने में तो आनंद है। " दोनों ही
a
शाह नादा के मुँह से बरबस निकल गया, “तुम्हारे दादाजी आभूषण नहीं पहनते थे। " फिर उसने कुछ सोचकर
मज़ाक़ में कहा, “क्या तुम कभी काम नहीँ करते?”
हादान गुला ने जवाब दिया, “काम तो नौकर करते हैं।
शारू नादा ने अपने होंठ काट लिए, परंतु कोई जवाब नहीं दिया। वे ख़ामोशी से सवारी करते रहे, जब तक
कि पगडंडी उन्हें ढाल पर नहीं ले आई। यहाँ उसने अपने घोड़े की रास खौंचौ और दूर दिखने वाली हरी घाटी की
तरफ इशारा करते हुए कहा, “वह राही घाटी। और नौचे देखो, वहाँ पर तुम्हें बैबिलॉन की दीवारें घुँधली-घुँधली
दिख सकते हैं। वह मीनार बेल का मंदिर है। अगर तुम्हारी आँखें तेज़ हैं, तो तुम इसके ऊपर अमर ज्योति का घुआ
भी देख सकते हो।”
हादान गुला बोला, "तो बैबिलँन यह है ? मैं हमेशा दुनिया के सबसे दौलतमंद शहर को देखना चाहता था।
बैबिलॉन, जहाँ मेरे दादाजी ने दौलत कमाई थी। काश वे अब भी ज़िंदा होते! अगर वे ज़िंदा होते, तो हमारी आर्थिक
हालत इतनी ख़राब नहीं होती। ”
“तुम यह क्यों चाहते हो कि वे इस धरती पर अपने निर्धारित समय से ज़्यादा रहते ? तुम और तुम्हारे पिता भी
तो उनके पदचिन्हों पर चल सकते हो|”
*परंतु हम दोनों में ही उनके जितनी प्रतिभा नहीं है। पिताजी और मैं दोनों ही घन को आकर्षित करने का रहस्य
नहाँ जानते हैं।"
शारू नादा ने कोई जवाब नहीं दिया, पर अपने घोड़े की रास ढीली छोड़ दी। फिर वह कुछ सोचता हुआ
घाटी की पणडंडी से उतरने लगा। उनके पीछे कारवाँ लाल घूल का बादल उड़ाता आ रहा था। कुछ समय बाद वे
राजमार्ग पर पहुँच गए और सिंचित खेतों में से होते हुए दक्षिण दिशा में मुड़ गए।
तीन बूढ़े किसान एक खेत की जुताई कर रहे थे। शारू नादा का ध्यान उनकी तरफ़ गया। वे उसे जाने-
पहचाने लगे। कितनी अजीब बात है कि चालीस साल बाद आप किसी खेत से गुज़रें, और आपको वही लोग वहीं
पर खुदाई करते मिलें। बहरहाल, उसके दिल ने कहा कि वे वही थे। उनमें से एक हल को कमज़ोरी से पकड़े था।
बाक़ी बैलों के पास चल रहे थे और उन्हें कॉच रहे थे, ताकि वे ढंग से काम करें।
चालीस साल पहले उसे इन लोगों से ईर्ष्या होती थी! उस समय इनकी ज़िंदगी से अपनी ज़िंदगी की अदला-
बदली कल में उसे कितनी खुशी हुईं होती! परंतु अब कितना फ़र्क़ था! उसने गर्व से अपने पीछे आते कारवाँ,
बेहतरीन ऊँटों और गधों को देखा, जिन पर दमिश्क के क्रीमती सामान का ऊँचा ढेर लदा हुआ था। यह सब उसका
था और यह उसकी दौलत का सिर्फ़ एक हिस्सा था।
उसने जुताई करने वालों की तरफ़ इशारा करते हुए कहा, “ये लोग चालीस साल पहले जहाँ थे, अब भी वहाँ
पर हैं। वे अब भी उसी खेत को जोत रहे हैं। "
“ऐसा लगता तो है, परंतु आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि ये वही लोग हैं ?”
शारू नादा ने जवाब दिया, “मैंने उन्हें पहले भी यहीं पर देखा है। ”
उसके दिमाग में यादें सरपट भाग रही थीं। वह अतीत को दफ़न क्यों नहीं कर सकता ? वह वर्तमान में क्यों
नहीं रह सकता? फिर उसके दिमाग में अर गुला के मुस्कराते चेहरे की तस्वीर कौंध गईं। उसके और युवक के बीच
का अवरोध तत्काल गायब हो गया।
परंतु वह इस अभिमानी युवक की मदद कैसे कर सकता है, जिसके दिमाग में फ़िजूलखरची के विचार भरे
थे और जिसके हाथों में रत्र थे ? काम करने के इच्छुक लोगों के लिए उसके पास बहुत काम था, परंतु उ लोगों
के लिए उसके पास कोई काम नहीं था, जो काम करने को हेय दृष्टि से देखते हों और खुद को श्रेष्ठ मानते होँ।
बहरहाल, वह अर्द गुला का इतना आभारी था कि उसे कुछ न कुछ तो करना ही था। उमे पूरी कोशिश करना ही
थी। उसने और अरद गुला ने कभी आधी-अधूरी कोशिश नहीं की थी। वे ऐसे लोग नहीं थे।
उसके दिमाग में तत्काल एक योजना कौध गई। फिर आपत्तियाँ आई। उसे अपने परिवार और अपनी प्रतिष्ठा
का ख्याल आया। उसने सोचा कि इस योजना पर अमल करे से उसकी प्रतिष्ठा पर आँच आ सकती है। परंतु
तत्काल निर्णय लेने की आदत के कारण उसने इस आपत्ति को दरकिनार कर दिया और कर्म करने का फैसला
किया।
उसने सवाल पूछा, "क्या तुम यह जानना चाहते हो कि तुम्हारे योग्य दादाजी और मैं पार्टनर कैसे बने, जिस
वजह से हम दोनों हौ दौलतमंद बन गए?”
युवक ने उतावलेपन से कहा, “इसके बजाय आप मुझे सीघे-सीधे यह क्यं नहीं बता देते कि आपने धन कैसे
कमाया? मैं बस इतना ही जानना चाहता हूं!”
शारू नादा ने उसकी बात को नज़रभंदाज़ करते हुए आगे कहा, “हम इन जुताई करने वाले लोगों से शुरू करते
हैं। तब मै तुम्हारी ही उम्र का था। मेरे साथ मेगिडो नाम का किसान था। इन लोगों को जुताई करते देखकर उसने
नाक-भौं सिकोड़ी थी और कहा था कि वे लापरवाही से खेत जोत रहे थे। मेगिडो मेरे पास ही जंजीर से बैधा था।
उसने कहा, 'इन आलसी लोगों को देखो। हल पकड़ने वाला गहराई से जोतने की कोशिश नहीं कर रहा है। बैलों
को साधने वाले बैलों को सही मार्ग पर नहीं रख पा रहे हैं। इतनी खराब जुताई के बाद वे अच्छी फ़सल उगाने की
उम्मीद कैसे कर सकते हैं?” ?”
हादान गुला नै हैरानी से पूछा, “आप और मेगिडो जंज़ीर से बैधे थे?"
हाँ, हमारी गर्दन पर काँसे के पट्टे थे और हमारे बौच में भारी जंज़ौर थी। उसके पास में ही भेड़ों का चोर ज़ैबेदो
था, जिससे मै पहले हारून में मिला था। सबसे अंत में जो व्यक्ति था, उसे हम समुद्री डाकू कहते थे, क्योकि उसने
हमें अपना नाम नहीँ बताया था। हमारे खयाल से वह जहाज़ी था, क्योंकि जहाज़ियों की तरह ही उसके सीने पर भी
दो साँप गुदे हुए थे। जंज़्रे इस तरह से बँधी थीं, ताकि चार लोग एक साथ चल सकें।”
“आप गुलाम की तरह जंजीरों में जकडे थे?” हादान गुला ने हैरानी से पूछा।
“कया तुम्हारे दादाजी ने तुम्हें कभी नहीं बताया कि मैं कभी गुलाम था?”
“वे अक्सर आपके बारे में बातें करते थे, परंतु उन्होंने कभी इस बात की ओर संकेत नहीं किया। "
“वे ऐसे इंसान थे, जिन्हें सबसे गहरे रहस्य पूरे विश्वास के साथ बताए जा सकते थे। मैं तुम पर भी भरोसा कर
सकता हैँ, है ना?” शारू नादा ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा।
“आप मुझ पर भरोसा कर सकते हैं कि मै चुप रहुँगा। परंत मै हैन हूँ। मुझे बताएँ कि आप गुलाम कैसे
बने?”
शारू नादा ने अपने कंधे उचकाए, “कोई भी आदमी कभी भी गुलाम बन सकता है। जुए और शराब के कारण
मुझ पर यह संकट आया था मैं अपने भाई की गलतियों का शिकार हुआ धा। एक झगड़े में उसने अपने मित्र को
मार डाला। मेरे पिता यह नहीँ चाहते थे कि मेरे भाई पर क्रानून के मुताबिक्र मुकदमा चले, इसलिए उन्होंने मुझे * क
बनाकर मृत व्यक्ति की विधवा के हवाले कर दिया। जब मेरे पिता मुझे मुक्त कराने के लिए पर्याप्त धन नहीँ जुटा
पाए, तो उस विधवा ने गुस्से में आकर मुझे गुलामों के व्यापारी के हाथों बेच दिया।”
हादान गुला ने कहा, “कितनी श्म और अन्याय की बात है! परंतु मुझे बताएँ, आप दुवारा कैसे स्वतंत्र हुए?”
हम उस मुद्दे पर बाद में आएँगे। अभी हम इस कहानी को आगे बढ़ाते हैं। हमारे वहाँ से निकलते समय खेत
जोतते वालों ने हमारी खिल्ली उड़ाई। एक ने अपना फटेहाल टोप उठाकर और सिर झुकाकर हमारा अभिवादन
किया और कहा, 'सप्राट के अतिथियों, वैबिलाँन में आपका स्वागत है। वे शहर की दीवारों पर आपका इंतज़ार कर
हे हँ, जहाँ पर दावत का आयोजन किया गया है। दावत मे मिट्टी की ईटै और प्याज का सूप है।' इसके साथ ही वे
ज़ोर से हंस पड़े।
“समुद्री डाकू यह सुनते ही आपे से बाहर हो गया और उन्हें गालियाँ देने लगा। मैने उससे पूछा, 'इन लोगों ने
यह क्यों कहा कि सम्राट दीवारों पर हमारा इंतज़ार कर रहे हैं?'”
वह बोला, “शहर की दीवारों तक ईट ढोने वाले अपनी कमर टूटने तक ईंट ढोते रहते हैं। यह भी संभव है कि
कमर टूटने से पहले ही सैनिक पिटाई करके उनकी जान ले ले। पर वे मेरी पिटाई नहीं कर पाएँगे। मैं उन्हें जान से
मार दूँगा। "
फिर मेगिडो बोला, “मालिक अपने इच्छुक और मेहनती सेवकों की पिटाई करके उनकी जान क्यों लेंगे?
मालिक अच्छे गुलामों को पसंद करते हैं और उनके साथ अच्छा व्यवहार करते Bl”
ज़ैबेदी ने टिप्पणी की, “मेहनत कौन करना चाहता हैं? ये खेत जोतने वाले समझदार हैं। ये अपनी कमर नहीं
तोड़ रहे हैं। ये सिर्फ़ काम चला रहे हैं। "
मेगिडो ने विरोध करते हुए कहा, “आप काम टालकर प्रगति नहीं कर सकते। अगर आप दिन में एक हेक्टेयर
खेत जोतते हैं, तो यह बहुत अच्छा काम है और हर मालिक यह बात जानता है। परंतु अगर आप एक दिन में सिर्फ़
आधा हेक्टेयर जोतते हैं, तो यह काम को टालना है। मैं काम नहीं टालता। मुझे काम करना पसंद है और मुझे
अच्छी तरह से काम करना पसंद है, क्योंकि मैंने पाया है कि काम इंसान का सबसे अच्छा मित्र होता है। इसी की
बदौलत मुझे अपनी सारी अच्छी चीजें मिली हैं - मेरा खेत, मवेशी और फ़सल, सब कुछ। "
ज़ैबेदो ने ताना मारते हुए कहा, "अच्छा! और इस समय वे सारी चीज़ें कहाँ हैं? मुझे लगता है कि आदमी
को चालाक बनना चाहिए और बिना मेहनत किए आगे बढ़ना चाहिए। यही बेहतर नीति है। तुम देखना, अगर हमें
दीवारों पर काम करे के लिए बेच दिया जाएगा, तो मै पानी का थैला उठाऊँगा या ऐसा ही कोई आसान काम
करूँगा, जबकि तुम, जो काम करना पसंद करते हो, ईटें ढोकर अपनी कमर तोड़ लोगे।" वह मूर्ख॑तापूर्ण अंदाज़ में
हैसा ।
उस पूरी रात मैं दहशत में रहा। मैं सो नहीँ पाया। मैं गाई की रस्सी के क्ररीब खिसक आया। जब बाक़ी लोग
सो गए, तो मैने पहरा देन वाले गार्ड गोडोसौ का ध्यान आकर्षित किया। वह उन लुटेरे अरबवासियों मं से था, जौ
आपका पर्स लूटते समय यह सोचते थे कि उन्हें आपका गला भी काट देना चाहिए।
मैने फुसफुसाकर पूछा, “गोडीसो, मुझे बताओ, जब हम बैबिलाँन पहुँचेे, तो क्या हमें दीवारों के काम में
लगाने के लिए बेचा जाएगा?”
उसने सावधानी से पूछा, "तुम क्यों जानना चाहते हो?"
मैं गिड़गिड़ाया, “क्या तुम्हें समझ में नहीं आता है? मैं जवान हूँ। मैं ज़िंदा रहना चाहता हूं। मैं दीवारों पर काम
करते हुए नहीं मरना चाहता। मैं पिटाई से नहीं मरना चाहता। क्या अच्छा मालिक मिलने की कोई संभावना है?”
उसने घीमे से कहा, “मैं बताता हुँ। गोडोसो को कोई दिक्क्रत मत दो। अक्सर हम सबसे पहले गुलामों के
बाज़ार मं जाते हैं। अब ध्यान मे सुनो। जब खरीदार आएं, तो उनसे कहो कि तुम अच्छे मेहनती आदमी हो और
तुम अच्छे मालिक के लिए कड़ी मेहनत करोगे। पूरी कोशिश करो, ताकि खरीदार तुह ख़रीद लें। अगर तुम इसमें
कामयाब नहीँ हो पाए, तो अगले दिन तुम ईटें उठाओगे, जो बहुत कठोर काम है। "
उसके जाने के बाद मैं गर्म रेत में लेट गया और सितारों की तरफ़ देखते हुए काम के बारे में सोचने लगा।
मेगिडो ने कहा था कि काम उसका सबसे अच्छा मित्र है। मैं सोच रहा था, क्या वह मेरा भी सबसे अच्छा मित्र होगा।
निश्चित रूप से होगा, अगर वह मुझे इस संकट से निकाल ले।
जब मेणिडो जागा, तो मैंने उसके कान में फुसफुसाकर यह अच्छी ख़बर दी। जब हम बैबिलॉन की ओर बढ़ रहे
थे, तो हमारे लिए यह आशा की इकलौती किरण थी। शाम को हम दीवारों के पास पहुँचे। हमें दिख रहा था कि
लोगों की लंबी क़तारँ काली चींटियों की तरह ऊँचे रास्तों पर ऊपर-नीचे आ-जा रही थीं। क़रीब पहुँचने पर हमें
यह देखकर हैरानी हुईं कि हज़ारों लोग काम कर रहे थे। कुछ खंदक में खुदाई कर रहे थे, कुछ मिट्टी की इटं में मिट्टी
पिला रहे थे। बहुसंख्यक लोग ईंटों को बड़ी बास्केटो में लेकर मैसन्स तक जाने वाली उँची पणडंडियों पर चल रहे
ae
ठेकेदार दौले मज़दूराँ को गालियाँ दे रहा था और क़तार मैं न चलने वाले लोगों की पीठ पर चाबुक चला रहा
था। थके हुए कमज़ोर लोग अपनी भारी बास्केट के बोझ से लड़खड़ाकर गिर जाते थे और दुबारा नहीँ उठ पाते थे।
आगर चाबुक के बावज़ूद वे उठकर खड़े नहीं होते थे, तो उन्हें रास्ते में एक तरफ़ धकेल दिया जाता था और वहीँ पर
तड़पता छोड़ दिया जाता था। जल्दी ही उन्हें दूसरे कायरों के पास पहुँचा दिया जाता था, जहा कब्र उनका इंतज़ार
कर रही होती थी। मैने सोचा, आगर मैं गुलामों के बाज़ार मे नहीं बिकूँगा, तो मेरा भी यही हाल होगा।
गोडोसो ने सही कहा था। हमें शह के दवार से गुलामों की जेल तक ले जाया गया और अगली सुबह हमें
बाज़ार में खड़ा कर दिया गया। मेरे बाक्री साथी डे हुए थे। वे सिर्फ़ गाई के चाबुक की वजह से, ही हिल-डुल रहे.
थे, ताकि खरीदार उनकी जाँच कर सके। मेगिडो और मैं उत्सुकता से हर खरीदार से बातें कर रहे थे, बते वह हमें
ऐसा करने की अनुमति दे।
गुलामों के व्यापारी ने राजा के सैनिक बुलवाए, जिन्होंने समुद्री डाकू को जंज़ीरों से बाँधा और जब उसने
प्रतिरोध किया, तो उसकी कूरता से पिटाई की। जब वे उसे पकड़कर ले गए, तो मुझे उस पर दया आई।
मेगिडो को महसूस हुआ कि हम जल्दी ही एक-दूसरे से जुदा हो जाएँगे। जब आस-पास कोई खरीदार नहीँ
धा, तो उसने मुझसे गंभीरता से बातें कीं और मुझे बताया कि काम भविष्य मे मेरे लिए कितना बहुमूल्य साबित
होगा। 'कुछ लोग काम से नफरत करते हैं और इसे अपना दुश्मन बना लेते हैं। बेहतर होगा कि इसके साथ मित्र की
तरह व्यवहार करो और इसे पसंद करो। इस बात की परवाह मत करो कि यह मुश्किल है। अगर तुम कोई बेहतरीन
मकान बना रहे हो, तो तुम्हें यह परवाह नहीं होती है कि लड़ भारी हैं और कुआँ दूर है, जहाँ से पानी लाना पडता है।
मुझसे यह वादा करो कि अगर तुम्हें कोई ख़रीद ले, तो तुम उसके लिए अपनी पूरी मेहनत से काम करोगे। अगर वह
तुम्हारे काम से प्रभावित न हो, तो भी परवाह मत करना। याद रखो, अगर काम अच्छी तरह से किया जाए, तो काम
कले वाले को इससे हमेशा लाभ होता है। इससे वह बेहतर इंसान बन जाता है।'” उसी समय वहाँ पर एक सुगठित
किसान आकर हमारी जाँच करने लगा, इसलिए मेगिडो ने अपनी बात यहीँ पर ख़त्म कर दौ।
मेगिडो ने उसके खेत तथा फसलों के बारे में पूछा और उसे जल्दी ही यह विश्वास दिला दिया कि वह बहुत हीं
उपयोगी गुलाम साबित होगा। काफ़ी देर तक गुलामों के व्यापारी से भाव-ताव करने के बाद किसान ने अपने वस्त्र
के नीचे से अपना मोटा पर्स निकाला और जल्दी ही मेगिडो अपने नए मालिक के साथ आँखों से ओझल हो गया।
कुछ और लोग भी सुबह ही बिक गए। दोपहर में गोडोसो ने मुझे विश्वास में लेकर बताया कि गुलामों का
व्यापारी उकता गया था। इस स्थिति में वह रात भर इंतज़ार नहीँ करेगा, बल्कि शाम होते ही बचे हुए गुलामों को
सप्राट के आदमियों को बेच देगा। यह सुनकर मैं बहुत छरपटाने लगा। उसी समय एक मोटा और अच्छे स्वभाव
वाला व्यक्ति दीवार के पास आया। उसने पूछा कि क्या हममें से कोई बेकर (नानबाई) है।
मैने उससे पूछा, "आप जैसा अच्छा बेकर किसी दूसरे घटिया बेकर को क्यों खोज रहा है ? व्या मेरी तरह के
किसी इच्छुक युवक को अपनी कला सिखाना ज़्यादा आसान नहीं होगा ? मेरी तरफ़ देखें, मैं युवा हैँ, शक्तिशाली
हूँ और मुझे काम करना पसंद है। मुझे एक मौक़ा तो दें, मैं आपके लिए धन कमान का सर्वश्रेष्ठ प्रयास करँगा। "
वह मेरी इच्छा से बहुत प्रभावित हुआ और गुलामों के व्यापारी के साथ सौदेबाज़ी करने लगा। हालाँकि
व्यापारी ने मेरी तरफ़ पहले कभी ध्यान नहीं दिया था, परंतु इस समय वह मेरी योग्यताओं, मेरी अच्छी सेहत और मेरे
अच्छे स्वभाव की तारीफ़ों के पुल बाँध रहा था। मुझे लगा, जैसे मैं कोई मोटा बैल ह, जिसे किसी क्रसाई के हाथों
बेचा जा रहा हो। आखिरकार जब सौदा पूरा हो गया, तो मुझे बहुत खुशी हुई। मैं अपने नए मालिक के साथ चल
दिया और यह सोचने लगा कि मैं बैबिलॉन का सबसे खुशक्रिम्मत आदमी हूँ।
मेरा नया घर मुझे काफ़ी पसंद आया। मेरे मालिक नानानेद ने मुझे सिखाया कि अहाते में रखी जौ को
पत्थर की सिल पर कैसे पौसना है, ओवन में आग कैसे जलाना है और फिर शहद वाले केक के लिए तिल को
बहुत बारीक कैसे पीसना है। मेरा बिस्तर अनाज के भंडार वाले शेड में लगा था। यहाँ पर एक बूढ़ी गुलाम महिला
'हाउसकीपर थी। स्वास्ति नाम की इस महिला ने मुझे अच्छी तरह खाना खिलाया और जब मैते भारी कामों में उसकी
मदद की, तो वह खुश हो गई।
मैं यही अवसर तो चाहता था, ताकि मैं अपने मालिक की नज़रो में मूल्यवान बन सकूँ। मैं आशा कर रहा था
कि स्वतंत्रता हासिल करने का कोई न कौई रास्ता निकल आएगा।
मैने नानानेद से कहा कि वह मुझे सिखाए कि आटे को कैसे गूँथा जाता है और बेकिंग कैसे की जाती है। उसने
मुझे यह सिखा दिया और वह मेरे सीखने की इच्छा से बहुत खुश हुआ। बाद में जब मैं इस काम को अच्छी तरह
कणे लगा, तो मैंने उससे कहा कि वह मुझे शहद के केक बनाना भी सिखा दे। जल्दी ही मै बेकिंग का सारा काम
कसे लगा। मेरे मालिक को अब पूरा आराम मिल गया था। वे आलस की जिंदगी से बहुत खुश थे, परंत स्वास्ति ने
अप्रसनता में अपना सिर हलाया, “इंसान के पास कोई काम न होना बुरी बात है।”
मैंने महसूस किया कि अब मुझे कोई ऐसा रास्ता खोजना था, जिससे मैं अपनी स्वतंत्रता ख़रीदले के लिए कुछ
सिक्के कमा सकूँ। बेकिंग का काम दोपहर तक खत्म हो जाता था। मैंने सोचा कि अगर मैं दोपहर के बाद कुछ
कमाई करूँ और उसे अपने मालिक के साथ बाँट लूँ, तो नानानेद राज़ी हो जाएँगे। फिर मेरै मन में यह विचार आया,
क्यों न शहद के केक ज़्यादा बना लूँ और उन्हें शहर की सड़कों पर भूखे लोगों को बेचूँ ?
“मैंने नानानेद को यह विचार इस तरीके से बताया, “दोपहर तक मेरा बेकिंग का काम ख़त्म हो जाता है।
आगर मैं उके बाद आपके लिए धन कमा सकूँ, तो क्या आप मेरी आमदनी का कुछ हिस्सा मुझे द देंगे? मैं चाहता
हुँ कि मेरे पास भी कुछ पैसा रहे, जिसकी ज़रुरत हर इंसान को अपनी इच्छाओं और ज़रूरतों के लिए होती है?"
क्यों नहीं, क्यों नहीं,” उसने स्वीकार किया। जब मैंने उसे अपनी योजना बताई कि मैं बाज़ार में शहद के केक
बेचने के बारे में सोच रहा हँ, तो वह बहुत खुश हुआ। उसने सुझाव दिया, “हम यह कर सकते हैं। तुम एक पेनी में
दो केक बेचना। जितनी कमाई होगौ, उसमें से आधी तो आरे, शहद और ईंधन की लकड़ी के खर्च के रूप मं मैं ले
लूँगा। बाक़्ी बची आधी कमाई में से आधा मेरा और आधा तुम्हारा होगा।"
मैं उसके इस उदार प्रस्ताव से बहुत खुश हुआ कि मुझे बिक्री का चौथाई हिस्सा मिलेगा। उस रात मैने देर तक
काम करके एक ट्रे बनाई, ताकि मैं उस पर केक रख सकूँ। । नानानेद ने मुझे अपने पुराने कपड़े दे दिए, ताकि मेरा
लिया ठीक दिखे। स्वास्ति ने मालिक के कपड़ों पर पैबंद लगाकर उन्हें धोकर साफ़ कर दिया।
अगले दिन मैंने शहद के ज़्यादा केक बनाए। मैंने सोचा, ट्रे पर रखे हुए भूरे केक देखकर लोगों का मन ललचा
जाएगा। मैं सड़क पर जाकर जोर-ज़ोर से अपने केकों के बा मं चिल्लाने लगा। पहले तो किसी ने भी रुचि नहीँ
दिखाई और मैं हताश हो गया। बहरहाल मैं जुटा रहा। बाद में जब दोपहर को लोगों को भूख लगी, तो केक धडधड
बिकने लगे और जल्दी ही मेरी ट्रे ख़ाली हो गई।
नानानेद मेरी सफलता से बहुत खुश हुआ और उसने खुशी-खुशी मुझे मेरी कमाई का चौथा हिस्सा दे दिया।
मैं धन का स्वामी बनकर आनंदित था। मेगिडो सही था, जिसने कहा था कि मालिक अपने गुलामों के अच्छे काम
की प्रशंसा करता है। मैं अपनी सफलता पर इतना रोमांचित था कि उस रात को मुझे नींद नहीँ आई। मैं यह अनुमान
लगा रहा था कि मैं एक साल में कितना कमा सकता हूँ और अपनौ स्वतंत्रता खरीदने में मुझे कितने साल लगेंगे।
जब मैं हर दिन अपनी टे मं केक रखकर बेचने लगा, तो जल्दी ही मेरे नियमित ग्राहक बन गए। उनमें से एक
तुम्हारे दादा अर्द गुला थे। वे क्रालीनों के व्यापारी थे, जिन्हें वे गृहिणियों को बेचते थे। वे शहर के एक कोने से
दूसरे कोने तक जाते थे। उनके साथ-साथ एक गधा चलता था, जिस पर कालौनों का ऊँचा देर रखा रहता था।
इसकी देखभाल के लिए उनके साथ एक अश्वेत गुलाम भी रहता था। वे दो केक अपने लिए ख़रीदते थे और दो
अपने गुलाम के लिए। उन्हें खाते समय वे मुझसे बातें करने के लिए हमेशा ठहर जाते थे।
तुम्हारे दादाजी ने एक दित मुझसे एक ऐसी बात कही, जो मुझे हमेशा याद रहेगी। “मुझे तुम्हारे केक पसंद
हैं, परंतु मुझे तुम्हारी मेहनत इससे भी ज़्यादा पसंद है, जिसके साथ तुम उन्हें बेचते हो। अगर तुम इसी तरह से काम
'करते रहोगे, तो तुम सफलता की राह पर बहुत आगे तक जाओगे। "
“हादान गुला, तुम यह बात नहाँ समझ सकते कि प्रोत्साहन के ये शब्द उस गुलाम लड़के के लिए क्या मायने
रखते होंगे, जो एक बड़े शहर में अपनी पूरी ताक़त से अकेला संघर्ष कर रहा था, ताकि अपनी गुलामी से बाहर
निकलने का कोई तरीक़ा खोज सके?
महीने गुज़रते गए और मेरे पर्स में सिक्के इकट्ठे होते गए। मेरे बेल्ट में लगे पर्स का वज़न बढ़ता गया। जैसा
मेगिडो ने कहा था, काम मेरा सबमे अच्छा मित्र साबित हो रहा था। मैं बहुत खुश था, परंतु स्वास्ति चिंतित थी।
उसने कहा, “मैं मालिक की वजह से चिंतित हैं। मुझे इर है कि वे अपना ज़्यादातर समय जुए की टेबलों पर
बिताते हैं। "
'एक दिन मुझे मेरा मित्र मेगिडो सड़क पर मिल गया, जिससे मिलकर मुझे बहुत खुशी हुईं। वह तीन गधों पर
सब्ज़ियाँ लादकर बाज़ार ले जा रहा था। उसने कहा, “मैं बहुत अच्छी तरह से हुँ। मेरै मालिक ने मेरै अच्छे काम
से खुश होकर मुझे प्रभारी बना दिया है। वह सामान बेचने के मामले में भी मुझ पर भरोसा करता है और उसने मेरे
परिवार को भी बुलवा भेजा है। काम विपति से उबे में मेरी मदद कर रहा है। किसी दिन यह स्वतंत्रता खरीदने में
भी मेरी मदद करेगा और भविष्य में मैं अपने खेत का मालिक बन जाऊँगा। ”
सम्रय गुज़रता गया । नानानेद मेंरे लौटने का बेसब्री से इंतज़ार करने लगा। जब मैं लौटता था, तो वह इंतज़ार
करता मिलता था, ताकि वह उत्सुकता से हमारे धन को गिने और बाँट ले। वह मुझे नए बाज़ार तलाशने के लिए
प्रेरित करता था, ताकि मैं ज़्यादा केक बेच सकूँ।
अक्सर मैं शहर के दरवाज़े के बाहर भी जाता था, ताकि दीवार बनाने वाले गुलामों के ठेकेदारों को अपने
केक बेच सकूँ। हालाँकि मुझे वह अप्रिय दृश्य बिलकुल पसंद नहीं था, परंतु ठेकेदार बहुत उदारता से खरीदते थे।
'एक दिन मै जैबेदो को देखकर हैरान हुआ, जो ईटों को अपनी बास्केट में भरने के लिए क्रतार में लगा था। वह बहुत
दुबला हो गया था, उसके कंधे झुक गए थे और उसकी कमर पर चावुकों के घाव और फोड़े साफ़ नज़र आ रहे थे।
उस पर तरस खाकर मैने उसे एक केक दे दिया । वह भूखे जानवर की तरह केक को चबा गया। उसकी आँखों में
लोभ की चमक देखकर मुझे डर लगा कि कहीँ वह मेरी पूरी ट्रे न छीन ले, इसलिए मैं वहाँ से भाग खड़ा हुआ।
अर्द गुला ने एक दित मुझसे पूछा, “तुम इतनी कड़ी मेहनत क्यों करते हो?” कया तुम्हें याद है, यही सवाल
आज तुमने मुझसे पूछा था? मैने उह बताया कि मेगिडो ने काम के बारे में क्या कहा था और यह भी कि काम मेरा
सबसे अच्छा मित्र साबित हो रहा था। मैंने उरे र्व से सिक्कों से भरा अपना पर्स बताया और यह कहा कि मैं अपनी
स्वतंत्रता खरीदे के लिए उहें बचा रहा था।
उन्होंने पूछा, "स्वतंत्र होने के बाद तुम क्या करोगे?"
मैंने जवाब दिया, "मैं व्यापारी बनना चाहता हूँ। "
इस पर उन्होंने मुझे विश्वास में लिया। उन्होंने मुझे एक ऐसी बात बताई, जो मैं सपने में भी नहीं सोच सकता
था। उन्होंने कहा, "तुम शायद यह नहीं जानते हो कि मैं भी गुलाम है, परंतु मैं अपने मालिक का पार्टनर भी हुँ।"
हादान गुला ने कहा, “रुक जाओ। मैं अपने दादाजी का अपमान करने वाली झूठी बातें नहीं सुनूँगा। वे गुलाम
नहीं थे।* उसकी आँखें गुस्से से दहकने लगी थीं।
शारू नादा शांत रहा। “मैं उनका सम्मान करता हूँ, क्याँकि वे अपने दुर्भाग्य से बाहर निकलकर ऊपर उठे और
दमिश्क के अग्रणी नागरिक बने। क्या तुभ, उनके पोते, भी उसी मिट्टी के बने हो ? क्या तुम मर्द हो, जो सच्चे तथ्यों
का सामना कर सके या तुम झूठे भ्रम में जीना पसंद करते हो?”
हादान गुला तनकर बैठ गया। गहरी भावना से ङँधी आवाज़ में उसने जवाब दिया, “मेरे दादाजी से सब प्रेम
करते थे। उन्होंने अनगिनत अच्छे काम किए थे। जब अकाल आया, तो उलो मिस में अनाज खरीदने के लिए धन
दिया और उनका कारवां इसे दमिश्क लेकर आया। उलोने सारा अनाज लोगों मं बाट दिया, ताकि कोई भूखा न
मरे। अब आप कहते हैं कि वे बैबिलाँन में एक अपमानित गुलाम थे। "
शारू नादा ने जवाब दिया, "अगर वे बैबिलँन में गुलाम ही बने रहते, तो उन्हें अपमानित कहना उचित होता।
परंतु जब वे अपने प्रयासों से दमिश्क के महान व्यक्ति बन गए, तो दरअसल देवताओं ने उनके दुर्भाग्यों को माफ़ कर
दिया और उनका सम्मान किया। "
शारु नादा ने आगे कहा, “मुझे यह बताने के बाद कि वे एक गुलाम हैं, उन्होंने यह कहा कि वे स्वतंत्र होने
के लिए बेताब थे। अब उनके पास अपनी स्वतंत्रता खरीदने के लिए पर्याप्त धन आ गया था, परंतु वे इस दुविधा
में थे कि क्या उन्हें ऐसा करना चाहिए। उन दिनों उनकी बिक्री पहले जितनी अच्छी नहीं हो रही थी और उन्हें अपने
मालिक का सहारा छोड़ने में डर लग रहा था। "
मैंने उनके अनिर्णय का विरोध किया, “अपने मालिक से बँधकर न रहें। एक बार फिर से स्वतंत्र व्यक्ति बनने
की भावना का अनुभव करें। स्वतंत्र व्यक्तिं की तरह काम करें और सफल बनें! यह फैसला करें कि आप क्या
हासिल कसना चाहते हैं और फिर काम करके आप उसे हासिल कर लेंगे। " वे यह कहकर अपने रास्ते चले गए कि
मैंने उनकी कायरता पर उन्हें लज्जित कर दिया था और इससे उले खुशी हुई थी।*
'एक दिन मैं एक बार फिर शहर के द्वार के बाहर गया। मुझे यह देखकर हैरानी हई कि वहाँ पर भारी भीड़
जमा थी। जब मैने एक व्यक्ति से इसका कारण पूछा, तो उसने जवाब दिया, “क्या तुमने सुना नहीँ है ? एक भगोड़े
गुलाम ने सब्नाट के सैनिक को मार डाला था। उसे पकड़कर सज़ा सुना दी गई है और आज उसे उसके अपराध के
लिए कोड़े मारकर मार डाला जाएगा। सम्राट स्वयं यहाँ पर आने वाले हैं।”
कोड़े मारने वाले स्थान के आस-पास इतनी ज़्यादा भीड़ थी कि मैं घबरा गया। मुझे डर था कि आगर मै वहाँ
गया, तो मेरी शहद के केक वाली ट्रे गिर जाएगी। इसलिए मैं एक अधूरी दीवार पर चढ़ गया, ताकि लोगों के सिर
के ऊपर से नज़ारा देख सकूँ । मैंने वहाँ पर सप्राट को देखा, जो अपने सुनहरे रथ पर सवार थे। इससे पहले मैंने कभी
इतना वैभव नहीं देखा था - सुंदर वस्त्र, सुनहरे कपड़े और मख़मल के पर्दे।
मैं कोडं की मार नहीं देख पाया, हालाँकि मुझे बेचारे गुलाम की चीखें सुनाई दे रही थीँ। मैने सोचा कि
हमारे आकर्षक सम्राट जितना उदार व्यक्ति इतने कष्ट को देखना कैसे सहन कर सकता है, परंतु जब मैने उनहें अपने
सामतो के साथ हँसी-मज़ाक़् करते देखा, तो मैं जान गया कि वे कूर थे और पैं यह भी समझ गया कि दीवार बनाने
में गुलाम से ऐसे अमानवीय काम क्यों करवाए जाते हैं।
गुलाम के मर जाने के बाद उसका शरीर एक खंभे पर रस्सी से लटका दिया गया, ताकि सब उसे देख सकें।
भीड़ छँटने के बाद मैं क़रीब गया। उसके बाल भरे सीने पर मैंने दो साँप गुदे देखे। वह और कोई नहीं, बल्कि मेरा
परिचित समुद्री डाकू था।
अगली बार जब मैं अरद गुला से मिला, तो वे बदले हुए इंसान थे। उत्साह मरे स्वर में उन्होंने मुझसे कहा,
“देखो, जिस गुलाम को तुम जानते थे, वह अब स्वतंत्र इंसान बन चुका है। तुम्हारे शब्दों में जादू था। मेरी बिक्री और
मुनाफ़ा अब बढ़ने लगे हैं। मेरी पत्नी बहुत खुश है। वह मेरै मालिक की भतीजी थी और एक स्वतंत्र महिला थी।
उसकी बहुत इच्छा है कि हम किसी अजनबी शहर में चले जाएँ, जहाँ किसी को भी मेरी गुलामी के बारे में जानकारी
न हो, ताकि हमारे बच्चों को अपने पिता के दुर्भाग्य के लिए ताने न झेलना पड़ें। काम मैरा सबसे बड़ा सहयोगी बन
चुका है। इसने मुझे आत्मविश्वास दिलाया है और मेरी बेचने की क्षमता को बढ़ाया है। "
मैं बहुत ख़ुश हुआ कि उनके दिए प्रोत्साहन के बदले में मैंने थोड़ा सा ही सही, योगदान तो दिया था।
'एक शाम को स्वास्ति बहुत दुखी अंदाज़ मे मेरे पास आई और बोली, “मालिक संकट मं हं। मुझे उनकी चिंता
हो रही है। कुछ महीने पहले वे जुए की टेबल पर बहुत ज़्यादा रक्रम हार गए थे। वे किसान को अनाज या शहद के
पैसे नहीं दे हे हैं। वे सुदखोर का ब्याज नहीं चुका रहे हैं। ये लोग गुस्सा हैं और उन्होंने मालिक को धमकी भी दी.
a
मैंने बिना सोचे-समझे कहा, “हम अपने मालिक की मूर्खता पर चिंता क्यों करें ? हम उनके रखवाले नहीं हैं। "
*मूर्ख युवक, तुम समझ नहीं रहे हो। उन्होंने सूदखोर से जो धन लिया था, उसके बदले में उन्होंने तुम्हें बंधक
बना दिया था। क्रानून के मुताबिक वह सूदखोर तुम पर दावा कर सकता है और तुम्हें बेच सकता है। मैं नहीं जानती
कि मैं क्या कहै। वे अच्छे मालिक हैं। क्यों ? आख़िर उन पर ऐसी मुश्किल क्यों आई?”
स्वास्ति के डर निराधार नहीं थे। जब मैं अगली सुबह केक बना रहा था, तो सूदखोर सासी नाम के एक आदमी
के साथ वहाँ आया। उस आदमी ने मुझे देखकर कहा कि मैं ठीक हूँ।
सूदखोर ने मेरे मालिक के लौटने का इंतज़ार भी नहीँ किया। इसके बजाय उसने स्वास्ति से कहा कि वह
मालिक को बता दे कि वह मुझे ले गया है। मेरे पास सिर्फ़ तन के कपड़े और मेे बेल्ट में बंधा सिक्कों से भरा पर्स
था। केक अधूरे छोड़कर मैं उसके साथ चल दिया।
“मेरी सारी आशाएँ उसी तरह उजड़ गई, जिस तरह तूफ़ान किसी पेड़ को जंगल से उखाड़कर उफनते समुद्र में
डाल देता है। एक बार फिर जुए और शराब ने मेरे जीवन में संकट उत्पन्न कर दिया था।"
सासी एक रूखा व्यक्ति था। जब वह मुझे शहर के पार ले गया, तो मैने उसे बताया कि मैने नानानेद के लिए
कितना अच्छा काम किया था और मैं उसके लिए भी अच्छा काम करने की कोशिश करुँगा। उसके जवाब में कोई
प्रोत्साहन नहीं था :
“मुझे यह काम पसंद नहीं है। मेंर मालिक को भी यह पसंद नहीं है। मालिक को सप्राट ने कहा कि वह बड़ी
नहर का एक हिस्सा बनाने के लिए मुझे भेजे। मालिक ने मुझसे कहा कि मैं ढेर सारे गुलाम ख़रीदूँ, कड़ी मेहनत करूँ
और काम जल्दी ख़त्म कहँ। बाप रे, कोई आदमी इतने बड़े काम को जल्दी ख़तम कैसे कर सकता है?”
कल्पना करो, हर तरफ़ रेगिस्तान हो, एक पेड़ तक न हो, सिर्फ़ छोटी झाड़ियाँ हों। सूरज इतनी तेज़ी से चमक
'रहा हो कि हमारे पीपे का पानी इतना गर्म हो जाता था कि हम उसे पी नहीं सकते थे। फिर कल्पना करो, आदमियों
की क्रतारेँ लगी हों, जो सुबह से रात तक गहराई में जा रही हों और मिट्टी की भारी बाल्टियाँ धूल भरी गर्म पाडंडियों
से ऊपर ला रही हों। भोजन एक तरह की नाली में दिया जाता था, जिसमें से हम सुअरों की तरह खाते थे। हमारे
पासन तो तंबू थे, न ही बिस्तर। मैने खुद को इस तरह की स्थिति में पाया। मैने अपने पर्स को ज़मीन में गाड़कर छुपा
'दिया और सोचने लगा कि क्या मैं इसे कभी खोदकर दुबारा निकाल पाऊँगा।
पहले तो मैने उत्साह से काम किया, परंतु कई महीने गुज़सने के बाद मेरा मनोबल टूटने लगा। फिर बुखार ने
मेरे थके शरीर को गिरफ्त में ले लिया। मेरी भूख ख़त्म हो गईं और मुझसे मटन या सब्नियाँ नहीं खाई जाती थाँ।
रात को मैं जागता रहता था और दुखी होता रहता था।
दुखी मन से मैने सोचा कि कहीं ज़ैबेदो की योजना ही तो सबसे अच्छी नहीँ थी कि काम को टालो और अपनी
पीठ को टूटने से बचाओ। फिर मुझे याद आया कि मैंने उसे पिछली बार किस हाल में देखा था। मैं समझ गया कि
उसकी योजना अच्छी नहीं थी।
'फिर मुझे गुस्सैल समुद्री डाकू याद आया और मैने सोचा कि लड़ने और मार डालने का तरीक्रा भी इतना बुरा
नहीं था। परंतु फिर मुझे उसकी खून से लथपथ देह याद आ गई और मैं समझ गया कि उसकी योजना भी बकवास
थी।
फिर मुझे मैगिडो की आखिरी झलक याद आई। कड़ी मेहनत के कारण उसके हाथों में छाले पड़ गए थे, परंतु
उसका दिल हल्का था और उसके चेहरे पर ख़ुशी थी। उसकी योजना सबसे अच्छी थी।
बहरहाल मैं भी मेगिडो की तरह मेहनत करना चाहता था; मेगिडो मुझसे ज़्यादा कड़ी मेहनत नहीं कर सकता
था। फिर काम की बदौलत मुझे ख़ुशी और सफलता क्यों नहीँ मिलौ ? मेगिडों को खुशी काम की बदौलत मिली
थी या फिर खुशी और सफलता सिर्फ़ देवताओं की इच्छा पर निर्भर करती थी? ? क्या मैं पूरी ज़िंदगी मेहनत करने
के बाद भी अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाऊँगा? क्या मुझे कभी खुशी और सफलता नहीं मिलेगौ ? ये सारे सवाल
मेरै दिमाग में गूजते रहे और मेरे पास इनका कोई जवाब नहीं था। दरअसल मैं बहुत दुविधा में था।
कई दिनों बाद जब ऐसा लगा कि मैं अपनी सहनशक्ति के छोर पर पहुँच गया था और मेरे सवालों का कोई
जवाब नहीं मिल रहा था, तो सासी ने मुझे बुलवाया। एक संदेशवाहक मेरे मालिक के पास से मुझे बैबिलॉन ले
जाने के लिए आया था। मैंने अपने क्रीमती पर्स को ज़मीन से खोदकर बाहर निकाला, अपने तन पर अपने फटे कपड़े
डाले और उस संदेशवाहक के साथ चल दिया।
यात्रा के दौरान मेरे बुखार से तपते मस्तिष्क में यह विचार आया कि तूफ़ान मुझे उठाकर इधर से उधर पटक
रहा था। मेरा जीवन अपने पैतृक क़स्बे हारू के गीत के विचित्र शब्दों के अनुरुप था:
बबंडर की तरह इंसान को घुमाते हुए,
तूफ़ान की तरह उसे उड़ाते हुए
जिसकी राह का कोई अनुसरण नहीं कर सकता,
जिसके भाग्य की कोई भविष्यवाणी
नहीं कर सकता।
क्या मेरी क्रिस्मत में इसी तरह सज़ा पाना लिखा था, न जाने किन पापों की? न जाने कौन सी निराशाएँ और
दुख मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे ?
जब हम मालिक के घर के अहाते में पहुँच, तो मेरे आश्चर्य की कल्पना करें कि वहाँ मैने अद गुला को अपना
इंतज़ार करते देखा। उन्होंने नीचे उतरने में मेरी मदद की और मुझे इस तरह गले लगाया, जैसे उन्हें जका बिछड़ा
हुआ भाई मिल गया हो।
अंदर जाते समय मैं उनके पीछे-पीछे चलने लगा, जैसे गुलाम को मालिक के पीछे चलना चाहिए, परंतु
उन्होंने इसकी इजाज़त नहीं दी। उन्होंने मेरी कमर में हाथ डालकर कहा, “मैंने तुम्हें हर जगह ढूँढ़ा। जब मेरी आशा
ख़त्म हो गई, तब कहीं जाकर स्वास्ति से मेरी मुलाक़ात हुई। उसने मुझे उस सूदखबोर के बारे में बताया, जिसने मुझे
तुम्हारे मालिक तक पहुँचाया। उसने बहुत ज़्यादा क्रीमत माँगी और मैंने बहुत महँगा सौदा किया, परंतु तुम सचमुच
बहुत मूल्यवान हो। तुम्हरे जीवनदर्शन और तुम्हारी मेहनत ने ही मुझे इस सफलता तक पहुँचने की प्रेरणा दी थी। "
मैंने बीच में कहा, “मेरा नहीं, मेगिडो का जीवनदर्शन। ”
“मेगिडो का भी और तुम्हारा भी। तुम दोनों को धन्यवाद। हम दमिश््क जा रहे हैं और मैं तुम्हें पना पार्टनर
बनाना चाहता हूँ। एक मिनट मे तुम स्वतंत्र व्यक्ति बन जाओगे!” इतना कहकर उन्होंने अपने वस्त्र के नीचे से एक
मृदापत्र निकाला, जो मेरी गुलामी का दस्तावेज़ था। इसे उन्होने अपने सिर के ऊपर उठाया और जमकर पत्थरों पर
पटक दिया। इसके सैकड़ं टुकड़े हो गए। खुशी से वे उन टुकड़ों पर तब तक कूदते रहे, जब तक कि वे धूल नहीँ बन
गए।”
“मेरी आँखो मं कृतज्ञता के ऑसू छलक आए। मैं जानता था कि मैं बैबिलाँन का सबसे खुशक्रिस्मत आदमी
om"
“इस कहानी में तुमने देखा कि मेरी सबसे बड़ी विपत्ति में भी काम मेरा सबसे अच्छा मित्र साबित हुआ। काम
करने की मेरी इच्छा की बदौलत ही मैं दीवारों पर काम करे वाले गुलामों की गिनती में आने से बचा। मेरे काम ने
ही तुप्हारे दादाजी को प्रभावित किया। इसी वजह से उन्होंने मुझे अपना पार्टनर बनाया। "
'फिर हादान गुला ने पूछा, “क्या काम ही मेरे दादाजी की दौलत का रहस्य था ?”
शारू नादा ने जवाब दिया, “यह उनकी सफलता का इकलौता रहस्य था। तुम्हारे दादाजी काम करे से प्रेम
करते थे। देवताओं ने उनकी मेहनत से खुश होकर उं उदारतापूर्वक पुरस्कार दिया।"
हादान गुला ने सोचते हुए कहा, “मैं अब देख सकता हूँ। काम ने उनके बहुत से मित्र बनाए, जो उनकी मेहनत
और इससे मिलने वाली सफलता से प्रभावित थे। काम ने उन्हें दमिश्क में सम्मान दिलाया। काम ने ही उ्हें वे सारी
चौजें दिलाईं, जो मैं चाहता हूँ। और मैं सोचता था कि काम सिर्फ़ गुलाम करते हैं। "
शारू नादा ने कहा, “जिंदगी में बहुत से आनंद हैं, जिनका उपभोग आदमी को करना चाहिए। हर आनंद की
अपनी जगह है। मैं ख़ुश हूँ कि काम सिर्फ नौकरों या गुलामों के लिए आरक्षित नहीं है। अगर ऐसा होता, तो मैं अपने
सबसे बड़े आनंद से महरुम रह जाता। मैं बहुत सी चीज़ों का आनंद लेता हैँ, परंतु काम की जगह कोई और चीज़
नहीं ले सकती।"
शारू नादा और हादान गुला ऊँची दीवारों की छाया से निकलकर बैबिलॉन के काँसे के बढ़े द्वार से प्रविष्ट होने
'लगे। उनके पास आते ही द्वार के रक्षक सावधान की मुद्रा में आ गए और उन्होंने एक सम्मानित नागरिक को सलाम
किया। शारू नादा ने सिर तानकर अपने लंबे कारवाँ को द्वार सै प्रविष्ट कराया और शहर की सड़कों पर ले गया।
हादान गुला ने उसमें विश्वास जताते हुए कहा, “मैं हमेशा अपने दादाजी की तरह बनना चाहता था। परंतु
पहले कभी मुझे यह पता ही नहीँ था कि वे किस तरह के इंसान थे। आज आपने मुझे यह बता दिया है। अब मै
समझ गया हूँ और मैं उनकी पहले से ज्यादा प्रशंसा करता हूँ। अब मेरा संकल्प बढ़ चुका है और मैने यह ठान लिया
है कि मैं उनके जैसा बनूँगा। मुझे डर है कि मैं कभी आपका ऋण नहीँ चुका पाऊँगा, क्योकि आपने उनकी सफलता
की सच्ची कुंजी मुझे सौप दी है। आज से ही मैं उनकी कुंजी का प्रयोग करूँगा । मै उतनी ही छोरी शुरुआत करँगा,
जितनी उन्होंने की थी, जो मेरी हैसियत को ज़्यादा सच्चाई से बताएगी, जो रत्नों और अच्छे वस्त्रों से पता नहीं चलती
a"
यह कहकर हादान गुला ने अपने कानों से रत्नों के छल्ले और अपनी उँगलियों से अँगूठियाँ उतार दीं। फिर
अपने घोड़े की रास छोइते हुए वह कारवाँ के लीडर के पीछे-पौछे चलने लगा।
$4 +
< ("प्राचीन बैबिलॉन के मशहूर काम गुलामों के श्रम से हुए थे, जिनमें इसकी दीवारें, मंदिर, हैंगिंग गार्डन और बड़ी
नह शामिल हैं। ज्यादातर गुलाम युद्धबंदी थे, इससे यह समझना आसान है कि उनके साथ अमानवीय व्यवहार (प्राचीन बैबिलॉन में गुलामों की परंपराएँ कानून द्वारा निर्धारित थीं, हालाँकि आज हमें वे असंगत प्रतीत होंगी।
क्यों किया जाता था। इन मज़दूरों में बैबिलॉन और इसके प्रांतों के कई नागरिक भी शामिल थे, जिन्हें अपराधों या. उदाहरण के लिए, गुलाम किसी भी तरह की जायदाद का स्वामी बन सकता था। वह अन्य गुलामो का स्वामी भी
आर्थिक मुश्किलों के कारण गुलाम के रूप में बेच दिया गया था। यह एक आम परंपरा थी, जिसमें लोग अपनी बन सकता था, जिन पर उसके मालिक का कोई अधिकार नहीं होता था। गुलाम स्वतंत्र लोगों के साथ विवाह कर
पत्नियों या बच्चों को कर्ज, क़ानूनी निर्णय या अन्य एहसानों के बदले बंधक बना देते थे। जब वादा पूरा नहीं होता. सकते थे। स्वतंत्र माताओं के बच्चे भी स्वतंत्र होते थे। शहर के अधिकांश व्यापारी गुलाम थे। उनमें से कई अपने
था, तो बंधक बने लोगों को गुलामों की तरह बेच दिया जाता था।) मालिकों के पार्टनर थे और अमीर भी थे।)
बैबिलॉन का ऐतिहासिक वर्णन
तिहास के पनों में और कोई शहर बैबिलॉन जितना वैभवशाली | नहीं है। इसका नाम सुनते ही हमारे सामने
दौलत और वैभव की तस्वीर खिंच जाती है। यहाँ सोने और रनर का भरपूर खज़ाना था। स्वाभाविक है कि
यह सुनकर हम सोचेंगे कि शायद यह समृद्ध शहर किसी उष्णकटिबंधीय भूमि पर स्थित होगा, जहाँ जंगलों और
खदानों जैसे प्रचुर प्राकृतिक संसाधन होंगे। परंतु यह सच नहं है। दरअसल यह युफ्रेटस नदी के किनारे पर स्थित
था। यह एक सपाट और शुष्क घारी में स्थित था। यहाँ न तो जंगल थे, न ही खदानें। यहाँ तो इमारत बनाने के लिए
पत्थर तक नहीं थे। यह प्राकृतिक व्यापारिक मार्ग पर भी स्थित नहीं था। बारिश इतनी कम होती थी कि फसलें
उगाना संभव नहीँ था।
बैबिलॉन एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो हमें सिखाता है कि उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग करते हुए मानवीय
क्षमता से महान लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। इस भव्य शहर के सभी संसाधन मनुष्यं द्वारा विकसित किए गए
थे। इसकी समृद्धि इसके नागरिकों की मेहनत का परिणाम थी।
बैबिलाँन के पास सिर्फ द प्राकृतिक संसाधन थे = उर्वर भूमि और नदी का पानी। बैबिलाँन के इंजीनियरों ने
इंजीनियरिंग की एक महान योजना बनाकर बाँधों और बड़ी नहरं के द्वार नदी के पानी की दिशा बदल दी। ये नहँ
शुष्क घाटी में दूर तक गई और उर्वर भूमि को जीवनदायी पानी से सिंचित किया। यह इतिहास में इंजीनियरिंग के
सबसे पहले कारनामों में से एक था। इस सिंचाई तंत्र के परिणामस्वरूप अभूतपूर्व और जबर्दस्त फसल पैदा होने
लगी।
सौभाग्य से बैबिलॉन के सप्राटों ने साप्राज्य के विस्तार और युद्ध करके लूटपाट कले में ज़्यादा रुचि नहीं ली।
हालाँकि यहाँ के शासकों ने कई युद्ध लड़, परंतु उनमें से अधिकांश स्थानीय थे या दूसरे देशों के महत्वाकांक्षी
विजेताओं के खिलाफ़ थे, जो बैबिलॉन की अथाह संपत्ति पर नज़रें गाए हुए थे। बैबिलान के उत्कृष्ट शासक
इतिहास में अपनी बुद्धि, आर्थिक नियोजन और न्याय के लिए विख्यात हैं। बैबिलाँन का कोई सम्राट इतना
महत्वाकांक्षी नहीँ था कि वह पूरी दुनिया को जीतने का ख्वाब देखे।
शहर के रुप में बैबिलोंन का अस्तित्व अब नहीं है। जिन मानवीय शक्तियों ने हज़ारों सालों तक शहर को
क्रायम रखा था और इसका विकास किया था, उनके हटने के बाद शहर जल्दी ही वीरान खंडहर में बदल गया। इस
शहर का स्थान एशिया मे सवज़ नहर के छह सौ मौल पूर्व में और पर्शियन खाडी के उत्त में है। इसका अक्षांश
लगभग 30 डिग्री है, जो यूमा, एरिज़ोना का अक्षांश भी है। बैबिलान का मौसम भौ इस अमेरिकी शहर की तरह ही
गर्म और सूखा था।
यूफ्रेटस की घाटी, जो कभी आबाद और सिंचित थी, जहाँ कभी भरपूर फसल पैदा होतौ थी, आज बर्बाद और
वौरान हो चुकी है। रेतीली हवाएँ इतनी तेज़ी से बहती हैं कि घास और रेगिस्तानी झुरमुट भी बहुत कम दिखाई देते
हैं। उपजाऊ खेत, विशाल शहर और सामान के लंबे कारवाँ अब अतीत में दफ़न हो चुके हैं। अब यहाँ पर सिर्फ़
अरबों के कुछ घुमंतू दल ही रहते हैं, जो छोटे रेवड़ं को पालकर अपना जीवनयापन करते हैं। यह स्थिति लगभग दो
हज़ार साल से है।
इस घाटी में मिट्टी की कुछ पहाड़ियाँ भी हैं। सदियों से यात्री उन्हें पहाड़ियाँ ही मानते थे। आखिरकार
पुरातत्वविदों का ध्यान उनकी और आकर्षित हुआ, क्योंकि कभी-कभार आने वाले बारिश के तूफ़ानों में यहाँ पर
बर्तनों और ईटों के टूटे हए टुकड़े मिले। यूरोपीय और अमेरिकी संग्रहालयों ने इस अभियान के लिए धन दिया। इन
पहाड़ियों पर खुदाई का काम इस आशा में शुरु हुआ कि शायद यहाँ पर कुछ मिल जाए। खुदाई करे से जल्दी
ही यह साबित हो गया कि ये दरअसल पहाड़ियाँ नहीं, बल्कि प्राचीन शहर थे। उन्हें शहरों के मक्रबरे भी कहा जा
सकता है।
बैबिलॉन भी इनमें से एक था। लगभग बीस सदियों तक हवाओं ने इस पर रेगिस्तानी धूल डाली थी। यह
मूलतः ईट का बना था, परंतु यह मिटटी में मिल चुका था। बैबिलान का अमीर शहर आज इस हाल में है। यह मिट्टी
के ढेर में बदल चुका है। जब तक इसकी सड़कों, मंदिरों और महलों के खंडहरों पर से सदियों की धूल नहीं हटाई
गई, तब तक किसी को भी इसका नाम मालूम नहीं था।
कई वैज्ञानिक मानते हैं कि बैबिलोन और इस घाटी के अन्य शहरों की सभ्यता दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता
है, जिसका निश्चित उल्लेख मिलता है। यह साबित किया जा चुका है कि यह सभ्यता लगभग 8,000 साल पुरानी
हो सकती है। इस तिथि के निर्धारण के पीछे भी एक रोचक तथ्य है। बैबिलॉन के अवशेषों में सूर्यग्रहण का एक
वर्णन मिला। आधुनिक खगोलविदों ने तत्काल उस समय की गणना कर ली, जब इस तरह का सूयंप्रहण बैबिलॉन
में दिखा होगा। इस तरह उन्होंने बैबिलॉन के कैलेंडर तथा आधुनिक कैलेंडर में एक संबंध स्थापित कर लिया।
इस तरह से अब यह साबित हो चुका है कि 8,000 साल पहले बैबिलॉनिया में रहने वाले सुमेरवासी दीवारों
से घिरे शहरा मे रहते थे। हम सिर्फ़ अनुमान ही लगा सकते हैं कि इससे पहले इन शहरों का अस्तित्व कितनी
सदियों से रहा होगा। रक्षा करने वाली दीवारों के भीतर रहने वाले ये लोग बर्बर नहीं थे। वे शिक्षित और बुद्धिमान
थे। लिखित इतिहास के अनुसार वे दुनिया के पहले इंजीनियर, पहले खगोलविद्, पहले गणितज़, पहले फ़ाइनैंसर्स
और लिपि का प्रयोग करने वाले पहले लोग थे।
सिंचाई तंत्र का उल्लेख पहले ही किया जा चुका है, जिसने शुष्क घाटी को कृषि के स्वर्ग में बदल दिया था।
इन नहरों के अवशेष अब भी मिले है, हालाँकि उनका ज्यादातर हिस्सा मिट्टी से भरा है। उनमें से कुछ का आकार
तो इतना बड़ है कि अगर उनमें पानी न हो, तो एक दर्जन घोड़े एक साथ दौड़ सकते हैं। आकार में वे कोलोरेडो और
यूटा की सबसे बड़ी नहरों से भी ज़्यादा बड़ी हैं।
घाटी की भूमि को सिंचित कसे के अलावा बैबिलाँन के इंजीनियरों ने एक और बड़ी योजना पूरी की। एक
वृहद ड्रेनेज सिस्टम द्वारा ऊने यूफ़ेटस और टिगरिस नदियों के मुहानों की दलदली ज़मीन के एक बड़े टुकड़े का
'पानी निकालकर उसे कृषि के उपयोग में ले लिया।
यूनानी यात्री और इतिहासकार हेरोडोटस ने बैबिलॉन की यात्रा उस समय की, जब यहाँ की सभ्यता शिखर
पर थी। हेरोडोटस ऐसे इकलौते बाहरी व्यक्ति हैं, जिनके द्वारा लिखा गया बैबिलॉन का वर्णन उपलब्ध है। उन्होंने
'शहर का चित्रात्मक वर्णन किया है और नागरिकों की कुछ असामान्य परंपराओं का उल्लेख भी किया है। उन्होंने
यहाँ की भूमि की उल्लेखनीय उपजाऊ क्षमता का उल्लेख किया है और इसके द्वारा उत्पन गेहूँ तथा जौ की प्रचुर
फ़ल का भी।
बैबिलॉन का वैभव घुँधला पड़ चुका है, परंतु इसका ज़ान अब भी सुरक्षित है। इसके लिए हम उनके रिकार्ड
रखने के तरीके के आमारी हैं। उस प्राचीन युग में कागज़ का आविष्कार नहीं हुआ था। इसके बजाय वे गीली मिट्टी
पर लिखते थे। पूर लिख लेने के बाद मिट्टी को आग में पकाया जाता था, ताकि वह सख्त हो जाए। आकार में ये
मृदापत्र 6 8 इंच के लगभग होते थे। उनकी मोटाई एक इंच होती थी।
लिखने में इन मृदापत्रों का उसी तरह से प्रयोग होता था, जिस तरह आज हम कागज़ का प्रयोग करते हैं। उन
पर दंतकथाएँ, कविताएँ, इतिहास, राजाज्ञा, देश के कानून, जायदाद के दस्तावेज़, परॉमिसरी नोट और यहाँ तक कि
पत्र भी लिखे जाते थे, जिन्हें संदेशवाहक दूसरे शहरों तक पहुँचाते थे। इन मृदापत्रों से हमें इन लोगों के अंतरंग और
व्यक्तिगत मामलों की जानकारी मिलती है। उदाहरण के लिए, एक मृदापत्र में एक दुकानदार का रिकॉर्ड मिलता
है। इसमें यह उल्लेख है कि एक निश्चित तारीख़ को एक प्राहक एक गाय लेकर आया और उसके बदले में उसने
सात बोर गेहूँ लिए, जिनमें से तीन बोरे वह उसी समय ले गया और बाक़ी चार बोरे वह बाद में ले जाएगा ।
शहरों के मलवे में सुरक्षित रूप से दफ़न लाखों मृदापत्र पुरातत्वविदों को मिले हैं।
बैबिलॉन का एक उल्लेखनीय आश्चर्य शहर के चारों तरफ़ की विशाल दीवारें थीं। प्राचीन लोग उन्हें मिस्र
के पिरामिडों की तरह ही “दुनिया के सात आश्चयाँ” में से एक मानते थे। महारानी सेमिरैमिकस को शहर की पहली
दीवार बनवाने का श्रेय दिया जाता है। आधुनिक खुदाई करने वालों को मूल दीवारों का कोई अवशेष नहीं मिला
है। उनकी ऊँचाई के बारे में भी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। शुरुआती लेखकों के वर्णन के आधार पर यह
अनुमान लगाया जाता है कि उनकी ऊँचाई पचास से साठ फुट के बीच होगी, जिसमेँ बाहरी ओर जली हुई ईरटें थीं
और पानी की गहरी खंदक बनाकर सुरक्षा का अतिरिक्त प्रबंध किया गया था।
बाद वाली मशहूर दीवार लगभग 600 ई.पू. मं सम्राट नाबोपोलैज़र ने बनवाना शुरू की थीं। उसने इतने बड़े
चैमाने पर दीवारों के पुनर्निर्माण की योजना बनाई थी कि वह इसे अपने जीवनकाल मेँ पूरा नहीं करवा पाया। यह
काम उसके पुत्र नेबृशैडनेज़र ने पूरा किया, जिसका नाम बाइबल के इतिहास में पाया जाता है।
इन बाद वाली दीवारों की ऊँचाई और लंबाई अविश्वसनीय थी। विश्वसनीय सूत्रं के अनुसार वे एक सौ साठ
फुट ऊँची थीं, यानी किसी आधुनिक ऑफ़िस की पंद्रह मंज़िली इमारत बराबर ऊँची। इनकी कुल लंबाई नौ से
ग्यारह मौल के बीच होगी। दीवारों का ऊपरी हिस्सा इतना चौड़ा था कि छह घोड़ों का रथ उस पर आसानी से चल
सकता था। इस विराट तंत्र का बहुत कम अवशेष मिला है। सिर्फ़ नींव और खंदक बचे हैं। प्रकृति के क़हर के
अलावा अरबवासियों ने इसकी ईरें निकाल लीं, ताकि उनका प्रयोग करके दूसरी जगह पर इमारत बना सकें। इस
तरह ये दीवारेँ अब पूरी तरह से नष्ट हो चुकी हैं।
बैबिलॉन की दीवारों पर लगभग हर विजेता की सेना ने आक्रमण किया। बहुत से राजाओं ने बैबिलॉन
की घेराबंदी की, परंतु उन्हें हमेशा असफलता ही हाथ लगी। उस्त समय की आक्रमणकारी सेना को हमें कम नहीं
आँकना चाहिए। इतिहासकार बताते हैं कि उसमें आम तौर पर 10,000 घुड़सवार, 25,000 रथ, पैदल सैनिकों की
1,200 रेजिमेंट होती थीं, जिनमें से हर रेजिमेंट में 000 सैनिक होते थे। अक्सर युद्ध के सामान और रास्ते में सेना के
भोजन की व्यवस्था करे में दो-तीन साल की तैयारी की ज़रूरत पड़ती थी।
बैबिलॉन का शहर किसी आधुनिक शहर की तरह व्यवस्थित था। यहाँ पर सड़कें और दुकानें थीं। फेरी वाले
अपना सामान रिहाइशी इलाक़ों में बेचा करते थे। पुजारी भव्य मंदिरों में पूजा-अर्चना करते थे। शहर के भीतर
शाही महलौं कै लिए एक ओतरिक परकोटा था, जिसकी दीवारे शहर की दीवाएं से भी ज़्यादा ऊँची थीं।
बैबिलॉन के निवासी कलाओं में निपुण थे। इनमें स्थापत्य कला, चित्रकला, बुनाई, सोने का काम और घातु
के हथियारों तथा कृषि उपकरणों का निर्माण प्रमुख थे। उनके आभूषण-निर्माताओं के बनाए अधिकांश आभूषण
कलात्मक थे। आभूषणों के कुछ नमूने बैबिलॉन के अमीर नागरिकों की कब्र मे से मिले हैं और संसार के शीर्षस्थ
संप्रहालयों में देखने के लिए रखे गए हैं।
जब बाक्री की दुनिया पत्थर की नॉक वाली कुल्हाड़ियों से पेड़ काट रही थी, या पत्थर की नॉक वाले मालों
से शिकार कर रही थी और तीरों से लड़ रही थी, तब बैबिलॉन के निवासी धातु की कुल्हाड़ियों, भालों और तीरों का
प्रयोग कर रहे थे।
बैबिलॉन के लोग चतुर फ़ाईनैंसर और व्यापारी थे। उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर वे धन के मूल
आविष्कारक थे और इसका आदान-प्रदान करते थे। इसकै अलावा वे प्रांमिसरी नोट्स और जायदाद के लिखित
टाइटल्स के भी आविष्कारक थे।
बैबिलान मेँ शत्रु सेनाएँ 540 वर्ष ई.पू. तक कभी प्रवेश नहीं कर पाईं। जब शत्रु सेनाओं ने नगर में प्रवेश
किया, तब मौ वे दीवारों को नहीं जीत पाईं। बैबिलॉन के पतन की कहानी बहुत असामान्य है। उस समय के महान
विजेता साइरस ने बैबिलाँन पर हमला करने की योजना बनाई। वह इसकी अजेय दीवारों को जीतना चाहता था।
बैबिलांन के सम्राट नैबोनिडस के सलाहकारों ने उसे सलाह दौ कि वह शहर की घेराबंदी होने का इंतज़ार न करे,
बल्कि शहर से बाहर निकलकर साइरस का मुक्राबला करे। इस युद्ध में बैबिलॉन की सेना पराजित हो गई और
शहर छोड़कर भाग गई। इसके बाद साइरस शहर के खुले द्वार से घुसकर बैबिलाँन में दाखिल हुआ और उसने बिना
किसी प्रतिरोध के शहर पर कब्जा कर लिया।
(इसके बाद शहर की शक्ति और प्रतिष्ठा धीरे-धीरे कम हो गई, जब तक कि कई सदियों में यह शहर पूरी
तरह वीरान नहीं हो गया। इसे हवाओं और तूफ़ानों के लिए छोड़ दिया गया, ताकि वे एक बार फिर इसे रेगिस्तानी
मिट्टी से ढँक दे, जिससे यह मूलतः बना था। वैबिलाँन मिट्टी में मिल चुका है। अब इसका पुनरुत्थान कभी नहीं हो.
सकता, परंतु सभ्यता इसकी बहुत ऋणी है।
समय ने इसके मंदिरों की गर्वीली दीवारों को मिट्टी मं मिला दिया है, परंतु बैबिलॉन का ज्ञान आज भी क्रायम
है।
+++
जाँज सैम्युअल क्लासन का जन्म लूसियाना, मिसूरी में नवंबर 1874 में हुआ । उन्होंने नेब्रास्का यूनिवर्सिटी में शिक्षा
ली और स्पेनिश-अमेरिकन युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना में काम किया। वे एक सफल व्यवसायी थे और उन्होंने
डेनवर, कोलोरेडो में क्लासन मैप कंपनी शुरू की, जिसने अमेरिका तथा कनाडा का पहला रोड एटलस प्रकाशित
किया। 1926 में उन्होंने बचत और आर्थिक सफलता की पहली कहानी लिखी, जिसके पात्र प्राचीन बैबिलान
के थे। इन कहानियों को बैंकों तथा बीमा कंपनियों ने बड़ी संख्या में अपने ग्राहकों मं बाँटा। लाखों लोगों ने इन
कहानियों को पढ़ा और इनसे लाभ उठाया। इन कहानियों में सबसे प्रसिद्ध कहानी “बैबिलॉन का सबसे अमीर
आदमी" है, जो इस पुस्तक का शीर्षक है। बैबिलॉन की ये कहानियाँ आधुनिक युग की प्रेरक क्लासिक का दर्जा
पा चुकी हैं।